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राज कपूर के लिए ‘दिल्ली दूर नहीं’ रही

07:02 AM Aug 24, 2024 IST

विवेक शुक्ला
राज कपूर की आगामी 14 दिसंबर को देशभर में जन्मशती मनाने की तैयारियां उनके चाहने वालों से लेकर सरकार तक कर रहे हैं। तब देश के बहुत से शहरों के सिनेमाघरों में उनकी लोकप्रिय फिल्मों को प्रदर्शित भी किया जाएगा। पर अफसोस कि इस मौके पर राजधानी दिल्ली के रीगल और मोती पिक्चर ह़ॉल में उनकी कोई फिल्म दिखाई नहीं जा सकेगी। ये दोनों बंद हो चुके हैं। राज कपूर के प्रशंसकों को पता है कि बॉलीवुड के शोमैन के लिए रीगल और मोती बहुत लकी थे। इनमें उनकी अधिकतर फिल्में लगा करती थीं। दरअसल राज कपूर के लिए दिल्ली दूसरे घर की तरह रही। वह आर.के. बैनर की फिल्मों के प्रीमियर के दौरान हमेशा दिल्ली आते थे। राज कपूर का निधन 2 जून, 1988 को यहीं हुआ। उन्हें 2 मई, 1988 को सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उसी दौरान, उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें एम्स ले जाया गया। वहीं उनका निधन हुआ। यानी उन्होंने उस शहर में दम तोड़ा जिसे वह अपने दिल के करीब मानते थे।

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'अब दिल्ली दूर नहीं'

राज कपूर का दिल्ली के साथ पहला ठोस रिश्ता तब शुरू हुआ जब उन्होंने 1957 में फिल्म 'अब दिल्ली दूर नहीं' बनाई। फिल्म की पटकथा प्रसिद्ध लेखक राजेंद्र सिंह बेदी ने लिखी थी। फिल्म में अभिनेता मोतीलाल थे, जो गायक मुकेश के रिश्तेदार थे। दोनों नई सराय से थे। फिल्म में एक युवा अमजद खान भी थे, जिन्होंने बाद में गब्बर सिंह के रूप में अपार लोकप्रियता हासिल की। 'अब दिल्ली दूर नहीं' में राजधानी की अनेक छवियां सामने आती रहती हैं। राज कपूर खानदान के दशकों से करीबी रहे लेखक और वास्तु विशेषज्ञ पं. जे.पी. शर्मा 'त्रिखा' बताते हैं, ‘राज कपूर हमेशा चाहते थे कि उनकी फिल्में रीगल या मोती पिक्चर हॉल में रिलीज हों। रीगल शायद नई दिल्ली का पहला सिनेमा हॉल था और राज कपूर के दिल में एक खास जगह रखता था। उनकी मशहूर फिल्मों जैसे संगम, मेरा नाम जोकर, सत्यम शिवम सुंदरम, बूट पॉलिश और जिस देश में गंगा बहती है, सभी का प्रीमियर रीगल और मोती में हुआ था। आर.के. बैनर की ज़्यादातर फिल्में राजधानी में बहुत अच्छा कारोबार करती थीं।’ पंडित त्रिखा के मुताबिक, पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित मोती में उनकी फिल्म ' जिस देश में गंगा बहती है' को देखने के लिए भारी भीड़ लगी रहती थी। रीगल तो 2016 में बंद हो गया था।

कब ब्याही बेटी दिल्ली में

राज कपूर का दिल्ली के साथ रिश्ता 1970 में और भी गहरा हो गया, जब उनकी बड़ी बेटी रीतू ने एस्कॉर्ट्स ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष एच.पी. नंदा के बेटे राजन नंदा से शादी की। रीतू के दिल्ली में विवाह के बाद, राज कपूर राजधानी अक्सर आने-जाने लगे। राजन नंदा बाद में अमिताभ बच्चन के समधी बन गए जब उनके बेटे, निखिल नंदा ने श्वेता बच्चन से शादी की। राज कपूर के दूसरे बेटे, ऋषि कपूर ने दिल्ली में जन्मी नीतू सिंह से शादी की। नीतू सिंह की मां, राजी सिंह, दरियागंज के हैप्पी स्कूल में शिक्षिका थीं जिन्होंने 1960 के दशक में स्कूल की नौकरी छोड़कर मुंबई का रुख कर लिया था। राज कपूर की पोती और रणधीर कपूर की बेटी करिश्मा कपूर की शादी भी राजधानी में हुई। करिश्मा के पति, संजय कपूर का परिवार कनॉट प्लेस में पिंडी ज्वैलर्स का मालिक है। हालांकि, करिश्मा और संजय की शादी कम समय तक चली। इस बीच, राज कपूर की एक अन्य पोती, रिद्धिमा कपूर ने दक्षिण दिल्ली के एक व्यवसायी भरत साहनी से शादी की। रिद्धिमा, ऋषि कपूर की बेटी हैं। शशि कपूर की बेटी, संजना कपूर ने लेखक और वन्यजीव विशेषज्ञ, वाल्मीकि थापर से शादी की।

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पृथ्वीराज कपूर का एनएसडी

राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर दिल्ली में बतौर राज्य सभा सांसद इंडिया गेट के पास प्रिंसेज पार्क में रहा करते थे। वे राज्यसभा के मनोनीत सदस्य थे 1952-1960 के दौरान। ऐसा माना जाता है कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कला और संस्कृति के मामलों में उनका मार्गदर्शन मांगा था। पृथ्वीराज कपूर को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) की स्थापना के लिए नेहरू जी को सुझाव देने का श्रेय दिया जाता है। पृथ्वीराज कपूर ने भी रीगल में नाटक किए थे। शशि कपूर भी अपने अग्रज राज कपूर के साथ कई बार रीगल में आए। आर.के. बैनर की फिल्म सत्यम शिवम सुंदरम ने रीगल में बहुत अच्छा कारोबार किया था। इसमें शशि कपूर मुख्य भूमिका में थे। पृथ्वीराज अक्सर संसद सत्रों के दौरान दिल्ली में रहते थे।

किसका था प्लाजा

राज कपूर के छोटे भाई शम्मी कपूर का कनॉट प्लेस में एक अन्य सिनेमा हॉल, प्लाजा के साथ अलग तरह का संबंध था। शम्मी कपूर 1960 के दशक के मध्य में फिल्म निर्माता एफ.सी. मेहरा के साथ प्लाजा सिनेमा में भागीदार थे। शम्मी कपूर ने बाद के वर्षों में अपना हिस्सा बेच दिया।
राज कपूर ने हमेशा शशि कपूर को अपने भाई से ज्यादा अपने बेटे की तरह माना। शशि कपूर की शुरुआती फिल्मों में से एक, ‘हाउसहोल्डर,’ मुख्य रूप से दरियागंज के टाइम्स हाउस के पास एक बड़े घर में फिल्माई गई थी। यह घर राजधानी के एक प्रमुख थिएटर कलाकार और ऑल इंडिया रेडियो के लोकप्रिय समाचार वाचक जयदेव त्रिवेदी का था। ‘हाउसहोल्डर’ के अलावा, शशि कपूर को 1986 में रिलीज़ हुई ‘न्यू दिल्ली टाइम्स’ में राजधानी की सड़कों पर एक फिएट कार चलाते हुए देखा जा सकता है। बेशक, राज कपूर कुनबे का दिल्ली के साथ संबंध गहरा है और देश की राजधानी में उनके जन्म शताब्दी समारोह भव्य होने चाहिए।

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