नजरिये का फर्क
07:11 AM Nov 07, 2024 IST
एक बार विख्यात दार्शनिक इमैनुअल कांट के साथ जिज्ञासुओं का समूह था। वह सभी अनुभव और परीक्षण पर अपने आप को बेहतर कह रहे थे। इमैनुअल कांट ने उनसे पूछा कि अभी-अभी आप सब जिस जगह से गुजरे वहां क्या था। सभी ने उछलकर कहा— ‘देखा, हरी घास थी।’ हंसते हुए कांट उन सबको दोबारा वहीं ले गये और कहा कि, ‘अब गौर से देखो घास के बीच में पीले और नीले फूल खिले हैं।’ सबने तसल्ली से देखा तो सचमुच, बहुत ही खूबसूरत पीले तथा नीले फूल खिले हुए थे। इमैनुअल कांट ने उनको वहीं पर मंत्र दिया। कम देखो मगर बारीकी से देखो। वर्ष 1724 में जन्मे इमैनुअल कांट ने अपने दर्शन को ‘ट्रान्सेंडैंटल आइडियलिज्म’ के सिद्धांत पर आधारित किया, जो इस बात के बीच अंतर को पहचानता है कि हम क्या अनुभव कर सकते हैं और क्या नहीं। प्रस्तुति : पूनम पांडे
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