गुरुग्राम व मानेसर नगर निगम की वार्डबंदी का ड्राफ्ट तैयार
विवेक बंसल /हप्र
गुरुग्राम, 17 जुलाई
राज्य सरकार के द्वारा म्युनिसिपल एक्ट में किए बदलावों के तहत नगर निगम गुरुग्राम व मानेसर की वार्डबंदी का खाका तैयार हो गया है। परिवार पहचान पत्र और इलेक्शन डाटा को आधार मानते हुए गुरुग्राम को 36 व मानेसर को कुल 20 वार्डों में विभाजित किया गया है। डीसी निशांत कुमार यादव ने सोमवार को लघु सचिवालय में वार्डबंदी को लेकर गठित एडहॉक कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह जानकारी दी। बैठक में पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता, मानेसर नगर निगम के आयुक्त साहिल गुप्ता, एडीसी हितेश कुमार मीणा सहित कमेटी के अन्य सदस्यों ने भाग लिया।
डीसी निशांत कुमार यादव ने बताया कि इससे पहले परिवार पहचान पत्र के आधार पर तैयार वार्डबंदी के ड्राफ्ट पर कमेटी के सदस्यों ने एेतराज जताते हुए कहा था कि दोनों निगमों में बहुत से वार्ड ऐसे हैं, जहां जनसंख्या तो ज्यादा है लेकिन परिवार पहचान पत्र की संख्या कम है। ऐसे में जिला प्रशासन ने सरकार द्वारा एमसी एक्ट में बदलाव के लिए लाए गए अध्यादेश के तहत दोनों नगर निगमों में परिवार पहचान पत्र व इलेक्शन डाटा के आधार पर वार्डबंदी का खाका तैयार किया है। डीसी ने कमेटी के सदस्यों को वार्डबंदी के दौरान अपनाई गई प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि प्रत्येक वार्ड में पीपीपी व इलेक्शन डाटा का आकलन करते हुए जिस वार्ड में पीपीपी की संख्या ज्यादा है, वहां पीपीपी को जनसंख्या का आधार माना गया है। वहीं इलेक्शन डाटा में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ यदि वह संख्या पीपीपी से ज्यादा होती है तो वहां इलेक्शन डाटा को वार्डबंदी का आधार बनाया गया है। डीसी ने कहा कि गुरुग्राम नगर निगम की वार्डबंदी में प्रत्येक वार्ड में 40 हजार की जनसंख्या को एवरेज संख्या माना गया है। जिसमें 20 प्रतिशत के उतार चढ़ाव के साथ यह संख्या कम से कम 32 हजार व अधिकतम 48 हजार के करीब रहेगी। इस अवसर पर गुरुग्राम के पूर्व मेयर विमल यादव, निवर्तमान डिप्टी मेयर सुनीता यादव, यशपाल बत्तरा, भूपेंद्र चौहान, रंजीत, ऋषिराज राणा, मास्टर बलबीर सिंह सहित नगर निगम गुरुग्राम व मानेसर के अधिकारी उपस्थित रहे।
यह है वार्डबंदी का गणित
डीसी निशांत कुमार यादव ने वार्डबंदी की प्रक्रिया काे उदाहरण देते हुए बताया कि यदि किसी वार्ड में पीपीपी की संख्या 150 है, और इलेक्शन डाटा के तहत वोटर 100 (40 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ यह संख्या 140 होती जोकि पीपीपी की 150 की संख्या से कम है) है तो उस वार्ड में वार्डबंदी के लिए पीपीपी यानी परिवार पहचान पत्र को आधार बनाया गया है। वहीं किसी वार्ड में पीपीपी की संख्या 110 है और वोटर की संख्या 100 है जोकि 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 140 होती है तो इस वार्ड में वार्डबंदी का आधार इलेक्शन डाटा को माना जाएगा। डीसी ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि वार्डबंदी को लिए जो भी मानक अपनाए जाएं, उसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रतिनिधित्व मिले। डीसी ने कहा कि कमेटी के सभी सदस्यों को बैठक के उपरांत वार्डबंदी का नक्शा उपलब्ध कराया जाएगा। जिसके आधार पर वे अगले तीन दिनों के भीतर सुझाव अथवा ऐतराज कमेटी के पास भेज सकते हैं। उन्होंने बताया कि सदस्यों से सहमति मिलने के उपरांत अगले सप्ताह कमेटी की फाइनल बैठक बुलाई जाएगी। जिसमें सभी सदस्यों से फाइनल ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर सहमति लेकर ड्राफ्ट को सरकार के पास भेजा जाएगा।