फिल्मों से दूर फिल्मी परिवारों की बहू-बेटियां
डी.जे.नंदन
अभिनेत्री नीतू कपूर ने अपने पति स्व़ ऋषि कपूर की बायोग्राफी ‘खुल्लम खुल्ला : ऋषि कपूर अनसेंसर्ड’ में खुलासा किया है, ‘उनकी खूबसूरत बेटी रिद्धिमा अगर एक्ट्रेस बनती तो उसके पिता ऋषि सुसाइड कर लेते।’ उनके मुताबिक़ ‘रिद्धिमा टैलेंटेड और सुंदर लड़की है। उसे मिमिक्री करना पसंद है। एक्टिंग के मामले में वह किसी भी एक्ट्रेस को टक्कर दे सकती थी। लेकिन रिद्धिमा को बचपन से ही पता था कि अगर उसने एक्ट्रेस बनने की इच्छा जाहिर की, तो उसके पिता को काफी दुख होगा।’
पितृसत्तात्मक सोच की बानगी
बॉलीवुड के बारे में जिसकी भी थोड़ी-बहुत जानकारी है,उसके लिए नीतू कपूर का यह खुलासा कतई चौंकाने वाला नहीं है। बल्कि हर किसी को मालूम एक ऐसी पितृसत्तात्मक सोच है बॉलीवुड के दिग्गज हमेशा जिसके चैंपियन रहे हैं। कई दिग्गज परिवारों ने हमेशा अपनी बेटियों, बहुओं और पत्नियों को फिल्म इंडस्ट्री से दूर रखने का प्रयास किया है, हालांकि इसके बावजूद इन परिवारों की कई महिलाओं ने अपने परिवारों के इस फैसले के खिलाफ विद्रोह करके फिल्मों की दुनिया में कदम रखा है और सफलता भी हासिल की है। ऋषि कपूर के पिता राजकपूर भी अपनी बेटियों के फिल्मों में काम करने के पक्ष में नहीं रहे। बॉलीवुड के तथाकथित दिग्गजों के इंडस्ट्री को लेकर ये दोहरे मानदंड क्यों हैं?
जारी है दोहरा रवैया
बॉलीवुड के दिग्गज परिवारों में यह नजरिया शुरू से ही रहा है। अमिताभ बच्चन की बेटी श्वेता बच्चन ने कभी फिल्मों में काम नहीं किया। उनकी बहू ऐश्वर्या राय बच्चन ज़रूर एक प्रमुख अभिनेत्री हैं, लेकिन शादी से पहले ही वह एक स्थापित अभिनेत्री थीं। वहीं शादी से पहले जया बच्चन एक सफल अभिनेत्री थीं,लेकिन शादी के बाद उन्होंने फिल्में छोड़ दीं, परिवार की मर्यादा के लिए। बॉलीवुड के कई दिग्गज घरानों के लिए यह गर्व का विषय होता है,जब वह कहते हैं कि उनकी महिलाएं इस इंडस्ट्री का हिस्सा नहीं हैं। हालांकि, बदलते समय के साथ-साथ बॉलीवुड में महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है बावजूद इसके कुछ हद तक दोहरे मानदंड अब भी समाज में मौजूद हैं, खासकर जब बात ‘संस्कारी’ छवि की आती है। इस छवि या प्रतिष्ठा की नींव इंडस्ट्री में किसी हद तक कपूर परिवार ने ही रखी थी। उन्होंने हमेशा यह ख्याल रखा था कि उनकी बेटियां और बहुएं फिल्मों में काम न करें।
करिश्मा और करीना की पहल
हालांकि रणधीर कपूर की दोनों बेटियों करिश्मा और करीना ने ये परंपरा मानने से मना कर दिया। इन दोनों ने इंडस्ट्री ज्वाइन की और खूब सफल रहीं। मगर अमिताभ बच्चन की बेटी श्वेता बच्चन यह साहस नहीं कर सकीं जिससे वो हमेशा फिल्मों से दूर रहीं। यही बात इंडस्ट्री के एक और दिग्गज चोपड़ा परिवार पर लागू होती है। यश चोपड़ा और उनके परिवार ने भी कुछ हद तक यही रवैया अपनाया। यश चोपड़ा की पत्नी पामेला चोपड़ा कभी मुख्यधारा में अभिनेत्री नहीं रहीं, यहां तक कि खुलकर पार्श्वगायन भी नहीं कर सकीं जबकि बहुत अच्छी गायिका थीं। जबकि उनके बेटे आदित्य चोपड़ा और उदय चोपड़ा अभिनय में रफ्तार न होने के बावजूद अभिनय करते रहे। यश चोपड़ा की बहू रानी मुखर्जी एक जानी-मानी अभिनेत्री हैं, लेकिन शादी के बाद उन्होंने अपने कैरियर को लगभग स्लीपिंग मोड पर रखा है। यह निर्णय भी कहीं न कहीं उन्हीं कथित मूल्यों से प्रेरित है कि घर की बहू-बेटियां फ़िल्में नहीं करतीं।
इसी परंपरा का पालन करते हुए धर्मेंद्र ने अपनी पहली पत्नी प्रकाश कौर और उनकी दोनों बेटियों विजेता और अजीता को फिल्मों से दूर रखा। हालांकि धर्मेंद्र की दूसरी पत्नी हेमा मालिनी की बेटियों पर उनका ज्यादा प्रभाव नहीं था इसलिए उनकी एक लड़की ईशा देओल सफल अभिनेत्री बनी,जबकि दूसरी बेटी आहना देओल स्टेज डांसर हैं। बॉलीवुड में सलीम खान का परिवार भी इसी फेहरिस्त में है। उनकी पहली पत्नी सुशीला चरक, जो सलमान, अरबाज़ और सोहेल की मां हैं, ने कभी फिल्मों में कदम नहीं रखा। उनकी दूसरी पत्नी, हेलेन, पहले से ही एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं, इसलिए शादी के बाद भी उन्होंने कुछ फिल्मों में काम किया। लेकिन बेटियों को इस परिवार ने फिल्मों से दूर रखा। चाहे सलीम खान की अपनी जाई बेटी अलवीरा हो या गोद ली हुई अर्पिता। प्रतिष्ठित देव आनंद के परिवार की बात करें तो उन्होंने भी अपनी बेटी देविना को फिल्मों से दूर रखा। हालांकि, देव आनंद की पत्नी कल्पना कार्तिक खुद अभिनेत्री थीं, लेकिन शादी के बाद उन्होंने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया। इस तरह देखा जाये तो बॉलीवुड के तथाकथित दिग्गज परिवारों ने अपने घर की बहू-बेटियों को फिल्मों से हमेशा दूर रखने की कोशिश की है। हालांकि अब समय बदल रहा है, बॉलीवुड में महिलाओं ने अपनी जगह खुद अपने संघर्ष से बनाई है।
-इ.रि.सें.