आतिशबाजी के धुएं में घिरी दिल्ली
नयी दिल्ली, 13 नवंबर (एजेंसी)
दिवाली के बाद सोमवार को दिल्ली की सुबह धुएं की परत के साथ हुई और वायु प्रदूषण का स्तर एक बार फिर बढ़ गया। वायु गुणवत्ता निगरानी में विशेषज्ञता रखने वाली स्विस कंपनी ‘आईक्यूएयर’ के अनुसार, सोमवार को दिल्ली, दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर रहा, इसके बाद पाकिस्तान के लाहौर और कराची शहरों का स्थान था। दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में मुंबई और कोलकाता क्रमश: पांचवें और छठे स्थान पर रहे।
दिल्ली में रविवार को दिवाली के दिन आठ वर्षों में सबसे बेहतर वायु गुणवत्ता दर्ज की गई थी। इस दौरान 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अपराह्न चार बजे 218 दर्ज किया गया था। हालांकि, रविवार देर रात तक आतिशबाजी होने से कम तापमान के बीच प्रदूषण के स्तर में तेजी से बढ़ोतरी हुई और सोमवार शाम 4 बजे तक एक्यूआई बढ़कर 358 हो गया। कुछ क्षेत्रों में 400 के पार पहुंच गया। गाजियाबाद में 186 से बढ़कर 349, गुरुग्राम में 193 से 349, नोएडा में 189 से 363, ग्रेटर नोएडा में 165 से 342 हो गया।
हरियाणा-यूपी से आये पटाखे, भाजपा के लोगों ने उकसाया : गोपाल राय
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आरोप लगाया कि भाजपा से जुड़े लोगों ने अन्य लोगों को दिवाली पर आतिशबाजी के लिए उकसाया, जिससे वायु गुणवत्ता सूचकांक में रातोंरात 100 अंक से अधिक की वृद्धि हो गई। एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि दिल्ली में आतिशबाजी के लिए पटाखे उत्तर प्रदेश और हरियाणा से लाये गये थे। इन राज्यों की पुलिस सहित कुछ लोगों ने पटाखों को दिल्ली ले जाने की अनुमति दी।
पंजाब, हरियाणा में भी वायु गुणवत्ता खराब
चंडीगढ़ (एजेंसी) : हरियाणा के कई हिस्सों में सोमवार को हवा की गुणवत्ता ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ रही। वहीं, पंजाब के अधिकतर भागों में यह ‘खराब’ रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सोमवार सुबह 9 बजे के आंकड़े के अनुसार, फरीदाबाद और गुरुग्राम के कुछ क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 300 के ऊपर रहा। गुरुग्राम में सेक्टर-51 में यह 351 रहा। पंजाब के बठिंड का एक्यूआई 347, अमृतसर का 257, जालंधर का 262, लुधियाना का 268, पटियाला का 240 और रूपनगर का 132 दर्ज किया। वहीं, चंडीगढ़ के सेक्टर-53 में 209 और सेक्टर-25 में 176 रहा। पंजाब के पर्यावरण मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने कहा कि राज्य में इस बार दिवाली की रात एक्यूआई में 2022 की तुलना में 7.6 और 2021 की तुलना में 22.8 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी।