दीपक मलिक को नहीं मिला एक भी मत, जिप चेयरमैन की कुर्सी गई
ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 14 अक्तूबर
कैथल जिला परिषद चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर गत दिनों पार्षदों द्वारा वोटिंग का परिणाम सोमवार को घोषित हो गया और परिणाम के बाद चेयरमैन की कुर्सी चली गई। अविश्वास प्रस्ताव में चेयरमैन दीपक मलिक एक भी मत हासिल नहीं कर पाए।
सोमवार को लघु सचिवालय के सभागार में डीसी डा. विवेक भारती की अध्यक्षता में मतों की गिनती की गई। मत पेटिका में 17 वोट पार्षदों द्वारा डाले गए थे। गिनती के दौरान सभी 17 वोट अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में पाए गए। इससे जिला परिषद चेयरमैन दीपक मलिक के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया। यह मतगणना जिला परिषद के पार्षदों की मौजूदगी में पारदर्शी रूप से करवाई गई, जिसकी पूरी वीडियोग्राफी भी करवाई गई। इस प्रशासनिक कार्रवाई में मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुशील कुमार, उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. ऋतु लाठर सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
चेयरमैन दीपक मलिक के खिलाफ करीब 3 महीने पहले 17 पार्षदों की ओर से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। सोमवार को जिला प्रशासन ने 7 जुलाई को हुई वोटिंग का परिणाम जारी किया। इस रिजल्ट के अनुसार, जिले के कुल 21 पार्षदों में से 17 ने वोटिंग में हिस्सा लिया था और इन सभी 17 पार्षदों ने चेयरमैन के खिलाफ वोटिंग की थी। वहीं, चेयरमैन समेत 3 पार्षद इस वोटिंग में शामिल नहीं हुए थे। इसके अलावा एक पार्षद को भ्रष्टाचार मामले में सस्पेंड किया गया था, जिससे वह वोट नहीं कर पाए। चेयरमैन इस मामले को कोर्ट में ले गए जहां इसके रिजल्ट पर स्टे लगा दिया गया। हालांकि, कोर्ट ने विधानसभा चुनाव के बीच में रिजल्ट घोषित करने का निर्णय सुनाया था, लेकिन आचार संहिता लगने के कारण प्रशासन ने इसे रोक लिया। आज जिला सभागार में उस अविश्वास प्रस्ताव का रिजल्ट घोषित हो गया। जिसमें उनकी कुर्सी चली गई।
चेयरमैन दीपक मलिक जजपा समर्थित थे। लोकसभा चुनाव 2024 के ठीक पहले भाजपा और जजपा का हरियाणा सरकार में गठबंधन टूट जाने के बाद से कैथल में भाजपा समर्थित सभी पार्षद चेयरमैन को हटाने में लगे हुए थे।
कोर्ट ने मांगा था सरकार से जवाब
इस साल जून में लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद जजपा समर्थित चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उसे हटाने की रणनीति बनाई गई। इसके चलते 12 जुलाई को भाजपा समर्थित 15 पार्षदों ने तत्कालीन डीसी प्रशांत पंवार को अविश्वास का शपथ पत्र दिया। इसके तुरंत बाद ही डीसी ने सभी पार्षदों और चेयरमैन को वोटिंग के लिए नोटिस भेजा। हालांकि, जैसे ही अविश्वास प्रस्ताव लाने की जानकारी चेयरमैन को हुई, वह कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए वोटिंग के रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगा दी। हालांकि, कोर्ट ने वोटिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। बता दें कि हटाए गए चेयरमैन दीपक मलिक जजपा पार्टी से समर्थिक थे, लेकिन अभी हाल में ही इलेक्शन के दौरान उन्होंने सांसद जयप्रकाश और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थन में कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी।