5 ट्रिलियन इकॉनमी बनने के लिए छोटे उद्योगों की डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन जरूरी : दिलीप साहनी
चंडीगढ़, 18 सितंबर (ट्रिन्यू)
देश के मैनुफेक्चरिंग सेक्टर को चीन की तर्ज पर डेवेलप करना होगा। फिलहाल भारत का फार्मा ,ऑटो , कंज्यूमर पैकेजिंग केमिकल टायर या मशीन बिल्डर्स सेक्टर ने निर्यात बढ़ रहा है। ग्लोबल स्टेट ऑफ़ स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग के आठवें एडिशन ( सर्वे ) में 13 देशों में से भारतीय निर्माताओं ने उत्पादन के क्षेत्र में कम खर्च और बेहतर उत्पादन के मामले में सबसे अधिक दिलचस्पी दिखाई है। इस सर्वे में चीन भी शामिल था। इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के लिए समर्पित दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी, रॉकवेल ऑटोमेशन के स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग एफएमसीजी सम्मिट 2023 में कंपनी के एम डी दिलीप साहनी ने बताया कि देश में विनिर्माण को अधिक उत्पादक और कुशल बनाने के लिए डिजिटल परिवर्तन पर 35 प्रतिशत का खर्च किया जा रहा है।
चंडीगढ़ में आयोजित सम्मेलन के बाद एक विशेष बातचीत में साहनी ने बताया कि भारत सरकार के 5 ट्रिलियन इकॉनमी के स्वपन को आगे बढ़ाने के लिए छोटे और मध्यम उद्योगों को भी बराबर साथ लेकर चलना जरूरी है। उन्हें ये सलाह देनी जरूरी है कि उत्पादन अपनी मशीनरी के मुताबिक नहीं बल्कि मार्केट की मांग के मुताबिक ही तैयार किया जाना जरूरी है। उनके मुताबिक उत्पादन पर खर्च कम हो और उसका इस्तेमाल शीघ्र हो , ऐसी समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत में उद्योगों का अभाव नहीं बल्कि सही समय पर सही सलाह की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अब बिजनेस मॉडल बदल चुका है। चीन ने इसी मार्ग पर चलते हुए ही उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति लाई है। भारत में भी ऐसे बदलाव की जरूरत है। अब पहले की तरह उत्पादक और उपभोक्ता के बीच वाला नेटवर्क नहीं रहा , बल्कि इ –कामर्स का युग है। उद्योगों में सुधार कैसे हो , खर्च कैसे कम हो , बाज़ार की मांग क्या है , इस पर काम करने वाली कंपनी के एम डी दिलीप साहनी ने बताया कि ऐसे में पारम्परिक समाधानों की नहीं बल्कि डिजिटल समाधान की जरूरत है।
साहनी ने रॉकवेल ऑटोमेशन की 8वीं वार्षिक "स्टेट ऑफ स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में प्रौद्योगिकी में निवेश करने वाले विनिर्माण संगठनों की संख्या सबसे अधिक है। अध्ययन में भारत, चीन जर्मनी, जापान, अमेरिका और यूके सहित 13 प्रमुख विनिर्माण देशों में 1,350 से अधिक निर्माताओं का सर्वेक्षण किया गया। इसकी रिपोर्ट में पाया गया कि विशेषकर भारत में विनिर्माण को अधिक उत्पादक और कुशल बनाने के लिए डिजिटल परिवर्तन को अपनाया जा रहा है। भारत में निर्माता अपने परिचालन बजट का 35% प्रौद्योगिकी निवेश में निवेश कर रहे हैं, जो वैश्विक से कही ज्यादा है।