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नायब सरकार ने मंडलायुक्तों की पावर में की कटौती

10:14 AM Jun 12, 2024 IST
नायब सरकार ने मंडलायुक्तों की पावर में की कटौती
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चंडीगढ़, 11 जून (ट्रिन्यू)
हरियाणा सरकार ने प्रदेश के मंडल आयुक्तों की शक्तियों में फिर से कटौती कर दी है। प्रदेश सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यकाल में लिए गए फैसले को पलट दिया है। इसके पीछे मुख्य कारण आईएएस व आईपीएस लॉबी में बढ़ रहा टकराव बताया जा रहा है। हरियाणा में इस समय अंबाला, रोहतक, गुरुग्राम व रेवाड़ी रेंज हैं। यहां सिविल प्रशासन की तरफ से मंडल आयुक्त तथा पुलिस की तरफ से रेंज के आईजी को तैनात किया जाता है।
धरातल की वास्तविकता के अनुसार आमतौर पर सरकार द्वारा प्रमोटी आईएएस तथा सेवानिवृत्ति के कगार पर पहुंचे अधिकारियों को ही मंडल आयुक्त लगाया जाता है। दूसरी तरफ पुलिस रूल्स के अनुसार सीधे आईपीएस भर्ती हुए अथवा वरिष्ठ आईपीएस को रेंज का आईजी लगाया जाता है। इसी प्रकार कई जिलों को सीधे भर्ती होने वाले आईएएस अथवा वरिष्ठ आईएएस को उपायुक्त व आईपीएस को एसपी लगाया जाता है।
आमतौर पर जिलों में सीधे आईएएस भर्ती होकर उपायुक्त लगने वाले अधिकारी पद में बड़ा होने के बावजूद मंडल आयुक्तों द्वारा बुलाई जाने वाली बैठकों में खुद जाने की बजाय अपने जूनियर एडीसी को भेज देते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देश पर 9 जनवरी को सरकार ने एक पत्र जारी करके कहा था कि मंडल आयुक्त प्रत्येक माह आईजी पुलिस रेंज, उपायुक्त, एसपी के साथ समीक्षा बैठकें करेंगे। इसकी मासिक रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश दिए गए थे।
इन बैठकों में संवेदनशीलता तथा भड़काने वाले मुद्दे, बड़ी घटनाएं, इंटरनेट सेवाएं बाधित करने, कैदियों को पैरोल आदि के विषय पर फैसले लिए जाने थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इस फैसले के पीछे आईएएस व आईपीएल लॉबी में तालमेल मजबूत करने का तर्क दिया था। इसे अफसरशाही ने खारिज कर दिया है। मनोहर सरकार के समय में हुए इस फैसले पर आईपीएस लॉबी ने कड़ी आपित्त जताई थी। सीनियर रैंक का अधिकारी होने के कारण रेंज के आईजी इन बैठकों में जाने में असहज महसूस कर रहे थे। इसी के चलते सोमवार रात सरकार ने जनवरी माह में किया गया फैसला वापस ले लिया।
मंगलवार को प्रदेश के सभी मंडल आयुक्तों, रेंज के आईजी को इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा गया कि 9 जनवरी को जारी निर्देश पत्र में शामिल किए गए संयुक्त बैठक, संयुक्त रिव्यू बैठक वाले कॉलम को हटाया जाता है। मंडल आयुक्त तथा पुलिस प्रशासन के अधिकारी पहले की तरह अपने-अपने स्तर पर बैठकें करके रिपोर्ट मुख्यालय को भेजेंगे।

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