चरचा हुक्के पै
जनता हैरान, नेता परेशान
कांग्रेस की टिकटों को लेकर दिग्गज नेताओं में ठनी हुई है। पूरा घमासान मचा हुआ है। ‘दिल्ली दरबार’ तक बड़ी दुविधा में है। पिछले महीनेभर से टिकटों को लेकर अनेक बैठकें हो चुकी हैं। वन-टू-वन चर्चा भी हुई है और सामूहिक बैठकें भी हुई हैं, लेकिन प्रत्याशियों का चयन नहीं हो पा रहा। टिकट आवंटन में हो देरी से नेता जहां परेशान हैं, वहीं जनता हैरान है। सबसे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस के संभावित प्रत्याशियों को लेकर आम लोगों में चर्चा है। लोगों द्वारा पार्टी को सुझाव भी दिए जा रहे हैं, लेकिन कांग्रेसी दिग्गज आपस में ही उलझे हुए हैं। धड़ों में बंटी कांग्रेस की गुटबाजी ने दिल्ली वाले ‘भाई लोगों’ को भी बड़ी दुविधा में डाला हुआ है। बहरहाल, अब हर किसी की नज़र कांग्रेस के टिकट आवंटन पर है। सच यह भी है कि कांग्रेस के प्रत्याशी मैदान में आने के बाद चुनावी माहौल बनेगा।
महामुकाबले पर निगाहें
हरियाणा के लोगों की नजरें इस बार हिसार में होने वाले चौ. देवीलाल परिवार के महामुकाबले पर टिकी हैं। प्रदेश की सियासत में यह पहला मौका है, जब देवीलाल परिवार के तीन सदस्य एक ही सीट से आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने देवीलाल पुत्र चौ. रणजीत सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं चौटाला की पार्टी इनेलो से पूर्व विधायक प्रताप चौटाला की पुत्रवधू सुनैना चौटाला ताल ठोक चुकी हैं। चौटाला पुत्र अजय चौटाला की पत्नी नैना सिंह चौटाला जजपा टिकट पर चुनावी रण में आ चुकी हैं। नैना और सुनैना आपस में जेठानी-देवरानी हैं और रणजीत सिंह दोनों के चाचा ससुर हैं। यह अपनी तरह का पहला ही चुनाव होगा, जब परिवार के ही सदस्य एक-दूसरे पर छींटाकसी करते नज़र आएंगे और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलेगा।
‘बुल्डोजर’ की एंट्री
चौ. बंसीलाल के ‘बुल्डोजर’ यानी प्रदेश के पूर्व सहकारिता मंत्री सतपाल सांगवान की भाजपा में एंट्री ने कइयों की परेशानी बढ़ा दी है। 2019 में जजपा टिकट पर दादरी से चुनाव लड़ चुके सांगवान को भीतरघात ही नहीं कुछ ‘अपनों’ ने भी नुकसान पहुंचाया था। विगत दिवस सोनीपत में पूर्व सीएम मनोहर लाल ने उन्हें विधिवत रूप से भाजपा में एंट्री करवा कर विधानसभा चुनावों के लिए अपने इरादों को भी स्पष्ट कर दिया है। ओल्ड भिवानी में प्रभाव रखने वाले सांगवान के भाजपा में आने के बाद यहां से लोकसभा चुनाव लड़ रहे धर्मबीर सिंह को भी बूस्ट मिल सकता है। दादरी के विकास को लेकर अकसर आवाज उठाते रहे पूर्व सहकारिता मंत्री ने भाजपा में ज्वाइनिंग के दौरान भी विकास के मुद्दे को याद किए रखा। आखिर में ‘काका’ को कहना पड़ा – करनाल पार्लियामेंट और दादरी हलके अब मेरे हैं।
चुनावों के शोर में गुम कुंडू
अपने महम वाले कुंडू साहब भी अचानक ‘ठंडे’ पड़ गए हैं। खुद का राजनीतिक दल बना चुके नेताजी लोकसभा चुनावों में शायद भाग नहीं लेंगे। उनका निशाना अगले विधानसभा चुनाव हैं। प्रदेश में लोकसभा चुनावों के चलते सभी छोटी-बड़ी पार्टियों में गहमागहमी देखने को मिल रही है, लेकिन कुंडू साहब न तो लोगों के बीच चर्चा में हैं और न ही चुनावों में किसी तरह की रुचि ले रहे हैं। कुछ समय पहले ऐसी भी चर्चा चली थी कि कुंडू साहब खुद भी लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा सकते हैं, लेकिन अब लगता नहीं कि वे ऐसा कोई कदम उठाएंगे। उनके करीबियों के अनुसार, नेताजी को पता है कि लोकसभा चुनाव लड़ने का कोई फायदा नहीं है। उलटा ऐसा करने पर गलत ही संदेश जा सकता है। ऐसे में विधानसभा चुनावों में ही जोर-आजमाइश होगी।
बिश्नोई परिवार की चुप्पी
हिसार से पार्लियामेंट टिकट चौ रणजीत सिंह को मिलने के बाद बिश्नोई परिवार ने चुप्पी साधी हुई है। पूर्व सीएम चौ. भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई तथा उनके पोते और आदमपुर विधायक भव्य बिश्नोई ने चुनाव से दूरी बनाई हुई है। असल में कुलदीप बिश्नोई खुद हिसार से चुनाव लड़ना चाहते थे और उन्होंने टिकट के लिए जोर भी खूब लगाया। मनोहर लाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बदले हुए राजनीतिक हालात में भव्य बिश्नोई के मंत्री बनने की भी चर्चा थी। अब ना तो भव्य मंत्री ही बन सके और ना ही कुलदीप को कहीं से लोकसभा टिकट मिला। ऐसे में समर्थकों और समुदाय के लोगों में भी नाराज़गी है। रणजीत सिंह के आदमपुर हलके के दौरे के दौरान भव्य बिश्नोई के फोटो भी लगाए गए लेकिन वे कार्यक्रमों में नहीं पहुंचे। माना जा रहा है कि बिश्नोई परिवार की इस चुप्पी और बेरुखी पर पार्टी खुद हस्तक्षेप कर सकती है।
काका ने फिर बढ़ाया क्रेज
पिछले दस-पंद्रह दिनों से अपने ‘काका’ भाजपा के प्रति लोगों में क्रेज बढ़ाने और माहौल बनाने में जुटे हैं। एक के बाद एक विजय संकल्प रैलियां कर रहे काका विभिन्न दलों के नेताओं को भी भाजपा ज्वाइन करवा रहे हैं। विपक्षी पार्टियां जहां इस बार भाजपा के खिलाफ माहौल होने का प्रचार कर रहे हैं वहीं कई बड़े चेहरों को भाजपा में शामिल करवा कर उन्होंने नये संकेत दे दिए हैं। समाजसेवी कप्तान मीनू बैनीवाल, पूर्व सहकारिता मंत्री सतपाल सांगवान, उमेद पातूपास, जजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष राधिका गोदारा व फरीदाबाद से जजपा प्रत्याशी रहे कुलदीप तेवतिया सहित कई चेहरों को ‘काका’ भगवा रंग में रंग चुके हैं। यानी विपक्ष द्वारा बनाए जा रहे माहौल के बीच ‘काका’ की ‘मैनेजमेंट’ अलग ही कहानी बयां कर रही है।
बैठा-बिठाए टीआरपी
कांग्रेस में कुछ चेहरे ऐसे भी हैं, जो मैदान में नहीं हैं, लेकिन उनकी टीआरपी वैसे ही बढ़ी हुई है। मूल रूप से जींद जिले के गंगोली के रहने वाले सतपाल ब्रह्मचारी उत्तराखंड की राजनीति में एक्टिव हैं। हरिद्वार नगर परिषद के चेयरमैन रह चुके हैं। हरिद्वार से कांग्रेस टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। उनके सोनीपत से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है। पिछले कई दिनों से नई दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। अपने सांघी वाले ताऊ के साथ भी लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। अब ब्रह्मचारी को टिकट मिलेगी भी या नहीं, इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। लेकिन सोनीपत पार्लियामेंट में उनके नाम की चर्चा जरूर सुनने को मिल ही है। ब्रह्मचारी के मैदान में आने के बाद के समीकरणों का भी गुणा-भाग लोग कर रहे हैं।
-दादाजी