घरेलू बचत घटी, देनदारी बढ़ी... सरकार बोली- चिंता की बात नहीं
नयी दिल्ली, 21 सितंबर (एजेंसी)
वित्त मंत्रालय ने घरेलू बचत में गिरावट को लेकर हो रही आलोचनाओं को बृहस्पतिवार को नकार दिया। मंत्रालय के सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी बयान के मुताबिक, ‘आंकड़ों से पता चलता है कि उपभोक्ताओं का रुझान अब विभिन्न वित्तीय उत्पादों की ओर है। और यही कारण है कि घरेलू बचत कम हुई है। कुछ तबकों में जताई जा रही चिंता जैसी कोई बात नहीं है।’
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा मासिक बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि शुद्ध घरेलू बचत वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद का 5.1 प्रतिशत रही जो पिछले 47 वर्षों का निचला स्तर है। इससे एक साल पहले यह 7.2 प्रतिशत थी। दूसरी तरफ घरेलू क्षेत्र की सालाना वित्तीय देनदारी बढ़कर 5.8 प्रतिशत हो गयी जो 2021-22 में 3.8 प्रतिशत थी। इस मामले पर वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘परिवारों के स्तर पर वित्त वर्ष 2020-21 में 22.8 लाख करोड़ की शुद्ध वित्तीय परिसंपत्ति जोड़ी गयी। वित्त वर्ष 2021-22 में लगभग 17 लाख करोड़ और वित्त वर्ष 2022-23 में 13.8 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय संपत्ति बढ़ी। इसका मतलब है कि उन्होंने एक साल पहले और उससे पहले के साल की तुलना में इस साल कम वित्तीय संपत्तियां जोड़ीं। लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शुद्ध रूप से उनकी कुल वित्तीय परिसंपत्ति अभी भी बढ़ रही है।’ इसमें कहा गया है कि परिवारों ने पिछले वर्षों की तुलना में कम मात्रा में वित्तीय परिसंपत्तियां जोड़ीं क्योंकि वे अब कर्ज लेकर घर एवं अन्य रियल एस्टेट संपत्तियां खरीद रहे हैं।
बचत का बड़ा हिस्सा भौतिक संपत्तियों में गया : एसबीआई
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) रिसर्च की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू बचत से निकासी का एक बड़ा हिस्सा भौतिक संपत्तियों में चला गया है। एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि महामारी के बाद से परिवारों की वित्तीय देनदारियां 8.2 लाख करोड़ रुपये बढ़ गईं, जो सकल वित्तीय बचत में हुई 6.7 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि से अधिक है। इस अवधि में परिवारों की संपत्ति के स्तर पर बीमा और भविष्य निधि एवं पेंशन कोष में 4.1 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई।