हलके से न लें रोजाना के सिरदर्द को
भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों में सिरदर्द की समस्याआम होती जा रही है। अगर सिरदर्द रोज हो और यह हद से बढ़ जाए तो इसे बिल्कुल भी अनदेखा न करें। आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। यह भी कि हर सिरदर्द माइग्रेन नहीं होता। जब भी लगातार सिरदर्द हो तो अपना ब्लड प्रेशर (बीपी) चेक कराएं। दरअसल, अधिकतर मामलों में सिरदर्द की वजह बीपी और तनाव ही होता है। सिरदर्द तीन प्रकार के होते हैं- पहला माइग्रेन, दूसरा टेंशन टाइप हेडेक और तीसरा क्लस्टर हेडेक।
माइग्रेन के कुछ खास लक्षण होते हैं जो गलत खानपान, नींद की कमी और ज्यादा तनाव से होता है। यह अकसर आधे सिर में होता है, जोकि असहनीय होता है। यह 24 से 72 घंटे तक रहता है। इस दौरान पीड़ित को रोशनी और शोर-शराबे से परेशानी होती है। माइग्रेन की वजह सोने का तय वक्त न होना, व्रत रखना, तनाव, हार्मोन में बदलाव व तेज आवाज भी हो सकती है। गर्मियों में माइग्रेन ज्यादा होता है और इसकी मुख्य वजह सिर पर सीधे धूप का पड़ना और नमी है। अप्रैल शुरू होते ही माइग्रेन के मरीजों में बढ़ोतरी होती है, जो सितंबर तक जारी रहती है। माइग्रेन पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होता है वहीं बच्चों में भी काफी होता है।
तनाव भी कारण
हमारी दिनचर्या इतनी व्यस्त हो गई है कि हर वक्त तनाव बना रहता है। घर और कार्यस्थल की बढ़ती जिम्मेदारियों ने हमें प्रभावित किया है, जिसके कारण हमेशा सिरदर्द बना रहता है। कई बार हम सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए पेन किलर का भी इस्तेमाल करते हैं, जिसका असर सेहत के लिए ठीक नहीं होता। अगर तनाव की वजह से सिरदर्द है तो आप बिना दवा के भी आराम पा सकते हैं। इसके लिए मेडिटेशन अपना सकते हैं। दर्द से राहत पाने के लिए पानी का अधिक सेवन करें। आंखों की सही देखभाल करके भी सिरदर्द कम कर सकते हैं। सिरदर्द होने पर कनपटी, गर्दन, सिर और कंधे की मसाज करवाएं। नियमित व्यायाम व सैर करे।
क्लस्टर हेडेक
क्लस्टर सिरदर्द सबसे गंभीर सिरदर्द है। इसमें आंखों में जलन और चुभने वाला दर्द होता है जो लगातार बना रहता है। क्लस्टर सिरदर्द इतना भयंकर होता है कि इसमें व्यक्ति का बैठना मुश्किल हो जाता है। वहीं आंखें लाल व पुतली छोटी हो जाती है तथा आंसू आने लगते हैं। एक क्लस्टर अवधि आमतौर पर कई हफ्तों से लेकर महीनों तक चलती है। वर्ष के लगभग एक ही समय पर शुरू होकर लगभग समान अवधि तक चल सकती है। क्लस्टर सिरदर्द वाले अधिकांश लोगों के लिए, क्लस्टर अवधि एक सप्ताह से एक वर्ष तक रहती है। फिर अगला क्लस्टर सिरदर्द आने से पहले तीन महीने या उससे अधिक समय तक दर्द रहित अवधि होती है। इसे एपिसोडिक क्लस्टर सिरदर्द के रूप में जाना जाता है। सिरदर्द आमतौर पर रोज होता है व एक ही समय पर, अक्सर दिन में कई बार। एक अटैक 15 मिनट से तीन घंटे तक चल सकता है, लेकिन अधिकतर 30 से 45 मिनट तक चलता है। अधिकांश हमले रात में होते हैं, आमतौर पर सोने के 1-2 घंटे बाद। दर्द आमतौर पर शुरू होते ही अचानक समाप्त हो जाता है। ऐसे सिरदर्द के बाद, अधिकतर मरीज दर्द-मुक्त लेकिन थके होते हैं।
माइग्रेन की बीमारी 25-55 वर्ष की उम्र के लोगों में सबसे आम है, हालांकि कोई भी उम्र माइग्रेन से प्रतिरक्षित नहीं है। भारत में 14 फीसदी आबादी को माइग्रेन है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इसका प्रसार अधिक है। माइग्रेन में सिर में बहुत तेज दर्द होता है कभी ये दर्द तेज रोशनी की वजह से होता है तो कभी-कभी शोर से या किसी खास खुशबू से होता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, महिलाओं में ज्यादा माइग्रेन होने का कारण शरीर के हार्मोनल बदलाव हैं। दरअसल, महिलाओं में एस्ट्रोजन नाम का हार्मोन पाया जाता है, जो उनमें माइग्रेन का मुख्य कारण बनता है। ऐसी महिलाएं जो हार्मोनल कंट्रोल वाली दवाइयां या गर्भ निरोधक गोलियां लेती हैं, उनमें माइग्रेन का खतरा ज्यादा रहता है।
बचाव के उपाय
माइग्रेन से बचने के लिए एसी से बाहर एकदम गर्मी में न निकलें या फिर गर्मी से आकर बहुत ठंडा पानी न पिएं। धूप से बचें। छाता लेकर और सन ग्लासेज पहनकर बाहर निकलें, कम-से-कम ट्रेवलिंग करें। दिन में 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं, वरना डिहाइड्रेशन हो सकता है। डिहाइड्रेशन माइग्रेन का प्रमुख सामान्य कारक होता है। शरीर में पानी रहेगा तो माइग्रेन के चांस कम होंगे।बरसात के मौसम में ऐसे पदार्थ खाने-पीने से बचना चाहिए, जिनसे पसीना ज्यादा निकलता है, जैसे कि चाय-कॉफी। मिर्च-मसालेदार खाने से बचें। सूर्योदय से पहले वॉक पर जाएं। नंगे पांव घास पर चलें। इससे तनाव कम होता है और माइग्रेन भी। रोजाना 30 मिनट योगासन, प्राणायाम करें। मेटिडेशन भी कारगर है।