आदर्शों की दिव्यता
एक अमेरिकी पत्रकार वेब मिलर ने‘मुझे शांति नहीं मिली’ नामक एक पुस्तक लिखी थी। पुस्तक में गांधी जी का एक सुंदर संस्मरण है। सन् 1931 में गोलमेज काॅन्फ्रेंस में वेब मिलर गांधी जी से मिलने आए। गांधी जी के उच्च आदर्श से प्रभावित वेब मिलर ने गांधी जी से हस्ताक्षर लेने हेतु एक सिगरेट का डिब्बा आगे बढ़ाया। उस डिब्बे पर और भी अमेरिकी प्रख्यात व्यक्तियों के हस्ताक्षर थे। गांधी जी ने डिब्बे को हाथ में लेकर हंसते हुए कहा, ‘मैं इस सिगरेट के डिब्बे पर अपने हस्ताक्षर देकर अपने विचार को धूम्रपान और तंबाकू से नहीं ढकना चाहता। अगर आप वायदा करें कि इस डिब्बे में कभी भी सिगरेट नहीं रखी जाएगी तो मैं हस्ताक्षर दे सकता हूं।’ वेब मिलर के ऐसा ही वायदा करने पर गांधी जी ने हस्ताक्षर दे दिए। तब से वेब मिलर ने इस डिब्बे में विजिटिंग कार्ड रखने प्रारम्भ किये। वेब मिलर लिखते हैं कि इस डिब्बे पर अमेरिका के अनेक प्रसिद्ध व्यक्तियों के हस्ताक्षर हैं, परंतु गांधी जी के हस्ताक्षर अत्यंत स्वच्छ, स्पष्ट और प्रभावशाली लगते हैं। उच्चादर्श हर जगह अपनी दिव्यता प्रकट करता है।
प्रस्तुति : बनीसिंह जांगड़ा