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हल्के में न लें कंधे के दर्द को

10:42 AM Oct 16, 2024 IST

40 वर्ष की आयु के बाद कंधे में जकड़न के साथ असहनीय दर्द की स्थिति आ सकती है। यह समस्या महिलाओं में ज्यादा है। ऐसे में आप फ्रोज़न शोल्डर रोग से ग्रसित हो सकते हैं। इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों, कारणों और उपचार को लेकर मोहाली के नामी अस्पताल में ऑर्थोपेडिक्स और स्पोर्ट्स मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मनीत अरोड़ा से विवेक शर्मा की बातचीत।
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आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में समय पर खाना और पर्याप्त नींद बिरले ही लोगों के लिए संभव हैं। वहीं हम हमेशा कुछ न कुछ काम में व्यस्त रहते हैं, जिससे शरीर में दर्द होना कोई असामान्य बात नहीं है। लेकिन कमर या कंधे के दर्द को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। अगर आप 40 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं और कंधे में जकड़न के साथ असहनीय दर्द से पीड़ित हैं, तो आप फ्रोज़न शोल्डर बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं। आंकड़ों के अनुसार, लगभग 2 फीसदी लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं। महिलाओं में इसकी संभावना अधिक होती है। फ्रोज़न शोल्डर का दर्द एक दिन में ठीक नहीं होता, इसे ठीक होने में कम से कम 18 महीने लग जाते हैं। शुरुआती चरण में ध्यान देने से सही कदम उठाए जा सकते हैं। जीवनशैली में छोटे बदलाव भी इसे ठीक करने में मदद कर सकते हैं।
शोल्डर यानी कंधा तीन हड्डियों के मेल से बना एक जोड़ है, जो गर्दन को बाजू से जोड़ता है और रोज के कई तरह के कामों में हमारी मदद करता है। इसका इस्तेमाल हम दिन में अनगिनत बार करते हैं और अगर इस जोड़ में दर्द होने लगे तो सारे काम रुक से जाते हैं। सामान्य दर्द तो कई कारणों से हो सकता है, लेकिन जब ये दर्द अकड़न और जाम जैसा महसूस होने लगे तो संभव है कि यह फ्रोजन शोल्डर है। इसे एडहेसिव कैप्सुलिटिस भी कहते हैं। यह 40-60 साल की महिलाओं में अधिक पाया जाता है।

क्यों होता है

जब कंधे के जोड़ के आसपास के कनेक्टिव टिश्यू यानी जो एक अंग को दूसरे अंग से जोड़ने का काम करते हैं, वे ठोस, संक्रमित और जाम हो जाते हैं, तो इससे कंधों को मूव करने में दर्द होने लगता है, जिसे फ्रोजन शोल्डर कहते हैं।

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ये हैं प्रमुख कारण

एक पोश्चर में लंबे समय तक बैठे रहना, किसी एक्सीडेंट के कारण हाथ न हिला पाने का मामला या किसी प्रकार के व्यायाम या शारीरिक गतिविधि का न होना फ्रोजन शोल्डर की वजह हो सकते हैं। वहीं इसके मूल में डायबिटीज, अनियंत्रित थायराइड भी हो सकते हैं।

अकड़न में डॉक्टरी परामर्श

सबसे पहली बात, कंधे में अकड़न हो तो इसे नजरअंदाज न करें और किसी अच्छे फिजियोथेरेपिस्ट या ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से संपर्क करें। वे प्राथमिक परीक्षण करेंगे और आपके कंधों को दबा कर और घुमा कर दर्द के बिंदुओं का पता लगाएंगे। इसके बाद वे जरूरत अनुसार ब्लड टेस्ट, एक्सरे, एमआरआई आदि जैसे टेस्ट के लिए भी कह सकते हैं।

उपचार के तरीके

स्टेरॉयड इंजेक्शन : कंधे के जोड़ में स्टेरॉयड इंजेक्शन दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। यह प्रक्रिया सूजन को घटाती है और मरीज को राहत प्रदान करती है।
फिजियोथेरेपी : कंधे से संबंधित विशेष फिजियोथेरेपी लक्षणों को नियंत्रित करने में सहायक होती है। फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा बताए गए व्यायाम और तकनीकें दर्द और कठोरता को कम करने में मदद कर सकती हैं। उचित फिजियोथेरेपी से मरीज अपनी जीवनशैली और गतिविधियों को जल्दी पुनः प्राप्त कर सकता है।
सर्जरी : यदि अन्य उपचार विफल हो जाते हैं, तो आर्थ्रोस्कोपी या कीहोल सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। यह प्रक्रिया स्वस्थ जीवनशैली पुनर्स्थापित करने में तेजी लाने में सहायक होती है।
स्ट्रेचिंग और व्यायाम : हल्के दर्द की स्थिति में डॉक्टर आपको कुछ विशेष स्ट्रेचिंग और व्यायाम करने की सलाह देंगे, जिन्हें आप घर पर कर सकते हैं।
फिजियोथेरेपी : अगर दर्द अधिक है और मूवमेंट सीमित हो गई है, तो डॉक्टर आपको एक अच्छे फिजियोथेरेपिस्ट से परामर्श लेने की सलाह दे सकते हैं, जो फिजियोथेरेपी की मदद से आपके दर्द को ठीक कर सकते हैं। हालांकि, इसमें समय लग सकता है।
हीट और कोल्ड थेरैपी : यदि दर्द चोट के कारण है, तो कोल्ड थेरेपी की सलाह दी जा सकती है। यदि दर्द लंबे समय से बना हुआ है, तो हीट थेरेपी उपयोगी हो सकती है। यह निश्चित करने के लिए डॉक्टर से जांच कराना आवश्यक है कि कौन सी थेरेपी आपके लिए उचित है।
कोर्टिकोस्टेरॉयड इंजेक्शन : ज्यादा दर्द होने पर डॉक्टर लोकल एनेस्थिसिया देकर सीधे कंधे पर कोर्टिकोस्टेरॉयड इंजेक्शन लगाते हैं, जिससे दर्द में काफी राहत मिलती है।
हाइड्रोडियलेशन : तनी हुई कैप्सूल को स्ट्रेच करने के लिए विशेषज्ञ कंधों के जोड़ों में स्टेराइल फ्लूइड डालते हैं, जिससे जोड़ों में फैलाव होता है, जमाव टूटता है, और मूवमेंट बढ़ती है।
सर्जरी : अति गंभीर मामलों में आर्थरोस्कोपी जैसी सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।

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