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चरचा हुक्के पै

08:41 AM Apr 29, 2024 IST
चरचा हुक्के पै
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बांगर के चौधरी का दर्द
अपने बांगर वाले चौधरी यानी राजनीति के ‘ट्रेजडी किंग’ के साथ बैठे-बिठाए इस बार फिर बड़ी ट्रेजडी हो गई। सिटिंग सांसद होने के बावजूद बेटे की टिकट कट गई। उन्होंने पूरे परिवार व समर्थकों के साथ भाजपा छोड़कर घर वापसी तो कर ली, लेकिन लगता है ‘पुराने घरवालों’ ने अच्छे से ‘अपनाया’ नहीं है। बेटे की टिकट कटने के बाद जींद में समर्थकों की पंचायत की। खूब चर्चा हुई। गुणा-भाग भी किया। आखिर में कहा – बृजेंद्र सिंह की एक टिकट कुर्बान कर अपने 20-25 साथियों को चंडीगढ़ पहुंचा सकूं तो फिर 100 बार कुर्बानी देने को तैयार हूं। साथियों का मनोबल बढ़ाते हुए बांगर वाले चौधरी ने कहा – मेरी ताकत मेरे साथियों से है। तुम तगड़े रहो, बाकी डूंडे पाड़ दूंगा। अब नेताजी को कौन समझाए कि उनके समय की कांग्रेस और आज की कांग्रेस में बहुत कुछ बदल चुका है।
तो जरूरी था झटका
बांगर वाले चौधरी के निवर्तमान सांसद पुत्र बृजेंद्र सिंह को इस झटके ने बहुत कुछ सीखा दिया है। बेशक, अब कांग्रेस के लिए प्रचार करने के अलावा दूसरा कोई ऑप्शन नहीं है। तभी तो जींद की पंचायत में नेताजी ने कहा – कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे। कहने लगे – मुझे यह झटका लगना जरूरी था। आईएएस सेवाओं में रहा और आते ही सांसद बन गया। ऐसे में दुनिया को समझ ही नहीं पाया। मैं पहले दुनिया को ब्लैक एंड व्हाइट समझता था। दुनिया ‘ग्रे’ भी है, अब पता चला है मुझे। अब कहने वाले कह रहे हैं नेताजी आपको भले ही नहीं पता था, लेकिन आपके पिताजी तो इस ‘ग्रे’ दुनिया को कई बार भुगत चुके हैं। साथ ही, नेताजी ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि गड़बड़ कांग्रेस हाईकमान के स्तर पर नहीं बल्कि यहीं (हरियाणा) से ही हुई। अब समझने वालों को इशारा ही काफी है कि नेताजी का इशारा किस ओर था।
‘जबरदस्त’ मदद के मायने
कांग्रेस की भिवानी वाली ‘बहनजी’ भी इस बार बेटी को लोकसभा की टिकट नहीं दिलवा सकीं। ग्रुप ने पूरा जोर भी लगाया, लेकिन बात नहीं बन सकी। महेंद्रगढ़ वाले राव साहब का दावा मजबूत दिखा। खैर, बहनजी ने बेटी की टिकट कटने के बाद समर्थकों की बैठक बुलाई और आगे की रणनीति तय की। इशारों-इशारों में बहनजी ने बहुत कुछ कह दिया। कहने लगीं, 2019 के लोकसभा चुनावों में राव दान सिंह ने जितना जबरदस्त समर्थन दिया था, उससे भी अधिक ‘जबरदस्त’ तरीके से उन्हें (दान सिंह को) समर्थन दिया जाएगा। अब बहनजी की ‘जबरदस्त मदद’ राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का विषय बन गई है।
परिवार का उलहाना
सैनी साहब को आदमपुर वाले परिवार से बड़ा उलाहना मिला है। दिल्ली में परिवार को मनाने पहुंचे सैनी साहब को परिवार ने अपना दर्द बताया। पता लगा है कि यहां तक कह दिया कि उनके साथ इंसाफ नहीं हुआ। वैसे परिवार के समर्थकों को नेताजी के बेटे के मंत्री बनने की बड़ी उम्मीद थी, लेकिन बात नहीं बन पाई। खुद नेताजी लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन यहां भी टिकट नहीं मिली। ऐसे में परिवार नाराज होकर घर बैठ गया। खैर, अब सैनी साहब से मुलाकात के बाद ग्राउंड में उतरने का भरोसा दिया है। इस मुलाकात के दो दिन बाद नेताजी के विधायक बेटे को प्रदेश के युवाओं को पार्टी से जोड़ने की बड़ी जिम्मेदारी मिल गई है। देखते हैं, कितना असर इस सियासी परिवार पर पड़ता है।
फायर ब्रांड काका
‘काका’ खुलकर बैटिंग कर रहे हैं। राजनीति की कोई बॉल खाली नहीं जाने देते। पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में लगातार विजय संकल्प रैलियां और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं। विगत दिवस रोहतक में ‘युवा चौपाल’ में हुए ‘मनोहर संवाद’ में भी खूब दिल की बातें की। भाजपा के प्रति जिस वर्ग विशेष के नाराज होने की बात कही जा रही है, उसी के युवाओं के साथ संवाद का यह निचोड़ निकला कि ‘काका’ की सरकार द्वारा नौकरियों के लिए शुरू किए गए सिस्टम का ग्राउंड पर असर है। चूंकि आयोजन रोहतक में था तो यहां के ‘चौधरियों’ पर भी काका खूब बरसे। ‘बाबू-बेटा’ का इस्तेमाल करते हुए कहा – बाबू इसी कोशिश में है कि किसी भी तरह से बेटे को जितवा दूं। ‘काका’ खुद भी चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में बाकी संसदीय सीटों पर काम करने के साथ-साथ अपने इलाके की भी पूरी प्लानिंग कर रहे हैं।
ताऊ का जलवा
सांघी वाले ताऊ ने साबित कर दिया है कि कांग्रेस हाईकमान में उनकी मजबूत पकड़ है। विरोधियों की तमाम कोशिशों और अवरोधों को लांघते हुए ताऊ अपनी पसंद के नेताओं को लोकसभा की टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। हिसार और भिवानी-महेंद्रगढ़ में तो दिग्गज नेताओं को पटकनी दे दी। प्रत्याशियों के चयन में भी ताऊ ने पूरी गंभीरता से काम किया है। अब उनके मापदंडों पर कोई सवाल नहीं उठा पा रहा है। हालांकि अभी सांघी वाले ताऊ की इससे भी बड़ी परीक्षा होनी बाकी है। यह परीक्षा होगी, अपनी पसंद से टिकट दिलवाने वाले नेताओं की चुनावी मैनेजमेंट। चूंकि टिकट हासिल करने वालों में कुछ चेहरे ऐसे भी हैं, जिनकी खुद की चुनावी मैनेजमेंट ताऊ के मंसूबों पर भारी पड़ सकती है।
‘मंत्रीजी’ ने संभाला मोर्चा
रोहतक वाले ‘मंत्रीजी’ ने भी मोर्चा संभाल लिया है। ये कहने को बेशक पूर्व हैं, लेकिन यहां के लोग इन्हें अब भी मंत्रीजी ही कहकर बुलाते हैं। यहां से भाजपा प्रत्याशी के साथ छत्तीस का आंकड़ा है। शुरुआत में लग रहा था कि ‘मंत्रीजी’ का साथ पंडितजी को नहीं मिल पाएगा लेकिन मंत्रीजी के पास दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है। ‘हस्तिनापुर’ से बंधे ‘मंत्रीजी’ चाहकर भी भाजपा प्रत्याशी का विरोध नहीं कर सकेंगे। ऐसे में उन्होंने अपनी टीम को एक्टिव किया हुआ है। खुद भी पूरे मन से लग गए हैं। विगत दिवस ‘काका’ भी रोहतक दौरे पर थे। इस दौरान भी रणनीति तय हुई।
बहनजी का आगाज़
कांग्रेस वाली ‘बहनजी’ ने भी अपना चुनावी आगाज़ कर दिया है। शुरुआती दौर में भी सिरसा पार्लियामेंट के सभी कांग्रेसियों को एक मंच पर लाकर उन्होंने अपनी ताकत दिखा दी। चुनावी कार्यालय खोलने की शुरुआत कर दी है। अपने सांघी वाले ताऊ के ओएसडी रह चुके डबवाली वाले नेताजी ने तो तीन विधानसभा हलकों की जिम्मेदारी भी ले ली है। फतेहाबाद वाले पूर्व विधायक और ताऊ के समर्थक नेताजी भी खुलकर मैदान में आ गए हैं। कल फतेहाबाद में रोड-शो का कार्यक्रम शहर से होना था, लेकिन नेताजी ने खुद ही अपने गांव गिलाखेड़ा से रोड-शो करवाने का फैसला लिया है।
-दादाजी

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