मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

बूंदों ने गीत लिखे

06:59 AM Sep 01, 2024 IST

योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'

Advertisement

बूंदों ने कुछ गीत लिखे हैं
चलो गुनगुनाएं

हरी दूब से, मिट्टी से
अपनापन जता रहीं
कई-कई जन्मों का अपना
नाता बता रहीं
सिखा रहीं, कैसे पत्तों से
बोलें-बतियाएं

Advertisement

धरती के सुख को ही अपना
हर सुख मान रहीं
परहित की ऐसी मिसाल भी
मिलती कहीं नहीं
अवसादों में डूबे हों
पर सदा मुस्कुराएं

गीत नहीं, ये तो नुस्खे हैं
जीवन जीने के
खुशहाली के फटे वस्त्र को
फिर से सीने के
मुश्किल में भी फूलों जैसे
हंसें-खिलखिलाएं

बूंदें छूने को

बारिश के परदे पर
पल-पल दृश्य बदलते हैं

गली-मुहल्लों की सड़कों पर
भरा हुआ पानी
चोक नालियों के संग मिलकर
करता शैतानी
ऐसे में तो वाहन भी
इतराकर चलते हैं

कभी-कभी भ्रम के बादल तो
ऐसे भी छाए
लगता, मंगल ग्रह के प्राणी
धरती पर आए
घर से घोंघी पहने जब कुछ
लोग निकलते हैं

कभी फिसलना, कभी संभलना
और कभी गिरना
पर कुछ को अच्छा लगता है
बन जाना हिरना
बूंदें छूने को बच्चे भी
खूब मचलते हैं।

Advertisement