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डॉ. सारिका धूपड़ के काव्य-संग्रह ‘उदगार’ का विमोचन

08:43 AM Sep 08, 2024 IST
डॉ  सारिका धूपड़ के काव्य संग्रह ‘उदगार’ का विमोचन
पंजाब यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में शनिवार को डॉ. सारिका धूपड़ के काव्य-संग्रह ‘उदगार’ का विमोचन करते हरियाणा साहित्य अकादमी के उर्दू प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा। -हप्र

मनीमाजरा (चंडीगढ़), 7 सितंबर (हप्र)
पंजाब यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में अभिव्यक्ति संस्था द्वारा आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम में डॉ. सारिका धूपड़ के काव्य-संग्रह ‘उदगार’ का शनिवार को हरियाणा साहित्य अकादमी के उर्दू प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा ने विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कविता के माध्यम से कवि अपने अंदर की संवेदनाओं की अभिव्यक्ति करता है। अगर इस कविता को पढ़ने वाला पाठक खुद के मनोभावों को इसमें पा लेता है तो कवि का लिखना सार्थक माना जाता है। डॉ. सारिका धूपड़ द्वारा लिखित काव्य-संग्रह उदगार भी इस कसौटी पर खरा उतरता है।
डॉ. सारिका धूपड़ को उनके बेहतरीन शैक्षणिक कार्यों की बदौलत हाल ही में स्टेट टीचर अवार्ड भी मिला है। डॉ. त्रिखा ने कहा कि ‘कविता के मूल में संवेदना है’। कविता में लेखक अपनी भावनाओं, अनुभूतियों, दृश्यों, संगतियों आदि को संवेदनापूर्ण तरीके से व्यक्त करता है। उन्होंने डॉ. सारिका के प्रयासों की सराहना की और भविष्य के लिए शुभकामनाएं भी दी।
इससे पूर्व, डॉ. सारिका धूपड़ ने अपने काव्य-संग्रह उदगार के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी और बताया कि यह उनका दूसरा काव्य संग्रह है। इससे पहले अभिसार भी प्रकाशित हो चुका है। डॉ. सारिका ने इस पुस्तक में रामायण की पात्र मंथरा दासी और कैकेयी की भूमिका की व्याख्या एक अलग तरीके से की है, जिसमें बताया गया है कि मंथरा के प्रति बेशक समाज नकारात्मक दृष्टिकोण रखता है लेकिन उसने अपनी मालकिन कैकेयी के प्रति कर्तव्य-निष्ठा का निर्वहन किया है।
प्रसिद्ध साहित्यकार एवं मनोविज्ञान की प्रोफ़ेसर गुरदीप ‘गुल’ धीर ने भी इस अवसर पर ‘उदगार’ की चंद कविताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि शायर, कवि और लेखक़ को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक जरिया मिल जाता है। जाने-माने कवि, लेखक और अभिनेता विजय कपूर ने भी ‘उदगार’ में व्यक्त भावों की सराहना की। डॉ. सारिका धूपड़ की माता डॉ. मंजू आर्या ने डॉ. सारिका की बचपन से लेकर अब तक की प्रतिभा से उपस्थित लोगों को रू-ब-रू करवाया। मंच संचालन प्रांजल वर्मा ने किया। इस अवसर पर शिक्षाविद् डॉ. नवीन गुप्ता, डॉ. हेमंत वर्मा के अलावा कई शिक्षाविद् एवं साहित्यकार उपस्थित थे।

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