पीएम मोदी से शहीद उधम सिंह को भारत रत्न देने की मांग
यमुनानगर, 25 नवंबर (हप्र)
जनरल ओ डायर को गोली मार कर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने वाले शहीद उधम सिंह के पोते हरदयाल सिंह ने कहा कि अभी तक शहीदों को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया। उन्हें आतंकवादी समझा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करते हुये उन्होंने उधम सिंह समेत अन्य शहीदों को शहीद का दर्जा देकर भारत रत्न देने की मांग की।
शहीद उधम सिंह की याद में शहीद उधम सिंह चैरिटेबल ब्लड बैंक द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे सरदार हरदयाल सिंह ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि शहीदों ने जो सपना देखा था, वह अभी पूरा नहीं हुआ। देश जरूर गुलामी की जंजीरों से आजाद हुआ, लेकिन बेरोजगारी और गरीबी जैसी गंभीर समस्या अभी तक दूर नहीं हुई है। उन्होंने नये संसद भवन में शहीद उधम सिंह की प्रतिमा स्थापित करने की मांग की। इसके अलावा उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लंदन में शहीद उधम सिंह का सामान परिवार को वापस दिलाए। इस अवसर पर जसमेर सिंह कंबोज, डॉ विजय दहिया, बलवान सिंह सहित भारी संख्या में लोग मौजूद थे।
सुनाम में चचेरी बहन से मिलने आये थे उधम सिंह
हरदयाल सिंह ने कहा कि वर्ष-1974 में शहीद की अस्थियां लाई गई थी। भाजपा ने जलियांवाला बाग की 100 साल की शताब्दी मनाई लेकिन शहीदों को आज तक शहीद का दर्जा नहीं दिया गया, उन्हें आज भी आतंकवादी समझ जाता है। शहीद उधम सिंह के परिवार में मात्र आसकौर उनकी चचेरी बहन ही बची थी। अब वह उनकी चौथी पीढ़ी है।
उन्होंने कहा कि जब उधम सिंह अपनी बहन आसकौर के पास सुनाम में आया करते थे तो वह उन्हें कहती थी शादी कर लो। उधम सिंह कहते थे कि मेरी शादी मौत से हो चुकी है। वह यही दोहराते थे कि वह ऐसा काम करेंगे कि पूरी दुनिया उन्हें याद करेगी। वे अंतिम बार अपनी बहन को कुछ सिक्के देकर गए। बहन ने पूछा इतनी सिक्के कहां से आए तो उन्होंने कहा कि उनके पास सिक्के बनाने वाली मशीन है। पहले तो इस बात को मजाक में लिया गया लेकिन बाद में पता चला कि गदर पार्टी से वह मशीन पकड़ी गई थी जो आज पंजाब पुलिस के म्यूजियम में रखी हुई है।
हरदयाल सिंह ने कहा कि राजनीतिक दल शहीदों के परिजनों को राजनीति में नहीं आने देना चाहते। उनका परिवार शहीदों की सोच और उनके कार्यों को घर-घर तक ले जाएगा। उनके सपनों को पूरा करने का प्रयास करेगा।
गौरतलब है कि 13 अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड का 21 साल बाद उधम सिंह ने जनरल ओ डायर को गोली मार कर लिया था, जिसके बाद उन्हें फांसी दे दी गई थी।