मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

विध्वंसक बिपारजॉय

11:36 AM Jun 16, 2023 IST

लगातार नौ दिन से अरब सागर में सक्रिय चक्रवाती तूफान बिपारजॉय आखिरकार गुरुवार को गुजरात के तटवर्ती इलाकों से टकरा गया। शुरुआती खबरों में तेज हवा से हजारों पेड़ों, बिजली व टेलीफोन के खंबों के गिरने व तेज बारिश की घटनाएं सामने आई हैं। दरअसल,तूफान के लैंडफॉल की प्रक्रिया के देर रात तक चलने के कारण वास्तविक नुकसान का आकलन शुक्रवार सुबह होने तक ही हो पायेगा। लेकिन समय रहते सतर्क तैयारी के चलते जनधन की बड़ी हानि को टालना हमारी उपलब्धि ही कही जायेगी। विज्ञान व तकनीकी उन्नति के चलते हमें तूफान की चाल और पहुंचने के समय का पूर्व आकलन करने में मदद मिली है। जिससे व्यापक जनहानि को टाला जा सका है। वर्ष 1999 में ओडिशा में आये भयावह तूफान से हुई तबाही से सबक लेकर हम राहत व बचाव का तंत्र विकसित करने में कामयाब हुए हैं, जिसके चलते लाखों जिंदगियां बचाने में सहायता मिली है। चक्रवाती तूफान की आशंका को देखते हुए सीमावर्ती इलाकों से करीब एक लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। इसके अलावा समुद्र तट से सटे इलाकों में मानवीय गतिविधियों पर रोक लगाकर खतरे को टालने का प्रयास किया गया। यूं तो तूफान से ज्यादा प्रभावित होने वाले गुजरात के समुद्री तट से लगे जिले हैं, लेकिन बाद में इस तूफान के राजस्थान की तरफ बढ़ने की आशंका है। बहरहाल, तूफान के लैंडफॉल के बाद तटवर्ती इलाकों में हालात तेजी से बदले हैं और तीर्थस्थली द्वारका,जामनगर, मोर्बी व राजकोट में भारी बारिश और तेज हवाओं का असर देखा गया है। जिसके चलते खंबे व पेड़ गिरने से बिजली व दूरसंचार सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं। तूफान से संरचनात्मक विकास को काफी नुकसान पहुंचा है। वहीं फसलों की भी व्यापक क्षति की खबरें तटवर्ती इलाकों से हैं। गुजरात के साथ ही मुंबई के हालात भी गंभीर देखे गये और लोगों को तटवर्ती इलाकों में जाने से मना किया गया है।

Advertisement

गुजरात व महाराष्ट्र में चक्रवाती तूफान का मुकाबला करने तथा लोगों की मदद के लिये दर्जनों एनडीआरएफ व राज्य की राहत-बचाव टीमें तैनात की गई हैं। तटवर्ती इलाकों में राहत व बचाव के कार्य तेज किये गये हैं और केंद्र व राज्य सरकारें लगातार स्थिति का जायजा ले रही हैं। यह अच्छी बात है कि तूफान की सटीक जानकारी मिलने के बाद हजारों होर्डिंग्स को उतारने, मछली पकड़ने की गतिविधियों पर रोक लगाने व बड़े जहाजों को तट से काफी दूर पहुंचाने के काम में तेजी लाई गई है। बहरहाल, तटवर्ती इलाकों में तेज हवाओं व बारिश से जन-जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त है। समुद्र में लो टाइड के बावजूद उठती तेज लहरें तूफान के रौद्र की कहानी बता रही हैं। यही वजह है गुजरात के अलावा महाराष्ट्र, केरल व राजस्थान में हाई अलर्ट जारी किया गया है। कच्छ का इलाका इस प्राकृतिक आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित होने की आशंका जतायी जा रही हैं। जाखू पोर्ट के पश्चिम में लैंडफॉल के बाद सरकारों ने राहत-बचाव की निगरानी युद्ध स्तर पर शुरू कर दी है। बहरहाल, बिपारजॉय से निबटने के लिये की गई तैयारियां आश्वस्त करती हैं कि भविष्य में आने वाली किसी भी तरह की चुनौती से मुकाबले के लिये हमारा तंत्र सजग व सतर्क है। दरअसल, ग्लोबल वार्मिंग के चलते दुनिया में मौसम के मिजाज में आये तीव्र बदलाव के बाद नये चक्रवाती तूफानों की पुनरावृत्ति की प्रबल आशंका है। अमेरिका समेत कई देश लगातार ऐसे भयावह तूफानों की मार झेलने को अभिशप्त हैं। हमें प्रकृति के रौद्र को झेलना ही होगा तथा यह भी विचार करना होगा कि हम जलवायु संकट को दूर करने के लिये कितने सतर्क और ईमानदार हैं। फिर भी हमें भविष्य में आने वाले विनाशकारी तूफानों से मुकाबले के लिये और कारगर तंत्र विकसित करना होगा। ऐसे तूफान हमारे विकास कार्यों व खाद्य उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। हमें अपनी खाद्य शृंखला को बचाये रखने के लिये परंपरागत खेती की तकनीकों का सहारा लेना होगा, जो विषम परिस्थितियों में भी बड़ी आबादी का पेट भरने लायक अन्न बचा सकें।

Advertisement
Advertisement