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Matrimonial Introduction Conference-'हमसफर' एप पर मिलेंगे जीवनसाथी

04:45 AM Dec 09, 2024 IST
matrimonial introduction conference  हमसफर  एप पर मिलेंगे जीवनसाथी
भिवानी में रविवार को पत्रकारों से बातचीत करते दिव्यांग संस्थानों के पदाधिकारी। - हप्र।
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भिवानी, 8 दिसंबर (हप्र) : दिव्यांग युवक-युवतियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिये (Matrimonial Introduction Conference) सामाजिक संस्थाओं ने अनूठी पहल की है। दिव्यांग उत्थान फाउंडेशन जयपुर व आस्था ब्लाइंड स्कूल भिवानी द्वारा सामूहिक प्रयास कर रहे हैं।

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दिव्यांगों के लिए वैवाहिक परिचय सम्मेलन का आयोजित करवाया जायेगा। इस पहल से समान प्रकार की दिव्यांगता वाले युवक-युवतियों को आपसी सहमति के बाद घर बसाने का अवसर मिल सकेगा।

Matrimonial Introduction Conference-मुख्यधारा से जुड़ेंगे दिव्यांग

दिव्यांग उत्थान फाउंडेशन (Divyang Utthan Foundation) के महेश रिजवानी, बाबूलाल मीणा व आस्था ब्लाइंड स्कूल के संस्थापक विजय व सुमन ने बताया कि ऐसे दिव्यांग युवक- युवती, जिनमें किसी भी प्रकार की दिव्यांगता है।

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समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए दिव्यांग वैवाहिक परिचय सम्मेलन का आयोजन भिवानी में 15 दिसंबर को करवाया जा रहा है। ताकि दिव्यांगजन भी आम लोगों की तरह घर बसाकर अपने जीवन को सुगम बना सकें।

यहां कर सकेंगे रजिस्ट्रेशन

उन्होंने बताया कि इसके लिए दिव्यांग नि:शुल्क उनकी वेबसाइट (www.divyanghumsafar.com) पर या दिव्यांग हमसफर एप को डाउनलोड कर उस पर अपना पंजीकरण कर नि:शुल्क रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर इंदौर व दिल्ली में ऐसे दिव्यांग वैवाहिक परिचय सम्मेलन का आयोजन करवाया जा चुका है। हरियाणा में यह अपनी तरह का पहला सम्मेलन होगा।

हजारों युवक बन चुके हैं मुहिम का हिस्सा

दिव्यांग संस्थानों से जुड़े पदाधिकारियों ने कहा कि आमतौर पर समान दिव्यांगता वाले दिव्यांगों का विवाह की संभावना ज्यादा रहती है। अस्थिबाधित दिव्यांग लगभग सभी दिव्यागों के साथ अपना वैवाहिक जीवन चला सकता है।

पदाधिकारियों ने बताया कि अब तक उनकी वेबसाइट पर 12 हजार 500 दिव्यांग युवक-युवतियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। विभिन्न समय पर आयोजित दिव्यांग परिचय सम्मेलनों का हिस्सा बन चुके हैं।

‘दिव्यांगों के प्रति सकारात्मक सोच जरूरी’

सामाजिक जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान

उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में दिव्यांगजनों को लेकर बहुत बेहतर स्थिति नहीं है। दिव्यांग बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों की शादी में बहुत ज्यादा रूचि नहीं दिखाते। ऐसे में इन दिव्यांगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए जागरूकता पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

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