नये साल से कनाडा जाने वाले छात्रों पर दोहरी मार
मोहित खन्ना/अवनीत कौर
पटियाला/जालंधर, 8 दिसंबर
स्टडी वीजा पर कनाडा जाने वाले छात्रों की जेब पर एक जनवरी, 2024 से दोहरी मार पड़ेगी। स्टडी वीज़ा आवेदकों के लिए जीवन-यापन की वित्तीय आवश्यकता, जिसे ‘गारंटी निवेश प्रमाणपत्र’ (जीआईसी) कहते हैंै, 2024 में 10,000 कनाडाई डॉलर से बढ़कर 20,635 डॉलर हो जायेगा। एक समाचार एजेंसी ने कनाडाई आव्रजन मंत्री मार्क मिलर के हवाले से कहा कि 1 जनवरी से जीआईसी प्रति आवेदक 10,000 कनाडाई डॉलर या कैड (6.14 लाख रुपये) से बढ़ाकर 20,635 डॉलर (12.67 लाख रुपये) हो जायेगा। उन्होंने कहा कि अगले साल से संभावित छात्रों को यह दिखाना होगा कि उनके खाते में 10,000 डॉलर के बजाय 20,635 डॉलर हैं।
बढ़ती लागत, डॉलर की दरों में वृद्धि और जीआईसी के दोगुने होने से बढ़ी लागत से छात्रों पर वित्तीय बोझ बढ़ गया है। एक आवेदक के लिए 15 से 16 लाख रुपये का प्रवास व्यय बढ़कर 25 से 26 लाख रुपये हो गया है।
अर्थशास्त्री और उत्तरी ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के पूर्व-प्रोफेसर अमरजीत भुल्लर ने कहा कि अध्ययन वीजा कार्यक्रम के लिए कनाडा जाने वाले छात्रों को दोहरी मार झेलनी पड़ी है, रहने की वित्तीय आवश्यकता की लागत में वृद्धि के अलावा, कनाडाई अधिकारियों ने काम के घंटों की सीमा तय करने का भी संकेत दिया है। आव्रजन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (आईआरसीसी) द्वारा जारी बयान के अनुसार, कनाडा में पहले से ही मौजूद अंतर्राष्ट्रीय छात्र व जिन्होंने 7 दिसंबर, 2023 तक स्टडी परमिट के लिए आवेदन किया है, वे 30 अप्रैल, 2024 तक ही प्रति सप्ताह 20 घंटे से अधिक काम कर सकेंगे। भुल्लर ने कहा कि संशोधित जीआईसी से पंजाब में निजी साहूकारों द्वारा लोगों का शोषण होगा।
विद्यार्थियों में निराशा
पटियाला में छोटी बारादरी में एक आइलेट्स केंद्र से बाहर आते छात्र नए दिशा-निर्देशों से काफी नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि इससे कनाडा में पढ़ाई करने का उनका सपना धूमिल हो गया है। एक किसान की बेटी गुरप्रीत कौर ने कहा, ’संशोधित दिशा-निर्देशों से वह बड़ी निराश है। अब हमें और अधिक फंड दिखाना होगा।’ अगले साल सितंबर में प्रवास करने की इच्छुक 12वीं कक्षा की छात्रा मनमीत कौर ने अपने परिवार की वित्तीय स्थिति को देखते हुए जीआईसी राशि दोगुनी होने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ’मुझे यकीन नहीं कि मैं अब अपने आवेदन पर आगे बढ़ पाऊंगी या नहीं।’