चरचा हुक्के पै
‘गुरुजी’ वाला स्टाइल
अपने दाढ़ी वाले ‘बिग बॉस’ भी अपने ‘गुरु’ यानी पहले हरियाणा में और अब दिल्ली में एक्टिव ‘काका’ के स्टाइल में ही काम कर रहे हैं। प्रदेश में सवा नौ वर्षों से अधिक समय तक सबसे बड़ी कुर्सी पर रहे ‘काका’ का जलवा अब भी कम नहीं हुआ है। अपने दाढ़ी वाले ‘बिग बॉस’ ने ‘काका’ की तरह खजाने वाला महकमा अपने पास ही रखा है। वे फरवरी के आखिरी या फिर मार्च के पहले पखवाड़े में मौजूदा सरकार और खुद का भी पहला सालाना बजट पेश करेंगे। बजट को लेकर वे विभिन्न वर्गों के लोगों से ठीक काका के स्टाइल में संवाद शुरू कर चुके हैं। प्री-बजट बैठकों के जरिये ग्राउंड पर लोगों की समस्याओं, जरूरतों व प्रदेश के लिए जरूरी कार्यों को समझ रहे हैं ताकि उसी हिसाब से बजट तैयार किया जा सके। विभिन्न कैटेगरी के लोगों के साथ हो रही बैठकों में मंत्री भी शामिल हो रहे हैं। यानी दाढ़ी वाले ‘बिग बॉस’ खुद के साथ-साथ मंत्रियों के अनुभव को भी बढ़ाने में जुटे हैं।
बैरियर ना लगाओ
मौके पर चौका मारना कोई गोहाना वाले पंडितजी से सीखे। प्रोग्राम सामाजिक हो या राजनीतिक। मतलब निकालने और मतलब समझाने में महेंद्रगढ़ आले पंडितजी को भी माफ करते हैं। अभी 2 दिन पहले बहादुरगढ़ में माता सावित्री बाई फुले के जयंती समारोह में भी ऐसा ही कुछ हुआ। दरअसल, अपने संबोधन में महम हलके के किसी विकास कार्य का जिक्र करके राज्यसभा सांसद जांगड़ा ने कह दिया कि सीएम साहब के काम में और लोगों से मिलने में नम्बर पूरे हैं। भाजपा की सरकार 10-15 साल कहीं नहीं जा रही। अब उनके बाद बोलने आए गोहाना वाले पंडितजी ने जांगड़ा की बात को बड़ा करते हुए न केवल सीएम सैनी के लिए कसीदे कढ़े बल्कि कह भी दिया कि जांगड़ा साहब यो 15 साल आला बैरियर ना लगाओ। अभी तो सीएम न केवल तंदुरुस्त हैं बल्कि उम्र भी ज्यादा नहीं है। जब तक जनसेवा करना चाहें, करते रहने देना चाहिए। इस पर ठहाके जनता ने लगाए तो सीएम भी मंद-मंद मुस्काए बिना नहीं रह सके।
बर्थडे के बहाने इशारा
रोहतक वाले ‘युवराज’ के समर्थकों ने इस बार जन्मदिन के बहाने भी कई इशारे देने की कोशिश की है। यूं तो ‘युवराज’ का जन्मदिन हर साल उनके समर्थक पूरे जोर-शोर से मनाते आए हैं। इस बार उनके जन्मदिन पर समर्थकों द्वारा दिए गए विज्ञापनों में गजब का संदेश छिपा हुआ था। पार्टी के 30 विधायकों के अलावा तीन सांसदों के फोटो लगाकर शक्ति प्रदर्शन किया। अहम बात यह रही है कि इन विज्ञापनों का डिजाइन और लैंग्वेज भी मिलती-जुलती थी। विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ‘युवराज’ और उनके पिता पर पार्टी के ही नेता सवाल उठा रहे हैं। ऐसे में इस जन्मदिन के बहाने यह संकेत देने की कोशिश की गई कि प्रदेश में आज भी उनका जलवा कायम है और लोगों में मजबूत पकड़ भी। हालांकि इस जन्मदिन का कांग्रेस विधायक दल के नेता से कोई संबंध नहीं है। लेकिन कांग्रेसी भाई लोगों में चल रही चर्चाओं को कोई कैसे रोक सकता है।
पीएम को बुलाने की तैयारी
प्रदेश की नायब सरकार राज्य के लोगों को एक और ‘नायाब’ तोहफा देने की तैयारी में है। हिसार और अंबाला कैंट में केंद्र की उड़ान योजना के तहत हवाई अड्डे बनकर लगभग तैयार हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों दोनों हवाई अड्डों का उद्घाटन करवाने की प्लानिंग है। लेकिन चूंकि इन प्रोजेक्ट्स के साथ राजनीति भी जुड़ी है। ऐसे में इस बात पर मंथन चल रहा है कि दोनों एयरपोर्ट का एक साथ उद्घाटन करवाया जाए या फिर एक-एक करके। हालांकि पूर्व में ‘काका’ की सरकार के समय भी दो बार हिसार एयरपोर्ट का उद्घाटन हो चुका है, लेकिन सर्विस शुरू नहीं हो पाई। अब मोदी के आने से पहले अड़चनों को दूर करने की कवायद चल रही है ताकि इस बार किसी तरह की फजीहत का काम ना हो।
पंवार की पावर
पंचायत और माइनिंग महकमे वाले पंवार साहब इन दिनों पूरी पावर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसराना हलके के ही पांच पंचायत अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामले में सस्पेंड करने में देरी नहीं की। इसी तरह की सख्ती उन्होंने माइनिंग विभाग में दिखाई हुई है। प्रदेश में इस तरह की चर्चा भी है कि बरसों बाद किसी माइनिंग मंत्री ने कड़ा एक्शन लिया है। हालांकि नूंह में कथित खनन घोटाले से सरकार अपने हाथ पहले ही झाड़ चुकी है। इसके लिए साथ लगते राजस्थान के माइनिंग माफिया को दोषी ठहराया जा रहा है।
संगठन का गंभीर मसला
चौटाला परिवार में संगठन का मसला गंभीर है। इस परिवार से जुड़ी दोनों ही पार्टियों – इनेलो व जजपा का संगठन भंग किया जा चुका है। पार्टी के भीतर नये चेहरों को तलाशने पर माथापच्ची चल रही है। इनेलो वाले बिल्लू भाई साहब की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ गई हैं, क्योंकि अब पिता का साया सिर से उठ चुका है। बेशक, ओपी चौटाला साहब की उम्र काफी हो गई थी, लेकिन वे आखिर तक भी संगठन व वर्करों पर मजबूत पकड़ रखे हुए थे। ऐसे में अब इनेलो के सामने राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की चुनौती रहेगी। वहीं जजपा का विधानसभा चुनावों में काफी कमजोर प्रदर्शन रहा। ऐसे में संगठन में नये और मजबूत चेहरों को शामिल कर पाना जजपाई भाई लोगों के लिए आसान काम नहीं होगा।
बीच का रास्ता
कांग्रेस वाले प्रभारी भी पार्टी नेताओं की गुटबाजी के चलते बवाल में पड़े रहे। बाबरिया की कार्यशैली भी ऐसी रही कि एंटी खेमे के नेताओं को उनके खिलाफ मोर्चाबंदी करने का मौका मिलता रहा। लम्बे समय से अस्वस्थ चल रहे बाबरिया अब एकाएक प्रेशर पॉलिटिक्स से बाहर निकलने की जुगत में हैं। पार्टी नेतृत्व ने दो राष्ट्रीय सचिवों को हरियाणा में सह-प्रभारी नियुक्त किया है। बाबरिया ने यहां के नेताओं से डिस्कस किए बिना ही दोनों सचिवों को इलाके बांटकर अपनी ताकत दिखा दी है। लोकसभा क्षेत्रवार सचिवों की ड्यूटी लगाकर खुद को उन्होंने लगभग फ्री कर लिया है।
दिल्ली तक दौड़
भाजपा में इन दिनों संगठनात्मक चुनावों की प्रक्रिया चल रही है। पार्टी के प्रधानजी यानी राई वाले पंडितजी की कुर्सी पर किसी तरह का संकट नहीं दिखता। उनके नेतृत्व में ही इस बार विधानसभा के चुनाव लड़े गए और पार्टी ने तीसरी बार तो सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की ही, साथ ही 2014 में मिली 47 सीटों के मुकाबले इस बार 48 सीटों पर जीत दर्ज की। संगठन की गतिविधियों के चलते पार्टी नेताओं व वर्करों में पद को लेकर भागदौड़ चल रही है। नेताओं द्वारा दिल्ली तक दौड़ लगाई जा रही है। वहीं भाजपा ने पूर्व मंत्रियों, सांसदों व विधायकों के अलावा पुराने नेताओं को संगठन चुनावों के लिए प्रभारी नियुक्त करके हारे हुए नेताओं को भी सक्रिय बने रहने की वजह दे दी है।
-दादाजी