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‘जुरासिक पार्क’ की याद दिलाता डायनासोर जीवाश्म संग्रहालय

10:21 AM Feb 09, 2024 IST
‘जुरासिक पार्क’ की याद दिलाता डायनासोर जीवाश्म संग्रहालय
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राजेंद्र कुमार शर्मा
स्टीवन स्पीलबर्ग द्वारा निर्देशित साइंस फिक्शन एक्शन फिल्म जुरासिक पार्क (1993), विलुप्त डायनासोर के जीवन पर आधारित सबसे सफल फिल्म रही है। डायनासोर पृथ्वी पर जुरासिक काल में पृथ्वी पर पाए जाने वाले कुछ विशालकाय तो कुछ छोटे, कुछ दो पैर वाले तो कुछ चार पैर वाले, कुछ मांसाहारी, तो कुछ शाकाहारी जीव रहे हैं। जीवाश्म विज्ञानी वर्तमान के पक्षियों को डायनासोर का वंशज मानते है।
‘डायनासोर’ का शाब्दिक अर्थ है भयानक छिपकली जिनमें प्रजनन क्रिया अंडे द्वारा होती थी। अर्थ ये भी पक्षियों या सरीसर्प के जैसे अंडज जीव रहे होंगे। डायनासोर की लगभग 1000 प्रजातियों का पता जीवाश्म विज्ञानी लगा चुके हैं। इन जीवों के अवशेषों का पृथ्वी लगभग हर महाद्वीप में पाया जाना ये इंगित करता है को इनकी प्रजातियों की संख्या बहुत अधिक रही है।

जीवाश्म पार्क है राजसौरस का घर

उन्हीं प्रजातियों में से लगभग 13 प्रजातियों की खोज जीवाश्म विज्ञानियों ने गुजरात (भारत) के बाला सिनोर के रैयौली गांव के जंगलों में की। ये स्थान 1980 के दशक में अचानक ही सुर्खियों में आ गया जब रैयौली गांव में जीवाश्म विज्ञानियों को इत्तेफाक से जीवाश्म अवशेषों एवं हड्डियों का पता चला। देखते ही देखते यह जगह शोधकर्ताओं से भर गई और इस क्षेत्र की खुदाई से ये तथ्य सामने आया कि लगभग 67 मिलियन वर्ष पहले डायनासोर की 13 प्रजातियां पनपी थीं, जो खुरदरा, मोटी टांगों वाले, कलगीदार सिंग वाले मांसाहारी जीव रहे हैं। जो कि ट्रायरनोसर्स परिवार से संबंध रखते थे। रैयौली गांव में खोजे गए डायनासोर को नाम दिया गया ‘राजसौरस नरमेंडेसिस’ जिसमे राजा शब्द का प्रयोग किया गया कलगीदार सिंग वाले तथा दूसरा शब्द ‘नरमेंडेसिस’ इस स्थान की भौगोलिक स्थिति को दर्शाता है, यानी नर्मदा नदी के पास का स्थान।

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जीवाश्म पार्क की सरंचना

संग्रहालय का मुख्य द्वार

डायनासोर जीवाश्म पार्क की यात्रा निश्चित रूप से भारत में डायनासोर के इतिहास को जानने के लिए मजबूर कर देती है। रैयौली स्थित जीवाश्म पार्क को मुख्यत: दो भागों में बांट सकते हैं। पहला है डायनासोर जीवाश्म संग्रहालय जिसमे डायनासोर के अंडे, उनके शरीर की हड्डियों के अवशेष सहेजे गए हैं और 40 आकृतियों को चित्रित किया गया है जो उनके आकार, आदतों और आवास पर प्रकाश डालता है। दूसरा भाग है वास्तविक खुदाई स्थल, जहां की खुदाई में इन विशालकाय जीवों के अंडे और शरीर के विभिन्न भागों की हड्डियों के अवशेष मिले हैं। इस स्थान का भ्रमण करना जहां आपको जिज्ञासा और कोतूहल से भर देगा, वहीं यहां की प्राकृतिक वनों के बीच बनाए गए खुदाई स्थलों को स्वयं जाकर देखना रोमांचित करने वाला अनुभव है।

क्या है संग्रहालय में

डायनासोर की हड्डियाें के टुकड़े

डायनासोर संग्रहालय एवं पार्क का निर्माण व अन्वेषण 2001 में आरंभ हुआ था, जिसको दर्शकों और जिज्ञासुओं के लिए 9 जून, 2019 को खोल दिया गया। संग्रहालय 25000 वर्ग फुट से अधिक के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमे तहखाने और भूतल 10 दीर्घाएं बनी हुई हंै जिसमें डायनासोर के जीवन और उल्काओं के पृथ्वी से टकराने और उसके प्रभावों को दर्शाया गया है। इसके अतिरिक्त डायनासोर के विशालकाय प्रतिमान यहां आने वालों को जुरासिक पार्क का अनुभव करवाता है। इस संग्रहालय का सबसे बड़ा आकर्षण है यहां खुदाई में निकले डायनासोर के अंडे और उसके शरीर की हड्डियों जैसे मेरुदंड की हड्डियाें के जीवाश्म को देखना।
विश्व में डायनासोर संग्रहालय एवं पार्क का स्थान
रैयौली स्थित डायनासोर संग्रहालय एवं पार्क के महत्व का पता इस बात से चलता है कि यह स्थल देश का पहला तथा विश्व का तीसरा डायनासोर जीवाश्म पार्क है। रैयौली डायनासोर जीवाश्म स्थल, विश्व का तीसरा सबसे बड़ा जीवाश्म स्थल है।

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कैसे पहुंचें संग्रहालय

यह संग्रहालय और पार्क गुजरात के महीसागर जिले के बाला सिनोर क्षेत्र में स्थित है जो अहमदाबाद से लगभग 90 किलोमीटर दूर है। तथा बाला सिनोर से 15 किलोमीटर राज्य राजमार्ग संख्या 141 पर जलोद- अहमदाबाद मार्ग पर स्थित है। अहमदाबाद से एक दिन में ही यहां आकर, भ्रमण करके वापस जाया जा सकता है। राज्य सरकार को इस महत्वपूर्ण स्थान को विकसित करने की दिशा में काम करने की भी जरूरत है। ताकि यात्रियों को और अधिक सुविधाएं मिल सकें।

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