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Drug-Free Haryana : हरियाणा को ‘ड्रग-फ्री’ बनाने के लिए तीन-तरफा हमला करने की तैयारी, कानूनी, आर्थिक और सामाजिक मोर्चे पर होगी जंग

05:27 PM Jul 09, 2025 IST

चंडीगढ़, 9 जुलाई (ट्रिब्यून न्यूज सर्विस)

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Drug-Free Haryana : हरियाणा को ‘ड्रग फ्री’ यानी नशामुक्त बनाने के लिए हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एचएसएनसीबी) ने तीन-तरफा हमला करने की तैयारी कर ली है। इसके लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार की है। नशा और नशा तस्करों की कमर तोड़ने के लिए कानूनी, आर्थिक और सामाजिक तीनों ही मोर्चों पर लड़ाई लड़ी जाएगी। नशे के खिलाफ विशेष मुहिम को लेकर ब्यूरो प्रमुख और डीजीपी ओपी सिंह ने बुधवार को नारकोटिक्स ब्यूरो व पुलिस अधिकारियों के साथ अहम बैठक की।

उन्होंने कहा कि नशा तस्करों के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान अब केवल गिरफ्तारियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि नशा तस्करों की अवैध कमाई, संपत्तियों और नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने की दिशा में आगे बढ़ेगा। यह लड़ाई अब कानून, तकनीक और समाज- तीनों मोर्चों पर एक साथ लड़ी जाएगी। बैठक में एचएसएनसीबी पुलिस अधीक्षक पंखुड़ी कुमार, मोहित हांडा, जिला न्यायवादी सहित डीएसपी तथा प्रदेशभर के यूनिट इंचार्ज भी मौजूद रहे।

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सिंह ने निर्देश दिए कि राज्य के प्रमुख नशा प्रभावित शहरी इलाकों की पहचान कर वहां एक समन्वित रणनीति लागू की जाए। इसमें कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ समाज की भागीदारी और व्यापक जन-जागरूकता अभियान भी शामिल हों। उन्होंने कहा कि नशा एक सामाजिक बीमारी है, जिसे समाप्त करने के लिए जनता, प्रशासन और पुलिस सभी को मिलकर काम करना होगा।

इस युद्ध को सिर्फ गिरफ्तारी से नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और व्यवहारिक बदलाव से भी जीतना होगा। एनसीबी प्रमुख ने दो-टूक कहा कि अब कार्रवाई का केंद्र बिंदु नशा तस्करों की अवैध कमाई को समाप्त करना होगा। पीआईटी-एनडीपीएस एक्ट के तहत आदतन नशा तस्करों को हिरासत में लेकर उनकी अवैध संपत्तियों को पहले अटैच किया जाएगा। फिर जब्त कर उन्हें सार्वजनिक रूप से ध्वस्त करना अभियान की प्राथमिकता होगी। यह संदेश साफ है कि अब हरियाणा में नशे से अर्जित हर अवैध संपत्ति को कानून की नजर में लाया जाएगा और उसकी नींव पर प्रहार किया जाएगा।

138 मुकदमे, 247 गिरफ्तारियां

बैठक में जनवरी से जून तक की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इस अवधि में ब्यूरो ने कुल 138 मुकदमे दर्ज किए और 247 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया। इनमें 40 मामले वाणिज्यिक मात्रा से संबंधित थे। जबकि शेष मध्यम और कम मात्रा के मामलों में थे। सिंह ने इन आंकड़ों को और बेहतर करने की आवश्यकता पर बल देते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि विशेष रूप से वाणिज्यिक ड्रग्स से संबंधित मामलों पर अधिक फोकस किया जाए और अदालतों में लंबित मामलों की जल्द सुनवाई करवाने की दिशा में आवश्यक कदम उठाएं जाएं।

साइबर, आर्थिक और डिजिटल जांच होंगे नए हथियार

इस लड़ाई में तकनीक को भी मुख्य भूमिका में लाने का निर्णय लिया गया है। एनसीबी प्रमुख ने कहा कि अब ड्रग डीलिंग के डिजिटल नेटवर्क, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन, सोशल मीडिया कनेक्शन और अन्य साइबर लिंक को भी खंगाला जाएगा। पुलिस इकाइयों को निर्देश दिए हैं कि वे बहुआयामी जांच के जरिए अपराधियों के हर पहलू - आर्थिक, साइबर और नेटवर्किंग पर नज़र रखें और डिजिटल फोरेंसिक को अपनी जांच में एकीकृत करें।

एनसीआर में सिंथेटिक ड्रग्स पर बढ़ी चिंता

बैठक में गुरुग्राम और एनसीआर क्षेत्र में बढ़ती सिंथेटिक व फार्मास्युटिकल ड्रग्स की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की गई। एनसीबी ने इन क्षेत्रों में विशेष सतर्कता अभियान चलाने और सूचना तंत्र को मजबूत करने के निर्देश दिए। एनसीबी ने आम नागरिकों को इस अभियान में सक्रिय रूप से जोड़ने के लिए दो हेल्पलाइन नंबर 9050891508 और 1933 जारी किए हैं। इन नंबरों पर कोई भी व्यक्ति अपने इलाके में चल रही नशे की गतिविधियों की जानकारी गोपनीय रूप से साझा कर सकता है।

स्कूल-कॉलेजों में अभियान और पुनर्वास

एनसीबी प्रमुख ने कहा कि नशे से जुड़ी सामाजिक जड़ों पर प्रहार करने के लिए अब स्कूल-कॉलेजों में सेमिनार, ड्रग्स के दुष्प्रभावों पर संवाद, और नुक्कड़ नाटक जैसे अभियानों की योजना बनाई जा रही है। साथ ही, नशा पीड़ितों के लिए पुनर्वास केंद्रों की स्थापना और ‘रिहैबिलिटेशन इज अ राइट’ जैसे भावनात्मक संदेशों के माध्यम से समाज में सकारात्मक सोच को बढ़ावा दिया जाएगा।

नेटवर्क, पैसे और मानसिकता पर होगा प्रहार

एनसीबी ने बैठक के जरिये यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि अब राज्य में नशा विरोधी अभियान केवल सतही कार्रवाई तक सीमित नहीं रहेगा। यह एक समग्र और राज्यव्यापी जनआंदोलन बन चुका है जिसमें कानूनी शिकंजा, आर्थिक ध्वस्तीकरण और सामाजिक भागीदारी कृ तीनों स्तरों पर ठोस कार्य योजना तैयार कर ली गई है। यह मिशन सिर्फ एक सरकारी प्रयास नहीं, बल्कि हरियाणा को नशा मुक्त बनाने की जन-प्रतिबद्धता है।

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