आर्थिक रोडमैप के साथ दिल्ली से लौटे दिसानायके
नई दिल्ली की सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति दिसानायके ने कहा, ‘हम ऐसा नहीं होने देंगे। हमारी भूमि का किसी भी तरह से उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, जो भारत के हित के लिए हानिकारक हो।’
पुष्परंजन
सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं कि कॉमरेड दिसानायके ने अपनी पहली आधिकारिक यात्रा के लिए भारत को चुना। इससे हमारे संबंधों में नई गति और ऊर्जा आएगी।’ मोदी ने कहा कि भारत और श्रीलंका बिजली ग्रिड संपर्क और बहु-उत्पाद पेट्रोलियम पाइपलाइन स्थापित करेंगे, जिससे दोनों देशों के बीच निवेश और वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा।
दिसानायके की पार्टी, ‘नेशनल पीपुल्स पावर' (एनपीपी) की मार्क्सवादी विचारधारा में जड़ें होने के कारण नई दिल्ली में कुछ चिंताएं पैदा हुई थीं, कि उनका झुकाव चीन की ओर होगा। लेकिन, कोलंबो में ‘सेंटर फॉर पॉलिसी अल्टरनेटिव्स’ के कार्यकारी निदेशक पैकियासोथी सरवनमुट्टू के अनुसार, ‘नई दिल्ली को अपना पहला विदेशी पड़ाव बनाकर उन्होंने संकेत दिया, कि भारत वास्तव में हमारा सबसे करीबी सहयोगी होगा। यह इस यात्रा का प्रतीकात्मक आयाम है।’ सबसे दिलचस्प यह है कि दिसानायके की रविवार से आरम्भ तीन दिवसीय भारत यात्रा पर चीन से अधिक, अमेरिका की नज़र रही है।
राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की दिल्ली यात्रा से दस दिन पहले, दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के अमेरिकी सहायक मंत्री डोनाल्ड लू, अमेरिकी वित्त विभाग में एशिया-प्रशांत के उप सहायक मंत्री रॉबर्ट कैप्रोथ, और अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) में एशिया ब्यूरो की उप सहायक प्रशासक अंजलि कौर कोलम्बो आये, और उन्होंने राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके, प्रधानमंत्री डॉ. हरिनी अमरसूर्या, विदेश रोजगार-पर्यटन मंत्री विजिता हेराथ के साथ चर्चा की। अंजलि कौर ने यूएसएआईडी परियोजनाओं को अमल करने में अमेरिकी रुचि का इज़हार किया। मतलब, अमेरिका ने बता दिया कि हिन्द महासागर में श्रीलंकन सहयोग हमें मिलते रहना चाहिए।
सोमवार को नई दिल्ली में दिसानायके का दिया बयान महत्वपूर्ण है, ‘हमने दो साल पहले एक अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना किया था, और भारत ने उस दलदल से बाहर निकलने में हमारा भरपूर समर्थन किया था।’ इस समय श्रीलंका के लिए लाइन ऑफ़ क्रेडिट (देय भुगतानों) से निपटना सबसे बड़ी चुनौती है। दिसानायके ने इसके लिए 20.66 मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता देने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया, जिससे उस पर ऋण बोझ काफी कम हो गया। नई दिल्ली की सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति दिसानायके ने कहा, ‘हम ऐसा नहीं होने देंगे। हमारी भूमि का किसी भी तरह से उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, जो भारत के हित के लिए हानिकारक हो।’
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत को हमारा समर्थन और सहयोग निरंतर मिलेगा।’ सेंटर फॉर पॉलिसी अल्टरनेटिव्स के कार्यकारी निदेशक सरवनमुट्टू के अनुसार, ‘श्रीलंका को भारत और चीन के बीच संतुलन बनाना है, लेकिन दिसानायके बहुत व्यावहारिक हैं। वे कट्टर वामपंथियों की तरह विचारक नहीं हैं। वह जानते हैं कि भारत उसका सबसे करीबी और मुसीबत में मददगार पड़ोसी है। चीन भी श्रीलंका में होगा।’ लेकिन इस सवाल पर कि क्या चीन को बड़ी हिस्सेदारी मिलेगी? सरवनमुट्टू बोलते हैं, ‘मुझे नहीं लगता, कि ऐसा जरूरी होगा।’
राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके की यात्रा से पहले, कोलंबो की ओर से स्पष्ट किया गया कि अडानी समूह द्वारा विकसित किए जा रहे बंदरगाह परियोजना को हमें आगे बढ़ाना है। इससे पहले दिसानायके के कार्यालय ने कहा था, कि हम अडानी परियोजना की समीक्षा करेंगे, क्योंकि हमसे यह छिपाया था कि भारत में एक विशाल सौर ऊर्जा परियोजना को कथित तौर पर 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत योजना के तहत सुविधा प्रदान की जा रही थी।
बहरहाल, ‘अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड’ के शेयर मंगलवार सुबह से चर्चा में हैं। क्योंकि, अडानी समूह की इस कंपनी ने कहा है कि वह अमेरिकी फंडिंग की मांग नहीं करेगी। इसके बजाय, श्रीलंकाई बंदरगाह परियोजना के लिए अपने संसाधनों का इस्तेमाल करेगी। अडानी पोर्ट्स ने कहा कि श्रीलंका में कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल (सीडब्ल्यूआईटी) परियोजना अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है, और अगले साल की शुरुआत तक चालू होने की राह पर है। अडानी पोर्ट्स ने कहा, ‘हमने डीएफसी से वित्तपोषण के लिए अपना अनुरोध वापस ले लिया है।’
अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड के एमडी और सीईओ अनिल सरदाना ने बताया, ‘श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों मन्नार और पूनरी में 500 मेगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजना प्रगति पर है।’ मंगलवार को श्रीलंकाई कैबिनेट द्वारा जारी बयान में कहा गया, ‘अरबपति गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी समूह की अक्षय ऊर्जा इकाई अडानी ग्रीन एनर्जी को फरवरी, 2023 में 442 मिलियन डॉलर निवेश करने, और मन्नार शहर और पूनरी गांव में 484 मेगावाट पवन ऊर्जा संयंत्र विकसित करने की मंजूरी मिली थी, जो दोनों श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में स्थित हैं।’
अडानी समूह कोलंबो में श्रीलंका के सबसे बड़े बंदरगाह पर 700 मिलियन डॉलर की टर्मिनल परियोजना के निर्माण में भी शामिल है। सितंबर 2021 में शुरू की गई ‘सीडब्ल्यूआईटी’ परियोजना, श्रीलंका के बंदरगाह क्षेत्र में सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है। 35 साल के समझौते की कीमत 1 बिलियन डॉलर है। यह टर्मिनल श्रीलंका की सबसे बड़ी और सबसे गहरी कंटेनर सुविधा वाली होगी, जो अल्ट्रा लार्ज कंटेनर वेसल्स को संभालने में सक्षम है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, अडानी पोर्ट्स के पास श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी और जॉन कील्स होल्डिंग्स के साथ साझा उद्यम में 51 फीसद हिस्सेदारी है। यह परियोजना 2025 की शुरुआत में चालू होने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
पीएम मोदी के अलावा, विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ राष्ट्रपति दिसानायके की बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। डॉ. जयशंकर ने पर्यटन, निवेश और ऊर्जा क्षेत्रों में श्रीलंका का समर्थन करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। चर्चा में मत्स्य उद्योग को आगे बढ़ाना, समुद्र सीमा उल्लंघन करने वाले मछुआरों को कैसे अलर्ट करना है, और श्रीलंका में राष्ट्रीय एकता को कैसे बढ़ावा देना है, जैसे विषय थे। श्रीलंका के रणनीतिकार महसूस करते हैं, कि रामायण ट्रेल के माध्यम से अधिक भारतीय पर्यटकों को लाने के उपाय भी तलाशे जाने चाहिए। मन्नार में दोनों देशों को जोड़ने वाले प्रस्तावित पुल के निर्माण तेज़ हुआ, तो पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी। दोनों देशों के बीच बौद्ध विरासत को विकसित करने की ज़रूरत है।
भारत, श्रीलंका में राष्ट्रीय एकता के निर्माण में भी प्रमुख भूमिका निभा सकता है। इस वास्ते तमिल नेताओं के साथ निरंतर संवाद करना चाहिए। तमिल नेता भड़काऊ बयान देने से बचें, यह प्रयास हो। दक्षिण में कुछ अतिवादी नेता हैं, जिन्होंने अतीत में भारत-श्रीलंका के बीच सम्बन्ध ख़राब किये हैं। राष्ट्रपति दिसानायके को उन पर लगाम लगानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने नस्लवाद या धार्मिक अतिवाद को बढ़ावा देने वाले तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का वादा किया है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।