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चरचा हुक्के पै

07:13 AM Jul 22, 2024 IST
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धरतीपुत्र ‘दादा’

अपने महेंद्रगढ़ वाले ‘दादा’ यानी बड़े पंडितजी के कद की तरह ही उनके राजनीतिक कद को भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बढ़ाने का काम किया है। पिछले दिनों महेंद्रगढ़ के पाली में आयोजित पिछड़ा वर्ग सम्मान समारोह में केंद्रीय मंत्री ने ‘दादा’ को ‘शाही सम्मान’ दिया। उन्हें अहीरवाल का ‘धरतीपुत्र’ कहकर शाह ने जहां ‘दादा’ को सम्मान देने का काम किया वहीं उनके विरोधियों को भी यह संदेश दे दिया कि पंडितजी का मान-सम्मान हाईकमान की नजर में आज भी पहले की तरह कायम है। इससे भी रोचक यह है कि महेंद्रगढ़ का पाली गांव भी सुर्खियों में आ गया है। अक्तूबर-2014 में नरेंद्र मोदी ने पीएम बनने के बाद इसी पाली गांव में रैली की थी। रैली में ‘दादा’ ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की मांग भी की थी। जिस दिन संसद में अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐलान होना था, उससे कुछ समय पहले ही दादा को नई दिल्ली से फोन करके यह सूचित कर दिया गया कि उनकी मांग पूरी हो रही है। हालिया लोकसभा चुनावों में पीएम की भिवानी में रैली का प्लान बना तो पीएमओ की ओर से महेंद्रगढ़ में ही रैली के आयोजन की बात कही गई। ऐसे में एक बार फिर पाली में मोदी की रैली हुई। अब ‘दादा’ के यहां ही शाह की रैली होने से यह गांव चर्चा का केंद्र बन गया है।

और ‘काका’ नहीं पहुंचे

पिछले दिनों महेंद्रगढ़ के पाली में आयोजित पिछड़ा वर्ग सम्मान समारोह में अपने ‘काका’ को भी पहुंचना था। मुख्य मंच पर बाकायदा ‘काका’ के नाम की चेयर लगी हुई थी। खाने की टेबल पर भी काका की चेयर थी, लेकिन ‘काका’ इस आयोजन में नहीं पहुंच सके। ‘काका’ का रैली में नहीं आना राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। सबसे अधिक चर्चा भी भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच ही हो रही है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि दिल्ली में बड़ी जिम्मेदारी के बाद भी ‘काका’ हरियाणा में एक्टिव हैं। ऐसे में उनका नहीं आना वर्करों व नेताओं के बीच नई चर्चाओं को जन्म दे रहा है। हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि ‘काका’ के दिल्ली में पहले से ही कार्यक्रम तय होने की वजह से वे नहीं पहुंच सके।

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अहीरवाल में गरमी

अहीरवाल बेल्ट में राजनीतिक गरमी बढ़ी हुई है। साथ ही, कांग्रेस के दाढ़ी वाले नेताजी की मुश्किलें भी बढ़ी हुई हैं। दिल्ली की टीमों ने दो दिन तक उनके घर, प्रतिष्ठानों सहित कई ठिकानों पर रेड की। बताते हैं कि काफी दस्तावेज भी जुटाए हैं। मामला बैंक के लेन-देन से जुड़ा है। दाढ़ी वाले नेताजी के बेटे पर पहले से ही केस दर्ज है। नेताजी ने हाल ही में लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन भाजपा वाले ‘चौधरी’ के सामने ‘फेल’ हो गए। अब जिस तरह से उन पर शिकंजा कसा गया है, उससे अहीरवाल बेल्ट मुख्य रूप से महेंद्रगढ़ जिले की राजनीति चर्चाओं में आ गई है। विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हुई यह कार्रवाई नेताजी की मुश्किलें और बढ़ाने का काम कर सकती है।

तीसरे ‘माननीय’ संकट में

सोनीपत वाले नेताजी कांग्रेस के तीसरे ऐसे ‘माननीय’ हैं, जो अब संकट में आ चुके हैं। समालखा व महेंद्रगढ़ वाले नेताजी के बाद अब सोनीपत वाले ‘साहब’ बड़े ‘भंवर’ में फंस गए हैं। दिल्ली वाली एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया है। मामला बड़ा उलझा हुआ लगता है। हालांकि कांग्रेस वाले भाई लोग इसे राजनीतिक साजिश करार दे रहे हैं। वे दलील दे रहे हैं कि भाजपा के खिलाफ लोगों के गुस्से और कांग्रेस के पक्ष में बने माहौल से भाजपा बौखला गई है, इसलिए कांग्रेस नेताओं को निशाने पर लिया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, सोनीपत जिले वाले दूसरे नेताजी को लेकर इलाके में यह चर्चा शुरू हो गई है कि युवा नेताजी ने थोड़ी जल्दबाजी कर दी। अगर वे थोड़ा और रुके रहते तो बदले हुए राजनीतिक हालात में उनकी राजनीतिक मंशा ‘हाथ’ के साथ भी पूरी हो सकती थी।

आप का ‘आगाज’

आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में विधानसभा की सभी नब्बे सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। पंजाब वाले मान साहब और पार्टी की दिल्ली टीम के दिग्गज नेताओं ने न केवल चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, बल्कि पंजाब की तर्ज पर हरियाणा के लिए अपनी गारंटियां भी जारी कर दी हैं। तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली वाले ‘सेठजी’ की पत्नी ने अब मोर्चा संभाल लिया है। जिस तरह से उन्होंने हरियाणा में सक्रियता बढ़ाई है, उससे स्पष्ट संकेत है कि पार्टी हरियाणा को लेकर काफी सीरियस हो गई है। लोकसभा चुनाव में आप ने इंडिया गठबंधन के तहत एक सीट पर चुनाव लड़ा। चुनाव में बेशक हार हुई हो लेकिन ‘लालाजी’ को मिले वोट ने पार्टी का मनोबल बढ़ा दिया है। बताते हैं कि कई दिन इंडिया गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने का इंतजार भी किया। लेकिन जब बात नहीं बनी तो सभी सीटों पर मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया। आप के इस फैसले को भाजपा वाले भाई लोग अपने लिए शुभ संकेत के तौर पर प्रचारित कर रहे हैं।

भाग-दौड़ में कसर नहीं

हरियाणा के ‘दाढ़ी’ वाले ‘बड़े साहब’ हद से ज्यादा ही एक्टिव हैं। चंडीगढ़ रहते हैं तो पूरा दिन अधिकारियों के साथ बैठकें करते रहते हैं। सुबह, दोपहर, शाम जब भी लोग कोठी पर पहुंचते हैं तो उनसे मुलाकात भी करते हैं। जहां फील्ड में दौरे बढ़े हुए हैं वहीं दिल्ली के चक्कर भी लगातार लग रहे हैं। लगेंगे भी। विधानसभा के चुनाव जो नजदीक हैं। भाजपा में इस तरह की भी चर्चा है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों ने पार्टी को और अधिक अलर्ट कर दिया है। कहा जा रहा है – अगर लोकसभा चुनावों के नतीजे इस बार भी 2019 की तरह ही आते तो पार्टी विधानसभा चुनावों को लेकर अति-आत्मविश्वास के चलते खता भी खा सकती थी। नतीजों ने जिस तरह का बैलेंस बनाया है, उससे पार्टी को संभालने और हालात को सुधारने का वक्त दे दिया है। तभी तो ‘दाढ़ी’ वाले ‘बड़े साहब’ ना तो अपनी ही सरकार के फैसले को बदलने में वक्त लगा रहे हैं और ना ही लोगों को ‘रेवड़ियां’ बांटने में कंजूसी कर रहे हैं। उनका निशाना, अर्जुन की तरह मछली की आंख पर है।
-दादाजी

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