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Delhi Coaching Center Case: मजिस्ट्रेट जांच में MCD, अग्निशमन विभाग पर कदाचार का आरोप

10:28 AM Aug 08, 2024 IST
delhi coaching center case  मजिस्ट्रेट जांच में mcd  अग्निशमन विभाग पर कदाचार का आरोप
पीटीआई फाइल फोटो।
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नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा)

Delhi Coaching Center Case: दिल्ली स्थित एक कोचिंग सेंटर के ‘बेसमेंट' में पानी भर जाने से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन अभ्यर्थियों की मौत होने के मामले की मजिस्ट्रेट जांच में पता चला है कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और अग्निशमन विभाग ने कई कानूनों का उल्लंघन किया है।

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राजस्व मंत्री को बुधवार को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘‘ ‘राव आईएएस स्टडी सर्किल' के मालिक और प्रबंधन भी छात्रों के जीवन की परवाह किए बिना ‘बेसमेंट' का खतरनाक तरीके से दुरुपयोग कर आपराधिक लापरवाही के लिए जिम्मेदार हैं।''

दिल्ली में 27 जुलाई को भारी बारिश के बाद ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में स्थित इस कोचिंग सेंटर की इमारत के ‘बेसमेंट' में पानी भर जाने के कारण सिविल सेवा के तीन आकांक्षियों-उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव (25), तेलंगाना की तान्या सोनी (25) और केरल के नेविन डेल्विन की डूबने से मौत हो गई थी।

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सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे ये विद्यार्थी बेसमेंट में बने पुस्तकालय में पढ़ाई कर रहे थे जिसमें पानी भर जाने से उनकी मौत हो गई। रिपोर्ट से पता चला कि इमारत में ‘‘नियमों के उल्लंघन'' की एमसीडी और अग्निशमन विभाग के अधिकारियों को पहले से जानकारी थी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।

जिला मजिस्ट्रेट (मध्य) द्वारा की गई जांच से पता चला कि जिस इमारत में कोचिंग सेंटर संचालित किया जा रहा था, उसके पास ‘‘कार्यालय/व्यावसायिक'' उपयोग की अनुमति थी, जिसके लिए आग संबंधी किसी अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की आवश्यकता नहीं थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, इसके लिए अग्निशमन विभाग के अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता थी, क्योंकि इसका उपयोग ‘‘शैक्षणिक उद्देश्य'' के लिए किया जा रहा था और इसकी ऊंचाई नौ मीटर से अधिक थी।

मुखर्जी नगर में एक कोचिंग संस्थान में चार अगस्त 2023 को आग लगने की घटना के बाद एमसीडी ने संपत्ति के ‘‘दुरुपयोग'' का हवाला देते हुए एक नोटिस जारी किया था। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘दुरुपयोग संबंधी नोटिस जारी होने के बाद भी बेसमेंट को सील न करना, कारण बताओ नोटिस में इसका उल्लेख तक नहीं करना तथा दुरुपयोग की असल स्थिति के बारे में उपायुक्त को गुमराह करना...., इससे प्रतीत होता है कि यह एमसीडी के भवन विभाग के संबंधित इंजीनियरों की ओर से दुर्भावनापूर्ण इरादों के साथ जानबूझकर किया गया कदाचार है।''

इसमें कहा गया है कि अग्निशमन विभाग इस साल एक जुलाई को एक निरीक्षण के दौरान पुस्तकालय के रूप में इमारत के बेसमेंट के ‘‘दुरुपयोग'' का उल्लेख एमसीडी से करने में भी विफल रहा।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘अग्निशमन विभाग को एमपीडी-2021 के भवन उपनियम प्रावधानों के उल्लंघन में पुस्तकालय के रूप में बेसमेंट के दुरुपयोग को छिपाते हुए नौ जुलाई 2024 के अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र को जारी नहीं करना चाहिए था। यह अग्निशमन सेवा के निरीक्षण दल की ओर से गंभीर चूक है।''

इसमें एमसीडी अधिकारियों पर बरसाती नालों पर अतिक्रमण को रोकने और गाद निकालने में विफलता का भी आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निचला इलाका होने के कारण जलभराव के लिहाज से संवेदनशील होने के बावजूद इलाके में स्थित नालों में पांच साल से गाद नहीं निकाली गयी।

दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री ने इस घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे और मामले में प्रारंभिक रिपोर्ट 29 जुलाई को सौंपी गयी। दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मामले की जांच अपने हाथ में ली है।

जांच के दौरान छात्रों और विभिन्न विभागों के अधिकारियों समेत 15 लोगों के बयान दर्ज किए गए। रिपोर्ट में एमसीडी पर कोचिंग सेंटर की इमारत के सामने सड़क के दोनों किनारों पर नालियों से गाद निकालने में अपनी विफलता को छिपाने के लिए ‘‘अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर डालने'' और ‘‘अपना पल्ला झाड़ने'' का आरोप लगाया गया है। इस रिपोर्ट में एमसीडी द्वारा दोषियों की पहचान करने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए एक विस्तृत जांच कराने की सिफारिश की गयी है।

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