पत्रकारिता के सुनहरे दौर का मान दिनमान
अरुण नैथानी
आजादी के बाद देश में हिंदी पत्रकारिता सामाजिक-आर्थिक आजादी हेतु संघर्ष के जज्बे के साथ आगे बढ़ी। उस दौर में प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने बखूबी संपादकों का दायित्व निभाया। स्वतंत्रता सेनानी, साहित्यकार व कद्दावर संपादक सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ के संपादन में जब 1965 में दिनमान का प्रकाशन हुआ तो किसी ने कल्पना नहीं की थी कि यह साप्ताहिक समाचारपत्र हिंदी पत्रकारिता में सफलता की सुनहरी इबारत लिखेगा। पत्र की विश्वसनीयता-लोकप्रियता का ये आलम था कि इसकी तुलना तत्कालीन चर्चित अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ‘टाइम’ व ‘न्यूजवीक’ से की जाती थी। पिछले पांच दशक से पत्रकारिता के विभिन्न विषयों में साधिकार लिखने वाले त्रिलोकदीप दिनमान व संडेमेल में बड़ी भूमिकाओं हेतु जाने जाते हैं। वे अंतर्राष्ट्रीय-प्रतिरक्षा से जुड़े मामलों में दिनमान का प्रतिनिधित्व करते थे। उन्होंने दुनिया के दर्जनों देशों की यात्राएं कीं और अनेक चर्चित पुस्तकें लिखीं।
लेखक शुरुआती दौर से दिनमान से जुड़े रहे। उन्होंने लंबे समय तक अज्ञेय जी और रघुवीर सहाय के संपादकीय नेतृत्व में काम किया। ये लोग जहां प्रतिष्ठित साहित्यकार थे, वहीं एक कुशल संपादक व अच्छे इंसान भी थे। खुले दिल से नये विचारों का स्वागत, टीम का मनोबल बढ़ाना तथा सहयोगियों को परिवार के सदस्य के रूप में मान देने वाले व्यक्ति के रूप में त्रिलोकदीप ने उन्हें याद किया है। उन्होंने उस दौर में संपादकों की आजादी, आम लोगों से जुड़े समाचार-विचारों को लेकर संपादकीय सहयोगियों की प्रतिबद्धता तथा कद्दावर संपादकों के जीवन के तमाम प्रेरक प्रसंगों का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि संपादकों ने उनकी तमाम विदेश यात्राओं के लिये न केवल अनुमति दी बल्कि अच्छे व नये ढंगे से लिखने को प्रोत्साहित भी किया। प्रतिष्ठित साहित्यकार व धर्मयुग के संपादक धर्मवीर भारती से आत्मीय मुलाकात का भी उन्होंने जिक्र किया। उन्होंने दिनमान के मान रहे सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, मनोहर श्याम जोशी, श्रीकांत वर्मा, उदय प्रकाश, प्रयाग शुक्ल, विनोद भारद्वाज, योगराज थानी, जवाहरलाल आदि को आदर से याद किया है। वरिष्ठ पत्रकार सुधेन्दु ओझा के संपादन में प्रकाशित पुस्तक में लेखक ने उस दौर में रूबरू हुए कन्हैयालाल नंदन, सिद्धार्थ, रमेश बत्रा, शीला झुनझुनवाला आदि को भी शिद्दत से याद किया है।
पुस्तक : दिनमान -त्रिलोकदीप संपादक : सुधेन्दु ओझा प्रकाशक : सौभाग्य प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 168 मूल्य : रु. 300.