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चरचा हुक्के पै

07:39 AM Aug 19, 2024 IST

जोर से झटका हाय जोरों से लगा...
चुनाव आयोग ने हरियाणा में सत्ताधारी भाजपा को जोर का झटका जोर से दे ही दिया। सरकार को सितंबर के पहले पखवाड़े में चुनावों की घोषणा का अनुमान था। इसलिए सीएमओ के अधिकारी सरकार द्वारा की जाने वाली घोषणाओं व फैसलों को लेकर प्लानिंग में जुटे थे लेकिन उनकी प्लानिंग धरी की धरी रह गई। चुनाव का ऐलान एक माह एडवांस होगा, इसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी। हालांकि जिस तरह का भाजपा और सरकार का सिस्टम है, उसके हिसाब से सरकार को इस बात का पहले आभास नहीं होगा, यह बात हजम नहीं हो पा रही है। बेशक, ‘दाढ़ी’ वाले ‘बड़े साहब’ भी कह रहे हैं कि उन्हें आइडिया नहीं था, लेकिन राजनीति के जानकार और अफसरशाही के लोग इस बात को मानने को राजी नहीं हैं। बहरहाल, अब सरकार की सभी प्लानिंग अधूरी रह गई। अब पूरा जोर चुनाव प्रबंधन पर ही लगाना होगा।
‘राजा’ को मिलेगा ‘सम्मान’
अहीरवाल वाले नेताजी यानी ‘राजा साहब’ को इस बार पूरा मान-सम्मान मिल सकता है। भाजपा गलियारों में इस तरह की खबरें हैं कि इस बार नेताजी की पुत्री को विधानसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है। इतना ही नहीं, दक्षिण हरियाणा में आधा दर्जन के करीब उम्मीदवारों के चयन में ‘राजा साहब’ की पसंद-नापसंद काफी महत्व रखेगी। लगातार चौथी बार केंद्र में बतौर राज्य मंत्री कार्य कर रहे नेताजी और उनके समर्थकों में इस बात का मलाल भी है कि सबसे अधिक बार सांसद बनने और सर्वाधिक बार मंत्री रहने का रिकार्ड होने के बावजूद उन्हें कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया। ऐसे में बहुत संभव है कि भाजपा उनकी इस नाराजगी को विधानसभा चुनावों के जरिये दूर करने की कोशिश करे।
सांसदों से पूछ कर देंगे टिकट
भाजपाई सूत्रों की मानें तो पार्टी नेतृत्व विधानसभा चुनावों में सांसदों की भी जिम्मेदारी तय करने की तैयारी में है। इस तरह की भी खबरें हैं कि सांसदों की पसंद से दो-दो हलकों में उम्मीदवार दिए जा सकते हैं। हालांकि इनमें से एकाध को छोड़कर अपने परिवार के लिए टिकट की भागदौड़ कर रहे सांसदों के ये मंसूबे पूरे नहीं हो सकेंगे। सांसदों के कहने से टिकट देने के फार्मूले पर भी इसलिए विचार-विमर्श शुरू हुआ है ताकि उनकी जवाबदेही चुनावों में तय हो सके। जिस भी नेता को सांसद के कहने पर टिकट मिलेगा, उसे जीत दिलवाने की जिम्मेदारी भी फिर संबंधित सांसद की हो जाएगी। यहां बता दें कि कांग्रेस में इस तरह का फार्मूला पहले से लागू है। कांग्रेस में विधानसभा की टिकटों में सांसदों की सिफारिश और राय काफी अहम मानी जाती है।
‘छोटे सीएम’ को झटका
अपने जजपा वाले पुराने ‘छोटे सीएम’ को सरकार से अलग होने के बाद से झटकों पर झटके मिल रहे हैं। भाजपा-जजपा गठबंधन टूटने के बाद बड़ी संख्या में पदाधिकारी पार्टी को अलविदा कह गए। अब चुनावों की घोषणा के बाद फिर से पार्टी के पदों से इस्तीफा देने वालों की लाइन लग गई है। शायद, नेताजी को इस तरह के घटनाक्रम का पहले से पता था, इसलिए वे मानसिक रूप से इसके लिए तैयार भी थे। पार्टी के दस में से छह विधायक पहले से ‘बागी’ सुर अपनाए हुए थे। सातवें वे विधायक हैं, जो जजपा के सबसे भरोसेमंद और पारिवारिक सदस्यों में शामिल थे। लेकिन उन्होंने भी ऐन-मौके पर अपना ‘राजनीतिक रंग’ दिखा दिया है। पता लगा है कि इन नेताजी को ‘कमल’ का ‘रंग’ काफी पसंद आ रहा है।
बेबाक बहनजी
हरियाणा में कांग्रेस वाली ‘बड़ी बहनजी’ अपनी बेबाकी के लिए जानी जाती हैं। दोस्ती करती हैं तो उसे निभाती हैं। लेकिन जब टकराव शुरू होता है तो उसमें भी पीछे नहीं रहती। गुजरात वाले नेताजी के साथ-साथ हरियाणा वाले ‘प्रधानजी’ के खिलाफ पूरा मोर्चा खोला हुआ है। कांग्रेस हाईकमान की मौजूदगी में पूरी मजबूती के साथ अपनी बात रखी। हालांकि यह घटना पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले भी हरियाणा में राजनीतिक फैसलों को लेकर ‘बहनजी’ अपनी आपत्ति दर्ज करवाती रही हैं। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबियों में ‘बहनजी’ की गिनती होती है। हरियाणा में कांग्रेस जनसंदेश यात्रा के जरिये हलकों को कवर करने में जुटी बहनजी ने उस मैसेज को भी खंडित कर दिया है, जिसमें यह प्रचार किया गया था कि राज्य में एसआरबी ग्रुप से ‘आर’ बाहर हो गया है। कैथल वाले नेताजी के कार्यक्रम में पहुंच कर उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि उनका ग्रुप टूटा नहीं है।
कांग्रेसियों में घमासान
कांग्रेस वाले भाई लोगों में विधानसभा टिकट को लेकर अभी से घमासान छिड़ा हुआ है। टिकट के दावेदार सांघी वाले ताऊ से लेकर रोहतक वाले ‘युवराज’, सिरसा वाली ‘बहनजी’, कैथल वाले नेताजी सहित हर उस व्यक्ति की परिक्रमा करने में जुटे हैं, जहां उन्हें जरा भी संभावना नज़र आती है। दिल्ली के चक्कर भी बढ़ गए हैं। प्रभारी के वहां से भी उम्मीदें हैं। हालांकि लोकसभा चुनावों की तरह इस बार भी कांग्रेस में सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर बात चल रही है। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के कई भाई लोगों के समक्ष मुश्किल खड़ी हो सकती है।
काका संभालेंगे मोर्चा
अपने हरियाणा वाले ‘काका’ अब दिल्ली के साथ-साथ हरियाणा में भी मोर्चा संभालेंगे। 26 अगस्त को कुरुक्षेत्र में एससी समाज का प्रदेश स्तरीय आयोजन फाइनल हो गया है। इसमें ‘काका’ बतौर मुख्यातिथि शामिल होंगे। केंद्रीय नेता अर्जुन मेघवाल भी इस आयोजन में आएंगे। ‘काका’ के करीबियों में शामिल और काका के बाद अब दाढ़ी वाले ‘बड़े साहब’ के भी एडवाइजर ने इस आयोजन की कमान अपने हाथों में ली हुई है। दर्जन भर से अधिक शहरों में एससी समाज के लोगों के साथ इस सम्मेलन को लेकर बैठकें हो चुकी हैं। लोकसभा चुनावों में एससी वोट बैंक की वजह से भाजपा को हुए नुकसान को भांपते हुए ही पार्टी ने समाज पर फोकस बढ़ा दिया है।
-दादाजी

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