मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

चरचा हुक्के पै

10:16 AM Jul 01, 2024 IST
Advertisement

नायाब नेतृत्व

दिल्ली से पंचकूला आए ‘शाही मेहमान’ ने ‘शाही अंदाज’ में अपने प्रदेश के दाढ़ी वाले नये मुखिया के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। भाजपा के कई भाई लोगों को लगता था कि भाजपा हरियाणा में भी मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ की तर्ज पर बिना किसी चेहरे के चुनाव लड़ेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ‘काका’ ने अपने ‘शिष्य’ के लिए शुरुआत से ही ऐसी फील्डिंग लगाई हुई है कि ‘काका’ की ‘विदाई’ के बाद नये सिरे से सपने देखने में जुटे भाई लोगों को जल्द ही नींद से जगा दिया है। पंचकूला में शाही तरीके से हर किसी को बता दिया और जता दिया कि दाढ़ी वाले साहब के नेतृत्व में ही ‘नायाब’ तरीके से विधानसभा चुनाव लड़े जाएंगे। इनमें कुछ भाई लोग तो ऐसे हैं, जो पहले से ही काफी ‘जख्मी’ थे। इस घटनाक्रम ने उनके जख्मों को और गहरा करने का काम किया है।

प्रधानगी पर दुविधा

भाजपा में हरियाणा के नये ‘कप्तान’ यानी प्रदेशाध्यक्ष को लेकर पार्टी बड़ी दुविधा में है। लोकसभा चुनाव के नतीजों ने नये समीकरण बना दिए हैं। तीन जातियों पर फोकस किया जा रहा है। इनमें ब्राह्मण, एससी और पंजाबी शामिल हैं। पंजाबी सीएम की जगह बैकवर्ड कार्ड पहले ही खेला जा चुका है। ऐसे में किसी बैकवर्ड नेता को प्रदेशाध्यक्ष की कमान मिलने की दूर-दूर तक गुंजाइश नहीं दिखती। एससी और जाट वोट लोकसभा चुनाव में भाजपा को नहीं मिले। ब्राह्मण वोट बैंक में भी डेंट लगा। ऐसे में पार्टी विधानसभा चुनावों को देखते हुए नये प्रधान का फैसला करने पर मंथन कर रही है। प्रदेश भाजपा के हर नेता और कार्यकर्ता को अपने नये ‘सेनापति’ का इंतजार है। इन सभी के बीच चर्चा भी इसी बात को लेकर है कि सीएम की तरह प्रधानगी के मामले में भी ‘काका’ की पसंद ही चलेगी या फिर इस बार कुछ बदलाव होगा।

Advertisement

राहुल की क्लास

कांग्रेस का दिल्ली नेतृत्व भी हरियाणा के विधानसभा चुनावों को लेकर गंभीर हो गया है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेसियों का मनोबल बढ़ा हुआ है। पिछले सप्ताह नई दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में हरियाणा के नेताओं की ‘क्लास’ लगी। सबसे पहले उन्हें ‘अनुशासन’ का पाठ पढ़ाया गया। मीडिया में किसी भी तरह की बयानबाजी पर रोक लगा दी है। वैसे कांग्रेस में इस तरह की क्लास और पाठ पढ़ाने की घटना पहली बार नहीं हुई है। यह कांग्रेस में ही संभव है कि कुछ भी बोलने के बाद पार्टी में किसी तरह की कार्रवाई नहीं होती। खैर, अब राहुल की इस ताजा-ताजा क्लास का कांग्रेसियों पर कितने दिन और कितना असर रहेगा, यह देखना रोचक रहेगा।

ताऊ की राजनीति

हरियाणा के विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर कांग्रेस की दिल्ली में हुई हाई लेवल मीटिंग में जहां गंभीर मंथन हुआ वहीं हंसी-मजाक भी चला। बैठक में बांगर वाले चौधरी भी पहुंचे थे। बेटे की लोकसभा टिकट कटने के बाद चौधरी उदास भी हुए और नाराजगी भी जताई लेकिन अब विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। बैठक में सांघी वाले ताऊ पर चुटकी लेते हुए कहा – मैं इनसे डेढ़ साल बड़ा हूं और चुनावी राजनीति से संन्यास ले चुका हूं। अब इन्हें भी संन्यास ले लेना चाहिए। हाथों-हाथ जवाब देते हुए सांघी वाले ताऊ ने कहा – ऐसा कुछ नहीं है। अभी मैं एक और टक्कर लेना चाहता हूं। यानी वे इस बार भी पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगे। दोनों दिग्गज नेताओं के बीच चल रही हल्की-फुल्की बातचीत के बीच राहुल गांधी ने कहा – पंजाब वाले कैप्टन अमरेंद्र सिंह भी ऐसा ही कहा करते थे। राहुल की इस चुटकी पर लोग अपने-अपने हिसाब से मायने निकाल रहे हैं।

पंडितजी का गणित

भाजपा वाले एक पंडितजी भी इन दिनों बड़ी दुविधा में नजर आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव में बुरी हार का सामना कर चुके नेताजी पिछले दिनों भाजपा के कार्यक्रम से भी दूर रहे। सूत्रों की मानें तो नई दिल्ली में कई जगहों पर नेताजी की परिक्रमा चल रही है। नेताजी अब विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए अपने लिए नई संभावनाएं तलाश रहे हैं। भविष्य की राजनीति को लेकर पूरा गुणा-भाग किया जा रहा है। इस बार टिकट मिलने में भी देरी हुई। टिकट कटने तक की चर्चाएं आखिरी समय तक चलती रही। खबरें तो इस तरह की भी हैं कि नई दिल्ली में हरियाणा वाले एक बड़े नेताजी की कोठी पर भी उन्हें देखा गया।

नेताजी का दर्द

हरियाणा के बड़े कद वाले पूर्व ‘छोटे सीएम’ का दर्द भी अब उनकी जुबां पर आ गया है। लोकसभा के चुनावों में शर्मनाक नतीजों का सामना करना पड़ा। किसी भी संसदीय सीट पर जमानत बचना तो दूर की बात सम्मानजनक वोट भी नहीं मिल सके। चुनावी नतीजों के कई दिनों बाद विगत दिवस चंडीगढ़ में मीडिया से बातचीत में नेताजी कहने लगे, भाजपा के साथ गठबंधन करना महंगा पड़ गया। भविष्य में कभी भी जजपा का भाजपा के साथ समझौता नहीं होगा। साथ ही, नेताजी ने विधानसभा में सभी नब्बे सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। अब नेताजी के ‘शुभचिंतक’ कह रहे हैं – सवा चार वर्षों तक सत्तासुख भोगा तो यह नहीं सोचा। अब लोगों ने नकार दिया तो फैसले पर मलाल हो रहा है।

भागीदारी के महिलाएं एकजुट

विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत कांग्रेस की महिलाएं भी लामबंद हो रही हैं। मोदी सरकार 2029 के चुनावों में लोकसभा एवं विधानसभाओं में महिलाओं की 33 प्रतिशत भागीदारी का कानून लागू करने का ऐलान कर चुकी है। कांग्रेस हाईकमान यह मांग कर रहा है कि यह अभी से लागू होना चाहिए था। खैर, अब हरियाणा में महिला कांग्रेस ने इस बार के चुनावों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी है। विगत दिवस पंचकूला में ‘नारी न्याय चौपाल’ के बहाने महिलाएं अपनी आवाज बुलंद करती नजर आईं। महिला कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में भी जबरदस्त तरीके से काम किया था। मौजूदा प्रधान सुधा भारद्वाज की कड़ी मेहनत को नेतृत्व ने स्वीकार भी किया है। उनके द्वारा पंचकूला में करवाई गई ‘नारी न्याय चौपाल’ भी कामयाब रही और प्रभारी ने आयोजन के लिए उनकी पीठ थपथपाई। -दादाजी

Advertisement
Advertisement