अनुभूति और संवेदना के स्वप्न
सुरेखा शर्मा
वरिष्ठ साहित्यकार, गीतकार, कवि डाॅ•. घमंडीलाल अग्रवाल के सद्य: प्रकाशित नवगीत संग्रह ‘नए स्वप्न बुन लें’ में 52 गीतों की सुगंध गीतकार ने बिखेरी है। जिनकी भाव-भूमि, कथ्य और आधार समकालीन जीवन परिवेश पर आधारित है। सहज-सरल एवं संप्रेषणीय भाषा तथा तुकान्त के आधार पर ये गीत पाठक के अंतर्मन को छूने में सक्षम हैं। यथा- ‘सुख-दुख बदलें’ गीत की ये पंक्तियां देखिए :- ‘तुम अपने दुख मुझको दे दो, मैं अपने सुख तुमको दे दूं/ जीवन के इस महासागर में, दोनों अपने सुख-दुख बदलें।’
गीतों में वेदना-संवेदना, संयोग-वियोग, शोक, उत्साह, हर्ष-विषाद मन के सभी भावों का परस्पर मिलन ही इन गीतों का स्रोत बनकर व्यक्त हुआ है। बिम्ब और प्रतीक गीतों की रोचकता व प्रवाहशीलता को गतिमान बनाने में सहायक सिद्ध हुए हैं। एक बानगी देखिए :-
‘मन की मनमानी ने लूटा जीवन के वृंदावन को/ कौन बुलाएगा अब बोलो रिमझिम करते सावन को।/ इच्छाओं की शबरी बैठी किसी राम की चाहत में/ लुटे-लुटे से सारे आखर भावों की पंचायत में।’
अनुभूति एवं संवेदना की दृष्टि से गीत संग्रह ‘नए स्वप्न बुन लें’ अत्यंत सफल एवं सार्थक रचना है। ‘मेरे मन तू चिंतन कर ले’ गीत में कवि की चिंता और चिंतन स्पष्ट रूप से द्रष्टव्य है। कवि ने जीवन में घटने वाली घटनाओं को शब्दों में बांधकर बहुत सुंदर अभिव्यक्ति दी है।
वास्तव में प्रेम जीवन की सहज और सरल अभिव्यक्ति है। प्रेम जीवन का एक अहम हिस्सा है, एकाकीपन का साथी है। गीतों में जीवन के तमाम रंग हैं जो जीवन के पहलुओं को ही नहीं, पाठक के मन को भी छूते हैं और गुनगुनाने को भी विवश कर देते हैं। गीत-संग्रह के गीतों में प्रेम है, पीड़ा है, कहीं-कहीं मन में टीस भी है। कुछ गीतों में निराशावादी स्वर सुनाई देता है तो साथ ही आशावादी स्वर भी है।
गीत सच्चाई और अर्थवत्ता के साथ जब जीवन के संदर्भों और सत्यों को उजागर करते हैं, तब पाठक के साथ अपने दायित्व का निर्वाह भी करते हैं। रचनाकार अपने गीतों के माध्यम से जीवन के कथित तथ्यों का रागात्मक शोध करता है और पाठक गीतों मे अपने संदर्भित जीवन की खोज। इस कसौटी पर ‘नए स्वप्न बुन लें’ अपने उद्देश्य में पूर्णतः सफल है।
पुस्तक : नए स्वप्न बुन लें लेखक : डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल प्रकाशक : श्वेतांशु प्रकाशन, दिल्ली पृष्ठ : 122 मूल्य : रु. 270.