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संकट के बावजूद नहीं बनता बड़ा मुद्दा

06:31 AM Jan 06, 2024 IST
संकट के बावजूद नहीं बनता बड़ा मुद्दा
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प्रदीप मिश्र

आए दिन शेयर बाजार में तेजी और हर महीने के अंत में जीएसटी संग्रह बढ़ने के बावजूद खुशहाली सबके हिस्से में नहीं दिखती है। खासतौर से नौकरी की चाह रखने वाले युवा वर्ग के लिए दिन गिनने मुश्किल हो रहे हैं। करीब 140 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले देश में इस समय 12 करोड़ युवा-युवतियां बतौर बेरोजगार पंजीकृत हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुसार अक्तूबर, 2023 में बेरोजगारी दर 29 माह के सर्वोच्च स्तर 10.05 प्रतिशत थी। यह आंकड़ा 15 साल और उससे अधिक आयुवर्ग का है। यह हालात तब हैं, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने 2022 में 6.5 लाख और 2023 में 10 लाख युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपे हैं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उन्होंने सांसदों के कामकाज की रिपोर्ट के लिए जो 13 सवाल पूछे हैं, उनमें एक सवाल रोजगार निर्माण का भी है। वैसे, अगस्त, 2023 में संसद में बताया गया था कि भारत सरकार में स्वीकृत 40 लाख से अधिक पदों में से 9.64 लाख पद खाली हैं। यह स्थिति तब थी, जब जून, 2023 तक कर्मचारी चयन आयोग और रेलवे भर्ती बोर्ड ने एक लाख से अधिक पदों पर उपयुक्त पात्रों की संस्तुति कर दी थी।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हाल में विधानसभा में बताया कि उनके यहां सितंबर, 2023 तक बेरोजगारी दर 5.2 रही, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 6.6 प्रतिशत थी। कहा, इस दौरान पंजाब और हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी दर क्रमशः 8.8 और 14.5 प्रतिशत रही। उन्होंने नौ साल में 1.14 लाख नौकरियां दीं। 60 हजार और देने की तैयारी है। हरियाणा में दिसंबर तक 2.9 लाख सरकारी पद खाली थे। इसमें 70 हजार पद शिक्षा विभाग के हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का दावा है कि उन्होंने 37,683 नौकरियां दी हैं। अगले महीने में पांच हजार से अधिक भर्तियां करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश में 2018 के बाद 60,244 से अधिक सिपाहियों की भर्ती भले ही शुरू हो गई है लेकिन पिछले साल सितंबर तक शिक्षक आदि के 1.33 लाख पद रिक्त थे। उत्तराखंड में मार्च 2023 तक 68,586 पद खाली थे, जिनमें 21 हजार से अधिक रिक्तियां शिक्षा विभाग की थीं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सत्ता संभालते ही ढाई लाख नौकरियां देने का वादा किया, लेकिन कुछ घंटों बाद अशोक गहलोत के कार्यकाल में 50 हजार सेवा प्रेरकों की भर्ती रद्द कर दी। उधर, कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने 2022-23 में उत्तीर्ण स्नातकों को छह माह तक रोजगार न मिलने पर तीन हजार और डिप्लोमा धारकों को डेढ़ हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता 12 जनवरी से देने की घोषणा की है। बिहार सरकार ने सरकारी स्कूलों के 3.5 लाख संविदा शिक्षक स्थायी कर दिए हैं।
इस बीच एक और रिपोर्ट बताती है कि अक्तूबर-नवंबर में ऑफिस में काम करने वालों की नियुक्तियां 12 फीसदी कम हुई हैं। इसमें आईटी-सॉफ्टवेयर, दूरसंचार और शिक्षा क्षेत्र भी शामिल हैं। इनकी क्रमशः कमी 22, 18 और 17 फीसदी है। आईटी सेक्टर की नौकरियों में सर्वाधिक कमी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का प्रतिकूल प्रभाव है। पेटीएम ने एक हजार लोगों को निकालने पर तर्क दिया कि उन्हें एआई ने अपेक्षा से ज्यादा परिणाम दिया है। वहीं इस साल भारत की स्टार्टअप कंपनियों ने 28 हजार से ज्यादा लोग बाहर कर दिए और नई भर्ती नहीं की।
यही नहीं, बीते दो वर्ष में दुनिया की प्रमुख टेक कंपनियां 4.25 लाख कर्मचारियों की छंटनी कर चुकी हैं। भारत में यह आंकड़ा 36 हजार कर्मचारियों का है। प्रौद्योगिकी क्षेत्र की नामी कंपनियां गूगल, मेटा (फेसबुक), अमेजन और एपल सहित दुनिया की छह बड़ी कंपनियां भारत में नई नियुक्तियों पर रोक लगाने की योजना बना रही हैं। वजह, बड़ी टेक कंपनियों में वर्तमान में 30 हजार नौकरियां ही हैं। भारत में डेढ़ लाख लोग टेक कंपनियों में काम कर रहे हैं। इन कंपनियों में 2022 के मुकाबले 2023 में नौकरियां 90 फीसदी कम हुई हैं। एआई अपनाने में तेजी के कारण गूगल, नेटफिलिक्स और मेटा में भारत में मांग 78 प्रतिशत कम हो गई है। चिंताजनक यह भी कि बेरोजगारी के साथ एजुकेशन लोन भी बढ़ रहा है। बीते साल एक अप्रैल से अक्तूबर तक 1,1,715 करोड़ रुपये का शिक्षा ऋण लिया गया, जो पांच साल में सबसे ज्यादा है। इसमें विदेश में शिक्षा के लिए कर्ज लेने वालों की हिस्सेदारी 65 प्रतिशत है। यही कारण है कि भारत में अमेरिकी दूतावास ने अक्तूबर, 2022 से सितंबर, 2023 के बीच रिकॉर्ड 1.40 लाख स्टूडेंट वीजा जारी किए।
बेरोजगारी के आंकड़ों में विरोधाभास का कारण है। नेशनल सैंपल सर्वे आर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के आधार पर बेरोजगारी के आंकड़े जारी करती है। इसी आधार पर केंद्र सरकार वार्षिक रिपोर्ट जारी करती है। वित्त वर्ष 2022-23 की रिपोर्ट केंद्र सरकार ने अक्तूबर में जारी की थी। फिलहाल बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत बताने वाली इसी रिपोर्ट को प्रचारित किया जा रहा है। दूसरी तरफ गैर-सरकारी संस्था (सीएमआईई) ने पिछले साल मार्च में 8.11 फीसदी और जुलाई में बेरोजगारी की दर 7.6 प्रतिशत बताई थी। सीएमआईई हर महीने 1.70 लाख से अधिक घरों का सर्वेक्षण कर आंकड़े जुटाती है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि 2014 से 2019 के बीच यह दर छह प्रतिशत से कम रही। 2020 में बेरोजगारी दर 8 फीसदी, 2021 में 5.98 प्रतिशत और 2022 में यह 7.33 फीसदी रही।

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