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विस्थापन और आर्थिक बदहाली से मानवता पर संकट

08:40 AM Oct 14, 2024 IST
विस्थापन और आर्थिक बदहाली से मानवता पर संकट
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सुरेश सेठ

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इस्राइल और हमास के बीच की भीषण लड़ाई को एक वर्ष पूरा हो चुका है। इस संघर्ष ने डेढ़ करोड़ लोगों पर गहरा असर डाला है। लगभग 42,000 लोगों की जान गई, जिनमें 16,000 फलस्तीनी बच्चे शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप 18,000 से अधिक बच्चे अनाथ हो गए हैं। लेबनान की 55 लाख की आबादी में हर पांचवां व्यक्ति इस्राइली हमलों के कारण विस्थापित हो गया है।
पिछले दो वर्षों से रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का कोई अंत नजर नहीं आ रहा। जिस यूक्रेन को रूस ने कुछ नहीं समझा था, उसने नाटो, पश्चिमी देशों और अमेरिका की परोक्ष सहायता से एक भयंकर संघर्ष जारी रखा है और साथ ही रूसी क्षेत्रों में घुसपैठ का साहस दिखाया है। दुनिया के शांति और समझौते के पक्षधर देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, ने इस युद्ध की समाप्ति के लिए पुतिन और जेलेंस्की दोनों से बातचीत की है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की शांति अपीलों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
इसी तरह, एक वर्ष से इस्राइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध, जिसे नेतन्याहू ने हमास के आतंकियों द्वारा शुरू किया गया बताया है, अभी भी जारी है। इस्राइल का भीषण आक्रमण बढ़ता जा रहा है। धीरे-धीरे इस युद्ध का दायरा बढ़ रहा है, जिसमें लेबनान पर इस्राइली कार्रवाइयां, हिज्बुल्लाह के साथ संघर्ष और सीरिया-ईरान की एकता इस युद्ध के घेरे को विस्तारित कर रही है। बेशक, दुनिया युद्ध नहीं चाहती और आम आदमी, चाहे वह किसी भी कोने में हो, युद्ध की इस अफरातफरी में आवश्यक आपूर्ति के लिए संघर्ष कर रहा है। हाल ही में ईरान की 200 से अधिक मिसाइलें इस्राइल पर दागी गईं, जिससे युद्ध की गतिविधियां बढ़ गई हैं। इसके साथ, दुनिया को अगली चुनौती तेल आपूर्ति संकट के रूप में सामने आ सकती है। यह युद्ध केवल सीधे लड़ रहे देशों तक सीमित नहीं है; इसके पीछे समर्थक देशों का एक छाया युद्ध भी चल रहा है, जो सहायता और संसाधनों की आपूर्ति या लड़ाई में शामिल लोगों को समर्थन देने के रूप में प्रकट होता है। शांति अपीलों के बावजूद, इस संघर्ष का अंत नजर नहीं आ रहा।
हाल ही में इस्राइल और हमास के बीच गाजा पट्टी में जारी लड़ाई और भी भयावह हो गई है। अब यह संघर्ष लेबनान तक पहुंच चुका है, जहां इस्राइल ने दक्षिणी लेबनान के कस्बों को खाली करने का आदेश दिया है। इस्राइली सेना ने हमास के वरिष्ठ कमांडरों को मार गिराने का दावा किया है। इसके बाद, लेबनान में विस्फोटों और हिज्बुल्लाह के प्रमुख नेता नसरल्लाह की मौत के साथ स्थिति और अधिक बिगड़ गई है।
इस्राइली सेना ने तीन महीने पहले गाजा पट्टी में हमास के वरिष्ठ नेता रबही मुश्तहा और दो अन्य कमांडरों को मार गिराया था। मुश्तहा, जो हमास के शीर्ष नेता सिनवार का करीबी सहयोगी था, पर 7 अक्तूबर को इस्राइल पर हुए हमले की साजिश का आरोप है। माना जाता है कि सिनवार गाजा में छिपा हुआ है। युद्ध अब गाजा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि लेबनान, सीरिया और ईरान भी इसमें शामिल हो चुके हैं, परमाणु बम की धमकियां भी दी जा रही हैं।
इस्राइल की लड़ाई लेबनान में भयानक होती जा रही है, जहां उसने फास्फोरस बम दागे हैं। चिकित्सा शिविरों, शरणार्थी शिविरों और स्कूलों पर हमले हो रहे हैं, जबकि कहा जा रहा है कि आतंकी वहां छिपे हुए हैं। हाल ही में बेरूत की एक इमारत पर हवाई हमले में 9 लोग मारे गए, जिसमें रेडक्रास के चार स्वास्थ्यकर्मियों की भी मौत हुई।
सितंबर के अंत से जारी बमबारी में इस्राइल ने बड़ी संख्या में लोगों को मार डाला है, जबकि हिज्बुल्लाह के ठिकानों पर हमले तेज कर दिए हैं। लड़ाई अब बेरूत के मध्य क्षेत्र तक पहुंच चुकी है, जहां संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय और अन्य महत्वपूर्ण इमारतें भी निशाने पर हैं। इस्राइली सेना ने हिज्बुल्लाह के लगभग सैकड़ों ठिकानों पर हमला किया है, और दक्षिणी लेबनान को खाली करने की चेतावनी दी जा रही है, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने इस क्षेत्र को बफर जोन घोषित किया था।
अभी तक इजिप्ट और अन्य कट्टर मुस्लिम देशों ने इस लड़ाई में सीधा हस्तक्षेप नहीं किया है, लेकिन उनकी हमदर्दी का पक्ष स्पष्ट नहीं है। मानवीयता के हनन को हम विभिन्न युद्धों में देख सकते हैं—जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध, इस्राइल-हमास संघर्ष, और हिज्बुल्लाह के साथ बढ़ती लड़ाई। बांग्लादेश में हिंसा और वहां से भारतीय राजदूत की वापसी जैसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि युद्ध मानवता के लिए एक नया संकट लेकर आया है।
इसके अलावा, युद्ध वैश्विक आर्थिक स्थिरता को भी प्रभावित कर रह है। शेयर बाजारों में गिरावट, भारत समेत अन्य देशों में विकास की संभावनाओं को खतरे में डाल रही है। पूंजी निर्माण के लिए निवेश आवश्यक है, और यदि शेयर बाजार की यह स्थिति बनी रहती है, तो विकास की संभावना कैसे बढ़ेगी?

लेखक साहित्यकार हैं।

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