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जींद से फिर उठी जाट आरक्षण की मांग, लंबी लड़ाई का ऐलान

09:06 AM May 28, 2025 IST
जींद में मंगलवार को हुई बैठक में भाग लेते अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के पदाधिकारी। -हप्र

जसमेर मलिक/ हप्र
जींद, 27 मई
हरियाणा समेत देश के 14 राज्यों में जाट समुदाय को ओबीसी में शामिल कर आरक्षण का लाभ दिए जाने की आवाज मंगलवार को जींद से फिर बुलंद हुई। इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया गया।
मंगलवार को जींद के हैबतपुर गांव के ग्रामीण सचिवालय में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति की बैठक राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रताप दहिया की अध्यक्षता में हुई। इसमें जींद जिले से जाट आरक्षण संघर्ष समिति के कार्यकर्ता और प्रदेश तथा राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक में कहा गया कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली समेत 14 राज्यों में जाट समुदाय के लोग रहते हैं। इन सभी राज्यों में जाट समुदाय को ओबीसी में शामिल कर प्रदेश और केंद्र में आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।
समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रताप दहिया ने कहा कि देश में केवल राजस्थान ऐसा राज्य है, जिसमें जाट समुदाय को प्रदेश और केंद्र दोनों में ओबीसी में आरक्षण मिला हुआ है। हरियाणा में 2013 से जाट समुदाय को ओबीसी में शामिल कर आरक्षण देने की मांग उठी थी। साल 2016 में हरियाणा में जाट समुदाय को आरक्षण दिलवाने के लिए बड़ा आंदोलन हुआ था।
दहिया ने कहा कि उनके संगठन ने हरियाणा में जाट समुदाय को ओबीसी में शामिल कर प्रदेश और केंद्र में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन समाप्त नहीं किया था। वक्त को देखते हुए आंदोलन को केवल स्थगित किया गया था। अब एक बार फिर हरियाणा समेत उन सभी 14 राज्यों में जाट समुदाय को ओबीसी में शामिल कर आरक्षण का लाभ देने की लड़ाई लड़ी जाएगी, जिन राज्यों में जाट समुदाय के लोग रहते हैं। दहिया ने कहा कि हरियाणा में अहीर, सैनी, गुर्जर और बैरागी समुदाय सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्तर पर जाट समुदाय के समकक्ष हैं, लेकिन जाट समुदाय को ओबीसी में आरक्षण नहीं मिला है, जबकि इन सभी जातियों को ओबीसी में आरक्षण मिल रहा है। जाट समाज भी अपने लिए ओबीसी में इसी तरह आरक्षण की मांग कर रहा है। दहिया ने कहा कि संगठन को मजबूत बनाया जाएगा। सबसे पहले खंड स्तर पर, उसके बाद जिला, फिर प्रदेश और सबके बाद राष्ट्रीय स्तर पर संगठन को नये सिरे से खड़ा किया जाएगा। बैठक में हैबतपुर गांव के सरपंच ऋषिपाल, कुलबीर चहल के अलावा दूसरे और कई लोगों ने भी अपने विचार रखे।

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