नैतिक मूल्यों का विकास गुरुकुल शिक्षा पद्धति का मुख्य उद्देश्य : आचार्य देवव्रत
कुरुक्षेत्र, 19 अगस्त (हप्र)
हमारे बच्चों में आपसी भाईचारा, राष्ट्र-प्रेम, दया, करूणा जैसे नैतिक मूल्यों के विकास के साथ-साथ वे बुजुर्गों का सम्मान करें, ऐसी शिक्षा हमारी प्राचीन गुरुकुलीय प्रणाली में शामिल रही है। बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनें और भारतीय सभ्यता से जुड़कर देश की उन्नति में सहायक हों, यही गुरुकुल शिक्षा का उद्देश्य हैं। गुरुकुलों में आचार्य बच्चों की सुरक्षा गर्भस्थ शिशु की भांति करता है और जो बच्चे आचार्य के मार्गदर्शन में कठोर परिश्रम के साथ विद्यार्जन करते है, वे एक दिन दुनिया में अलग पहचान बनाते हैं। उक्त शब्द सोमवार को गुरुकुल कुरुक्षेत्र में आयोजित उपनयन संस्कार एवं वृक्षारोपण समारोह को सम्बोधित करते हुए गुजरात के राज्यपाल एवं गुरुकुल के संरक्षक आचार्य देवव्रत ने कहे।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रकृति और पर्यावरण को बचाना सबसे बड़ी चुनौती बन गया है जिसे केवल प्राकृतिक खेती के माध्यम से बचाया जा सकता है। आचार्य के साथ गुरुकुल के सभी अधिकारियों ने यज्ञवेदी पर बैठे सभी ब्रह्मचारियों पर पुष्प-वर्षा कर उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद प्रदान किया। इससे पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष आचार्य दयाशंकर शास्त्री के ब्रह्मत्व में 21 कुण्डीय यज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें सभी नवप्रविष्ट ब्रह्मचारियों को यज्ञोपवीत धारण कराये गये। अंत में उन्होंने सभी बहनों को रक्षाबंधन पर्व की बधाई दी। इस अवसर पर वृक्षारोपण कार्यक्रम में आचार्य ने कपूर का पौधा लगाया।