किसान-कमेरों के मसीहा थे दीनबंधु चौधरी छोटूराम : बीरेन्द्र सिंह
मनीमाजरा (चंडीगढ़), 15 फरवरी (हप्र)
8 जनवरी 1945 की शाम थी और आज़ादी से पहले के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में सूबे की सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री देर रात तक कुछ फाइलों पर हस्ताक्षर कर रहे थे। फाइल्स थी भाखड़ा-नांगल बांध परियोजना से जुड़े तमाम मामलों को अंतिम स्वीकृति देने की और उस मंत्री का नाम था चौधरी छोटूराम। उत्तर भारत के किसानों को ये सौगात देने के अगले ही दिन उनका स्वर्गवास हो गया था। यह वाक्या आज दीनबंधु चौधरी छोटूराम के जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने उपस्थित लोगों सम्बोधित करते हुए साझा किया। उन्होंने कहा कि दीनबंधु चौधरी छोटूराम किसान-कमेरों के मसीहा थे। चंडीगढ़ में स्थित जाट भवन में संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा के पूर्व डीजीपी एवं जाट सभा के अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र सिंह मलिक ने की। चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने कहा किसानों के हित में जितने कानून, नीतियां और योजनायें उन्होंने बनाईं उसके लिए उनको अगर किसानों का संविधान निर्माता भी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। कार्यक्रम में सभी ने एक स्वर में चौधरी छोटूराम को भारत रत्न देने की पुरजोर मांग की।
कार्यक्रम में भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष बंतो कटारिया, राज्यसभा सांसद डीपी वत्स, जस्टिस प्रीतम पाल सिंह, पूर्व आईएएस आरआई सिंह, प्रो. हरबंस सिंह सहित सभी ने एकमत से चौधरी छोटूराम और चौधरी देवीलाल क़ो भारत रत्न देने की सरकार से मांग की। मुख्य अतिथि ने पुस्तक- क्रॉनिकल्स एंड मेमॉयर्स का विमोचन भी किया ।
इस अवसर पर चौधरी भरतसिंह शिक्षा समिति की चेयरपर्सन कृष्णा मलिक, जस्टिस प्रीतमपाल, लेफ्टिनेट जरनल राजसिंह, राज्यसभा सांसद डीपी वत्स, ईश्वर सिंह दूहन, आरके मलिक, बीएस गिल, राजेराम सोरान, जयपाल पूनिया, जेएस ढिल्लों, आनन्द लाठर, प्रेम सिंह, महावीर फोगाट, नरेश दहिया, सतीश मकड़ोली सहित जाट सभा के सभी के सभी सदस्य उपस्थित रहे।