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चरचा हुक्के पै

08:54 AM Sep 16, 2024 IST

दादा भी मार्गदर्शक मंडल में

अपने महेंद्रगढ़ वाले दादा यानी ‘बड़े पंडितजी’ भी अब भाजपा के ‘मार्गदर्शक मंडल’ में शामिल हो गए हैं। 55 वर्षों तक एक ही पार्टी के झंडे और डंडे के साथ रहने वाले चुनिंदा नेताओं में उनकी गिनती होती है। 1977 से महेंद्रगढ़ से लगातार चुनाव लड़ते आ रहे पंडितजी को इस बार पार्टी वालों ने ‘घर’ बैठा दिया। 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने जब सात सीटों पर जीत हासिल करने के बाद विधानसभा चुनावों में ‘एकला चलो’ का नारा दिया तो पंडितजी प्रदेश की सबसे बड़ी कुर्सी के सबसे बड़े दावेदार थे। वैसे तो पंडितजी को 10 साल पहले ही दिल्ली वालों ने तगड़ा ‘झटका’ दे दिया था। लेकिन न जाने क्यों पंडितजी ‘हस्तिनापुर’ से बंधे रहे। अब जिस तरह से उनकी टिकट कटी है, उससे प्रदेशभर के उनके समर्थकों में नाराजगी है और गुस्सा भी। कुछ भाई लोगों ने तो पंडितजी को यह सुझाव भी दिया कि अगला रास्ता चुन लें। लेकिन पंडितजी उस गाय की तरह हैं, जो एक खूंटे से बंधी रहने के बाद इतनी आदी हो जाती है कि खूंटा हो या न हो, उसे इसका अहसास ही नहीं रहता। खैर, फिलहाल पंडितजी का ‘बुढ़ापा’ शायद, ‘लाटसाहब’ की तरह गुजरे, ऐसी उम्मीद तो कम से कम उनके समर्थक कर ही सकते हैं।

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तिजोरी में टिकट

झज्जर जिले में एक ऐसे नेताजी भी हैं, जिन्हें भाजपा से टिकट मिलने के बाद सबसे पहली टिकट की चिंता सताने लगी। नई दिल्ली से टिकट यानी पार्टी का अाधिकारिक पत्र लेकर अपने घर पहुंचने के बाद सबसे पहले टिकट को ‘तिजोरी’ में बंद कर दिया। भाई के साथ रिश्तों में कड़वाहट को दूर करने के लिए पंचायती लोगों ने भूमिका निभाई। इस दौरान किसी ने नेताजी से टिकट दिखाने को कहा तो साफ मना कर दिया। कहने लगे – ऐसे कैसे टिकट दिखा दूं, कोई फाड़ देगा तो। वहीं इधर, कैथल वाले नेताजी ने तो नामांकन-पत्र के समय अपनी टिकट ही गुम कर दी। रिटर्निंग अधिकारी ने दस्तावेजों के साथ जब टिकट मांगी तो नेताजी के होश उड़ गए। इधर-उधर फोन घुमाए। नेताजी ने उस समय चैन की सांस ली, जब बाहर से उनके स्टाफ का एक व्यक्ति टिकट लेकर आता नजर आया। 20 मिनट तक नेताजी का बीपी अप-डाउन होता रहा।

राजा का बेटा ही राजा

हरियाणा की सियासत में यह बात न तो नई है और न ही अजीब। यहां तो कई ऐसे सियासी घराने हैं, जिनकी पीढ़ी-दर-पीढ़ी राजनीति में आना स्वाभाविक है। अब कलायत से चुनाव की तैयारी कर रहीं सोशल एक्टिविस्ट ‘बहनजी’ को पता नहीं यह बात कैसे मालूम नहीं हो पाई। शुरुआती दौर में ही जो झटका लगा वह शायद, उससे वे राजनीति के पहाड़े और गुणा-भाग को समझ सकें। सिविल सर्विस में पहले ही खता खा चुकी युवा एक्टिविस्ट का जोश और युवाओं के मुद्दे उठाने का जुनून काबिले तारीफ है। कैथल वाले नेताजी ने भी टिकट के लिए पूरी कोशिश की, लेकिन हिसार वाले ‘दाढ़ी’ वाले नेताजी भारी पड़े और बेटे के लिए टिकट हासिल कर गए। टिकट कटने के बाद सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा कुछ यूं बयां कि – मेरे पिता कोई बड़े नेता होते तो यूं ऐन मौके पर मेरी टिकट कटती क्या? बहरहाल, कोई टिप्पणी नहीं करूंगी। केवल इतना कहना चाहती हूं कि राजा का बेटा ही राजा बनता है। यही सत्य है। उनकी यह पोस्ट न केवल चर्चा में है बल्कि भाजपा वाले भाई लोगों को भी कांग्रेस को घेरने का मौका मिल गया।

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फरीदाबाद में बड़ा ‘खेल’

फरीदाबाद जिले में विधानसभा की दो सीटों पर इस बार कांग्रेस में बड़ा ‘खेल’ हो गया। तिगांव के पूर्व विधायक ललित नागर और बल्लभगढ़ की पूर्व विधायक शारदा राठौर का टिकट कांग्रेस ने काट दिया। इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी के पास ये मजबूत चेहरे थे। बड़ी बात यह है कि हरियाणा वाले ‘भाई लोग’ इस पूरे घटनाक्रम में खुद को बेबस बता रहे हैं। कहा जा रहा है कि दोनों टिकटें दिल्ली में ‘बड़े-बड़े लोगों’ ने अपने कोटे से दी हैं। वैसे इस कोटा सिस्टम ने अकेले बल्लभगढ़ और तिगांव में ही मजबूत चेहरों को शिकस्त नहीं दी। गुरुग्राम के सोहना में भी इसी तरह का ‘खेला’ हुआ है। अपने सांघी वाले ताऊ के चुनिंदा नजदीकियों में शामिल पार्टी के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष जितेंद्र भारद्वाज की सीट पर भी इस तरह से खेल हो गया। बोलने वालों का तो कोई मुंह बंद नहीं कर सकता। कहने वाले कह रहे हैं कि ‘मैनेजमेंट कोटे’ में यह सीट गई।

कांडा की बेबाकी

अपने सिरसा वाले सेठजी यानी गोपाल कांडा की बेबाकी राजनीतिक गलियारों में बड़ी चर्चाएं बटोर रही है। एक मीडिया चैनल से बातचीत में उन्होंने बिना कुछ छिपाए सबकुछ बता दिया, जता दिया और राज्य में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनने की तरकीब भी बता दी। पिछले दिनों इनेलो वाले भाई साहब, कांडा साहब की कुटिया पर मुलाकात करने भी पहुंचे थे। इनेलो और बसपा में पहले से गठबंधन है। अब कांडा की हलोपा के साथ भी इनेलो-बसपा गठबंधन ने हाथ मिला लिए हैं। कांडा ने मीडिया के सवाल पर कहा – हरियाणा में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनेगी। जब उनसे सरकार बनने का तरीका पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इनेलो-बसपा और हलोपा गठबंधन के सहयोग से भाजपा की सरकार बनेगी। कांग्रेस वाले भाई लोगों को कांडा के इस बयान के बाद भाजपा को घेरने का मौका मिल गया है। वहीं कांडा ने भाजपा के लिए बैठे-बिठाए मुश्किल बढ़ा दी हैं।

दाढ़ी वाले बाबा

अंबाला कैंट के दाढ़ी वाले बाबा 12 मार्च को राज्य में हुए नेतृत्व बदलाव के बाद सुस्त से पड़ गए थे। लेकिन अब विधानसभा चुनावों में वे पूरी तरह से खुलकर बैटिंग के मूड में लग रहे हैं। रविवार को बाबा के दिल की बात भी जुबां पर आ गई। बाबा ने दो-टूक कहा, मैं पार्टी का सच्चा सिपाही हूं। अभी तक मैंने पार्टी से कभी भी कुछ नहीं मांगा। लेकिन इस बार अपनी वरिष्ठता के हिसाब से मैं भी मुख्यमंत्री पद के लिए दावा ठोकूंगा। बाबा का यह बयान हाथों-हाथ सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। कई भाजपाई भाई लोगों के कलेजे में इससे ठंडक पड़ी तो कइयों की बेचैनी बढ़ गई। इस तरह से खुलकर बाबा ने पहली बार मोर्चा संभाला है। एक तरह से उन्होंने संकेत भी दे दिए – अगर तीसरी बार सरकार बनती है तो बाबा बड़ी कुर्सी के लिए खुलकर आवाज बुलंद करने वाले हैं।
-दादाजी

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