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देववाणी की सेवा

06:58 AM Oct 21, 2023 IST

बंगाल के विख्यात शिक्षाविद् पंडित भूदेव मुखोपाध्याय से मिलने संस्कृत महाविद्यालय के शिक्षक पहुंचे। उन्होंने पंडित जी से कहा, ‘आप संस्कृत के प्रकांड विद्वान हैं, फिर आप अन्य की तरह दुर्गा पूजा महोत्सव धूम-धाम से क्यों नहीं मनाते?’ पंडित जी ने उस समय उनके प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दिया, पर इस वार्तालाप के कुछ दिन बाद उन्होंने शिक्षा तथा संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए निर्मित विश्वनाथ संस्कृत ट्रस्ट को डेढ़ लाख रुपये दान में दिए। वे शिक्षक इसी ट्रस्ट द्वारा निर्मित महाविद्यालय में कार्यरत थे। पंडित जी उन्हें संबोधित करके बोले, ‘मैंने दुर्गा पूजा महोत्सव में धूम-धाम न करके जो पैसे बचाए हैं, ये वही धन है। संस्कृत देववाणी है, संस्कृत की सेवा हो जाए, तो मेरे लिए वही दुर्गा पूजा है।’

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प्रस्तुति : मुकेश ऋषि

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