अडाणी के खिलाफ सेबी के अलावा और जांच से इनकार
नयी दिल्ली, 3 जनवरी (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने अडाणी समूह को बड़ी राहत देते हुए बुधवार को व्यवस्था दी कि उद्योग समूह के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों में अब विशेष जांच दल (एसआईटी) या सीबीआई द्वारा और जांच कराने की जरूरत नहीं है। न्यायालय ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को उसकी दो साल से अधिक पुरानी जांच को पूरा करने के लिए तीन महीने का समय और दिया।
हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए धोखाधड़ी और शेयर मूल्यों में छेड़छाड़ के आरोपों में तीसरे पक्ष से जांच कराने के अनुरोध वाली याचिकाओं का निस्तारण करते हुए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि सेबी व्यापक जांच कर रही है और उसकी कार्यशैली विश्वास पैदा करती है। शीर्ष अदालत ने मूल रूप से 17 मई को सेबी को निर्देश दिया था कि अडाणी समूह के खिलाफ दो दर्जन मामलों में जांच 14 अगस्त, 2023 तक पूरी की जाए। सेबी ने पिछले साल अगस्त में लंबित 24 मुद्दों में से सात में जांच पूरी करने के लिए 15 और दिन का समय मांगा था। सेबी ने पिछले साल नवंबर में अदालत से कहा था कि वह और समय विस्तार की मांग नहीं करेगी और 22 मुद्दों पर उसकी जांच पूरी हो चुकी है। जनहित याचिकाओं के माध्यम से किए गए अनुरोधों को खारिज करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अदालत को सेबी की नियामक नीतियों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए।
‘ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट’ पर एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश उस रिपोर्ट को भी पीठ ने खारिज किया जिसमें कहा गया था कि सेबी जांच के प्रति उदासीन है। शीर्ष अदालत ने उन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह निर्णय सुनाया जिनमें आरोप लगाया गया था कि अडाणी समूह द्वारा शेयर मूल्यों में हेराफेरी की गई है। पीठ ने कहा कि अदालत द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति के कुछ सदस्यों के खिलाफ ‘हितों के टकराव’ का आरोप निराधार है और खारिज किया जाता है। संबंधित जनहित याचिकाएं वकील विशाल तिवारी, एमएल शर्मा, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और अनामिका जायसवाल ने दाखिल की थीं। अडाणी समूह ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वह सभी कानूनों का पालन करता है।