चरचा हुक्के पै
राहुल की पाठशाला
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पिछले सप्ताह चंडीगढ़ में हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को अनुशासन का ‘पाठ’ पढ़ाया। बेशक, यह बात राहुल गांधी भी अच्छे से समझ चुके हैं कि प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के सिर आपस में मिलाना और उन्हें एक मंच पर लाना दूर की कौड़ी है। इसीलिए तो पार्टी के हरियाणा मामलों के प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने भी प्रेस ब्रीफिंग में साफ-साफ कह दिया कि गुटबाजी है और उससे पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन राहुल गांधी ने जिस तरह के तेवर दिग्गजों की बैठक में दिखाए, उससे स्पष्ट है कि वे संगठन गठन को लेकर पहली बार इतने गंभीर हुए हैं। राहुल दिल्ली से सटे इस सूबे को लेकर कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा संगठन गठन और जिलाध्यक्षों के रूप में सामने आने वाले चेहरों से काफी हद तक स्पष्ट हो जाएगा। अब यही बात देखने वाली होगी कि वे किस तरह से संतुलन बनाते हैं।
पिता-पुत्र को भी साधा
राहुल गांधी ने चंडीगढ़ की बैठक के दौरान गुटबाजी से त्रस्त कांग्रेस में, जहां नया जोश भरने का काम किया, वहीं उन्होंने पिता-पुत्र की जोड़ी को भी साधने की कोशिश की। उनके हाव-भाव और बातचीत के तौर-तरीकों से एक बार भी ऐसा नहीं झलका कि वे किसी के पक्ष में या किसी के खिलाफ हैं। हालांकि, प्रदेश में लगातार तीसरी बार हुई हार के ‘दर्द’ को वे छुपा नहीं सके। सांघी वाले ताऊ को जहां गाड़ी में साथ लेकर उनका मान-सम्मान बढ़ाया। वहीं, रोहतक वाले ‘युवराज’ के कंधे पर हाथ रखकर उन्होंने उनके साथ भी अपनापन दिखाने और जताने की कोशिश की।
इन्हें यूं मिला सम्मान
राहुल ने जब केंद्रीय व प्रदेश पर्यवेक्षकों की बैठक ली तो उस समय प्रदेश कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता उनके साथ मुख्य मंच पर बैठे नजर आए। बांगर वाले चौधरी साहब पर्यवेक्षकों के बीच बैठे थे। राहुल की उनसे नजरें भी मिलीं। इसके बाद जिस तरह का वाक्या हुआ, उससे स्पष्ट है कि राहुल को यह बात अखरी। उनकी आंखों को पढ़ चुके केसी वेणुगोपाल ने तुरंत बांगर वाले चौधरी को मंच पर आमंत्रित किया। चौधरी को एक नहीं, बल्कि दो बार मंच पर आने का न्योता दिया गया। चौधरी के मंच पर आने के बाद कैथल वाले ‘भाई साहब’ ने वेणुगोपाल के कान में कुछ बोला। इसके बाद सिरसा वाले डॉक्टर साहब और रेवाड़ी वाले ‘एंग्री-यंगमैन’ यानी ‘कप्तान साहब’ को भी तुरंत मंच पर बुलाया गया। इस तरह से राहुल की इस बैठक में इन तीनों नेताओं को भी सम्मान मिला।
एयरपोर्ट पर गुफ्तगू
कैथल वाले ‘भाई साहब’ की राहुल गांधी के साथ नजदीकियां किसी से छुपी नहीं हैं। यह नजदीकियाें का ही नतीजा है कि कैथल वाले नेताजी को प्रदेश में कम, बाहर काम करने का अधिक मौका मिल रहा है। वर्तमान में भी वे सत्तारूढ़ एक प्रदेश के इंचार्ज बने हुए हैं। चंडीगढ़ से नयी दिल्ली लौटते हुए राहुल ने कैथल वाले नेताजी के साथ चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर काफी देर तक गुफ्तगू की। जिस तरह से दोनों नेताओं के बीच बातचीत हो रही थी, उससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी बड़े और गंभीर मुद्दे पर चर्चा हुई होगी। बातचीत का यह वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। यह बात अलग है कि कुछ मिनटों की बातचीत का यह वीडियो कई भाई लोगों को बड़ा परेशान कर गया है।
बहनजी के तेवर
सिरसा वाली ‘बहनजी’ बोलने से कभी पीछे नहीं हटतीं। चंडीगढ़ में पर्यवेक्षकों की बैठक से पहले ही चुनावों में हार को लेकर अपने तेवर दिखा चुकी बहनजी ने बैठक में भी राहुल के सामने ही गंभीर सवाल उठा दिए। चुनावी नतीजों के सात महीनों के बाद ही हार के कारणों का निष्कर्ष नहीं निकालने और संगठन की बैठक नहीं होने का मुद्दा उठाकर उन्होंने कइयों को हैरानी में डाल दिया। ‘बहनजी’ को गांधी परिवार के सबसे नजदीकियों में माना जाता है। राहुल गांधी ने भी बहनजी के राजनीतिक कद का पूरा ख्याल रखा। तभी तो एयरपोर्ट तक अपनी गाड़ी में उन्होंने बहनजी को साथ ही रखा।
‘फादर’ और नैरो मार्जन
राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई दिग्गज नेताओं की बैठक में विधानसभा चुनाव में हुई हार को लेकर भी थोड़ी देर बातचीत हुई। बैठक में यह मुद्दा भी उठा कि चुनाव में जीत हासिल होने पर जीत का श्रेय लेने की होड़ लग जाती है। लेकिन हार के बाद हार का जिम्मा लेने वाला कोई ‘फादर’ नहीं होता। बताते हैं कि राहुल ने बैठक में ही कहा कि हार के लिए वे बैठे हैं ना। ठीक उसी फिल्मी डायलॉग की तरह- मैं हूं ना। राहुल ने यहां तक कह दिया कि हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराएं। वहीं, बैठक में नैरो मार्जिन यानी मामूली अंतर से हार का मामला भी उठा। इस पर राहुल ने कहा- चुनाव में नैरो मार्जिन कुछ नहीं होता। या तो जीत होती है या फिर हार।
एकछत्र ‘राज’ नहीं
राहुल गांधी की इस बैठक से यह तो स्पष्ट हो गया कि अब प्रदेश कांग्रेस में सबकुछ एकतरफा नहीं होगा। आमतौर पर प्रदेशाध्यक्ष और सीएलपी लीडर मिलकर जिलाध्यक्ष व संगठन का गठन कर लिया करते थे। लेकिन इस बार केंद्रीय पर्यवेक्षक जिलाध्यक्ष के लिए पैनल बनाएंगे। राहुल ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों की भी क्लॉज-डोर मीटिंग लेकर उन्हें साफ-साफ समझा दिया है कि मैं, मेरा और हमारा के चक्कर में न पड़ें। न ही किसी नेता से दबें। निष्पक्षता के साथ ग्राउंड से रिपोर्ट लेकर पार्टी को पूरा फीडबैक दें।
मिलेगा नया प्रधान
राहुल की इस बैठक के बाद यह भी तय हो गया कि हरियाणा में कांग्रेस को नया प्रधान मिलेगा। अकेले प्रधान नहीं, बल्कि विधायक दल के नेता के फैसले में भी अब अधिक देरी नहीं होगी। सीएलपी लीडर अभी तक इसीलिए नहीं बन पा रहा था, क्योंकि प्रदेशाध्यक्ष का फैसला भी पार्टी नेतृत्व को करना था। अब दिल्ली से जिस तरह की खबरें मिल रही हैं, उससे स्पष्ट है कि जिलाध्यक्षों की घोषणा से पहले पार्टी नेतृत्व इन दाेनों पदों पर निर्णय करेगा। निर्णायक घड़ी नजदीक होने की वजह से प्रदेश के कई कांग्रेसी ‘भाई लोगों’ की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। उनका बीपी अप-डाउन हो रहा है।
आखिर में हम आपके कौन
राहुल गांधी जब चंडीगढ़ के सेक्टर-9 स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में दिग्गज नेताओं के साथ बैठक ले रहे थे तो उसी दौरान कार्यालय के बाहर पुलिस और वर्करों में कहासुनी चल रही थी। प्रदेशभर से आए वर्कर राहुल गांधी से मिलना चाहते थे। लेकिन सिक्योरिटी प्रोटोकॉल के चलते चंडीगढ़ पुलिस ने कार्यालय के सामने स्थित पार्क से बाहर किसी वर्कर को नहीं आने दिया। इस बात से कई वर्कर नाराज भी हुए। इसी नाराजगी में कुछ वर्करों ने कहा- चुनाव में हार के कारण नेता तो अंदर एसी में बैठे हैं और पार्टी को सत्ता में लाने का दम रखने वाले वर्कर बाहर पुलिस के साथ दो-दो हाथ कर रहे हैं। इन वर्करों का इशारा सीधे तौर पर कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी और आपसी खींचतान की ओर था।
-दादाजी।