पश्चिम बंगाल में 42 दिन बाद काम पर लौटे डॉक्टर
कोलकाता, 21 सितंबर (एजेंसी)
पश्चिम बंगाल के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में कनिष्ठ चिकित्सक 42 दिन बाद शनिवार सुबह आंशिक रूप से काम पर लौट आए। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद एक महिला चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या की घटना के खिलाफ कनिष्ठ चिकित्सकों ने काम बंद कर दिया था।
कनिष्ठ चिकित्सकों ने शनिवार से सभी सरकारी अस्पतालों में आवश्यक और आपातकालीन सेवाओं में काम करना शुरू कर दिया लेकिन उन्होंने बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में अब भी काम शुरू नहीं किया है। प्रदर्शनकारी चिकित्सकों में शामिल अनिकेत महतो ने कहा, ‘कृपया यह नहीं भूलें कि चिकित्सक केवल आंशिक रूप से काम पर लौटे हैं।’ उन्होंने बताया कि उनके अन्य सहयोगी राज्य के बाढ़ प्रभावित जिलों के लिए पहले ही रवाना हो चुके हैं, जहां वे विरोध प्रदर्शनों के बीच भी लोगों के स्वास्थ्य को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए ‘अभया क्लिनिक’ (चिकित्सा शिविर) शुरू करेंगे। विभिन्न सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों के काम पर लौट आने से आपातकालीन सेवाएं सामान्य हो गईं। प्रदर्शनकारी चिकित्सकों ने कहा कि वे इस घटना में प्रशासन द्वारा न्याय किए जाने और राज्य के स्वास्थ्य सचिव को हटाए जाने की अपनी मांगों को पूरा करने के लिए अगले सात दिन तक इंतजार करेंगे, अन्यथा वे फिर से काम बंद करेंगे।
पूर्व प्राचार्य के करीबी से सीबीआई पूछताछ
सीबीआई के अधिकारियों ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष के करीबी एक अन्य चिकित्सक से शनिवार को पूछताछ प्रारंभ की। बिस्वास को हाल ही में पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग ने बर्दवान मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से दक्षिण 24 परगना जिले के सुदूर काकद्वीप अस्पताल में स्थानांतरित किया था। सीबीआई अधिकारी ने बताया कि बिस्वास कथित तौर पर मेडिकल कॉलेजों में सक्रिय ‘उत्तर बंगाल लॉबी’ का हिस्सा हैं और उन्हें नौ अगस्त को आरजी कर अस्पताल में देखा गया था। उसी दिन महिला प्रशिक्षु चिकित्सक का शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में मिला था।