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चरचा हुक्के पै

08:27 AM Apr 15, 2024 IST

भजन-चौटाला से नजदीकी

अपने ‘काका’ इन दिनों लोकसभा चुनावों को लेकर धुआंधार बैटिंग कर रहे हैं। सिरसा और हिसार संसदीय सीट पर तो पूरी मोर्चाबंदी की हुई है। इन दोनों संसदीय क्षेत्रों में लगातार कई चुनावी जनसभाओं को संबोधित कर चुके हैं। पिछले सप्ताह हिसार व सिरसा में दौरों के वक्त दो पूर्व मुख्यमंत्रियों भजनलाल और ओमप्रकाश चौटाला के प्रति टिप्पणी भी करने से पीछे नहीं हटे। हिसार में भजनलाल को लेकर की गई टिप्पणी फतेहाबाद पहुंचते-पहुंचते बदल गई। काका ने भजनलाल के साथ नजदीकियां बताईं। साथ ही, उनके साथ अपने संबंधों का भी जिक्र किया। यह भी कहा कि वे दोनों से मिला करते थे। वहीं चौटाला के प्रति की गई टिप्पणी के बाद अपने ‘बिल्लू’ भाई साहब आग-बबूला हो गए। काका को लीगल नोटिस देने की चेतावनी दे दी है। वैसे काका के रिश्ते तीसरे लाल यानी चौ. बंसीलाल के साथ भी रहे हैं। उनके साथ हुआ विवाद भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय रह चुका है।

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सेठजी की दूरी

कुरुक्षेत्र वाले ‘सेठजी’ इन दिनों विदेश यात्रा पर हैं। बड़ी जद्दोजहद के बाद चुनाव लड़ने के लिए राजी हुए सेठजी ने टिकट मिलने के बाद तीन-चार दिन तो संसदीय क्षेत्र में बैठकें की। बताते हैं कि वे विदेश से लौटे थे और आते ही उन्हें टिकट मिल गया। अब वह फिर विदेश गए हुए हैं। सेठजी की बिजनेस की मजबूरी भी इस यात्रा की वजह हो सकती है। अब पीछे से उनकी माता और पूर्व मंत्री ने चुनावी प्रचार की कमान संभाली हुई है। वे चाय-पान कार्यक्रमों के जरिये लोगों से मेल-मिलाप कर रही हैं, लेकिन चुनावों के बीच सेठजी का देश से बाहर होना संसदीय क्षेत्र में चर्चाओं का विषय बना हुआ है।

पहले आप-पहले आप

जजपा व इनेलो वाले भाई लोगों ने नवरात्रों में लोकसभा प्रत्याशियों का ऐलान करने की बात कही थी। नवरात्र भी संपन्न होने वाले हैं, लेकिन चौटाला परिवार से जुड़ी दोनों पार्टियों में पहले आप-पहले आप लगी हुई है। कांग्रेस प्रत्याशियों के ऐलान में भी देरी हो रही है। माना जा रहा है कि दोनों ही पार्टियां कांग्रेस प्रत्याशियों का इंतजार कर रही हैं ताकि उसके हिसाब से समीकरण साधते हुए अपने प्रत्याशियों का फैसला किया जा सके। राजनीतिक हालात ऐसे हैं कि ये दोनों ही दल अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जजपा वाले भाई लोग तो फिर भी करीब साढ़े चार वर्षों तक सत्तासुख भोग चुके हैं, लेकिन इनेलो वाले भाई लोग 2005 के बाद से सत्ता से दूर हैं।

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करनाल काे नायब का इंतजार

सीएम सिटी रहे करनाल के लोगों को नायब का इंतजार है। भाजपा ने उपचुनाव में सीएम नायब सैनी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। नेताजी के पास सीएम के साथ पार्टी प्रधान की भी जिम्मेदारी है। लोकसभा चुनावों के चलते बहुत बिजी चल रहे हैं। ऐसे में प्रत्याशी घोषित होने के बाद से आज तक पूरा एक दिन करनाल में नहीं लगा पाए हैं। करनाल के मतदाताओं को इंतजार है कि कब उनके उम्मीवार करनाल आएंगे और पूरा एक दिन लोगों के साथ वन-टू-वन होंगे।

अधूरे रह गए अरमान

बांगर वाले चौधरी के अरमान इस बार भी अधूरे ही रह गए। पिछले छह महीनों से वह भाजपा में रहते हुए कांग्रेस में धमाकेदार एंट्री करने की फिराक में थे। उनकी मंशा थी कि बड़ी रैली करते और उसमें बड़ी भीड़ जुटाकर शक्ति प्रदर्शन के साथ घर वापसी करते। लोकसभा चुनावों की व्यस्तता के चलते सोनिया और राहुल गांधी में से किसी का समय नहीं मिल पाया। ऐसे में चौधरी को नयी दिल्ली में ही पार्टी ज्वाइन करनी पड़ी। वहां भी अपने ताऊ की मजबूत फील्डिंग इतनी जबरदस्त थी कि पार्टी का पटका भी उन्हीं के हाथों बीरेंद्र सिंह को पहनाया गया। खैर, अभी सपने टूटे नहीं हैं। बेटे को टिकट मिलने के बाद बड़ी रैली करके केंद्र के नेताओं को बुलाने की कोशिश जारी रहेगी।

परेशानी में गुप्ताजी

आम आदमी पार्टी वाले ‘गुप्ताजी’ बड़ी दुविधा में फंसे हैं। पार्टी सुप्रीमो और दिल्ली वाले ‘लालाजी’ के जेल जाने के चलते उनके प्रचार को झटका लगा है। लालाजी के अलावा पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का कुरुक्षेत्र आकर मोर्चा संभालने का प्लान था लेकिन ऐन मौके पर नेताजी की गिरफ्तारी हो गई। ऐसे में पार्टी के बड़े नेता कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं ताकि नेताजी को जमानत मिल सके। हालांकि गुप्ताजी प्रदेश के अकेले ऐसे नेता हैं, जो टिकट की घोषणा होने के बाद से अभी तक संसदीय क्षेत्र में डटे हुए हैं। अब यह देखना रोचक रहेगा कि लालाजी को दिल्ली और पंजाब से कितनी मदद मिल पाएगी।

कप्तान का जलवा

ऐलनाबाद वाले ‘कप्तान’ के चर्चे पूरी भाजपा में हैं। बेशक, मन से वे काफी पहले से ही संघ और भाजपा के हो चुके थे, लेकिन पिछले दिनों ‘काका’ ने उन्हें अाधिकारिक तौर पर भाजपा का पटका पहना दिया। काका ने यह कहकर कप्तान का कद बढ़ाने का काम भी किया कि भाजपा को जब-जब उनकी जरूरत पड़ी है, उन्होंने पूरी मेहनत से काम किया है। साफ तो काका ने कुछ नहीं कहा, लेकिन माना यही जा रहा है कि काका का इशारा ऐलनाबाद और आदमपुर उपचुनाव के लिए कप्तान द्वारा लगाई गई फील्डिंग की ओर था। हालांकि इस बार कप्तान के सामने भी बड़ी ‘अग्निपरीक्षा’ होगी। हिसार और सिरसा संसदीय सीट पर वह पार्टी को कितना फायदा पहुंचा पाते हैं, इस पर सभी की नजर लगी है।

बाबरिया का स्टैंड

प्रदेश के कांग्रेसियों में लोकसभा टिकट आवंटन को लेकर घमासान मचा हुआ है। इस दौरान राज्यसभा की एक सीट को लेकर भी खूब चर्चा हुई। यह भी दलील दी गई कि पार्टी को यह सीट हाथों से नहीं जाने देनी चाहिए। इसके लिए एंटी खेमे ने सांघी वाले ताऊ को चुनाव लड़वाने की मांग भी पार्टी के सामने उठाई। प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने बोल्ड स्टैंड लेते हुए मीडिया के सामने ही ताऊ के चुनाव नहीं लड़ने का फैसला स्पष्ट कर दिया। हालांकि इसके बाद भी चर्चा तो जरूर हुई लेकिन प्रभारी के बयान के बाद मामला ठंडा पड़ गया।
-दादाजी

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