For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

दार्जिलिंग मंत्रमुग्ध करता अलौकिक सौंदर्य

08:16 AM Apr 26, 2024 IST
दार्जिलिंग मंत्रमुग्ध करता अलौकिक सौंदर्य
Advertisement

अपने प्राकृतिक वैभव से परे दार्जिलिंग नेपाली, तिब्बती और बंगाली समुदायों की संस्कृतियों का मिश्रण है। यह सांस्कृतिक विविधता इसके त्योहारों, परंपराओं और स्वादिष्ट व्यंजनों में परिलक्षित होती है। सूरज की पहली किरणें दुनिया के तीसरे सबसे ऊंचे पर्वत कंचनजंगा की ऊंची चोटियों को चूमती हैं, तो यह मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य हर किसी को अलौकिक आनंद से भर देता है।

देवेन्द्रराज सुथार
पश्चिम बंगाल की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच बसा दार्जिलिंग गर्मियों में घूमने के लिए सबसे अच्छे स्थलों में से एक है। यह अपने शांत वातावरण, मनमोहक परिदृश्य और सांस्कृतिक आकर्षण से यात्रियों को मंत्रमुग्ध कर देता है। गर्मियों के महीनों के दौरान समशीतोष्ण जलवायु वाला यह सुरम्य हिल स्टेशन मैदानी इलाकों की चिलचिलाती गर्मी से राहत प्रदान करता है। अपने प्राकृतिक वैभव से परे दार्जिलिंग नेपाली, तिब्बती और बंगाली समुदायों की संस्कृतियों का मिश्रण है। यह सांस्कृतिक विविधता इसके त्योहारों, परंपराओं और स्वादिष्ट व्यंजनों में परिलक्षित होती है।
नैसर्गिक सौंदर्य
दार्जिलिंग की सुंदरता बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों, हरे-भरे चाय के बागानों और झरने के मनोरम दृश्यों में निहित है। जैसे ही सूरज की पहली किरणें दुनिया के तीसरे सबसे ऊंचे पर्वत कंचनजंगा की ऊंची चोटियों को चूमती हैं, तो यह मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य हर किसी को अलौकिक आनंद से भर देता है। यहां के शांत वातावरण और ताजी पहाड़ी हवा में फैली खुशबू की बात ही कुछ और है।
चाय के बागान
दार्जिलिंग अपनी बेहतरीन चाय के लिए दुनिया भर में मशहूर है, जिसे ‘चाय की शैंपेन’ के नाम से जाना जाता है। यहां पर्यटक चाय की खेती की सूक्ष्म प्रक्रिया के बारे में जान सकते हैं, हरे-भरे चाय बागानों में घूम सकते हैं, स्थानीय लोगों के साथ बातचीत कर सकते हैं और आसपास की पहाड़ियों के मनोरम दृश्यों का आनंद लेते हुए एक कप ताजी बनी दार्जिलिंग चाय का आनंद ले सकते हैं। दार्जिलिंग में केवल 87 चाय बागान हैं, जो दार्जिलिंग पहाड़ियों को कवर करने वाली सात घाटियों में फैले हुए हैं। दार्जिलिंग चाय बागान में हर साल लगभग 9.6 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन होता है। दार्जिलिंग चाय का स्वाद अनोखा है, जिसका श्रेय इसकी जलवायु, मिट्टी, ढलान, पहाड़ी धुंध और बारिश को दिया जा सकता है।
शांति स्तूप
दार्जिलिंग शांति स्तूप दार्जिलिंग शहर के ठीक बाहर स्थित है। यहां प्रार्थनाओं का गुंजन और मंत्रोच्चार इस स्थान को आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करता है। इस स्थान से शक्तिशाली खानचेंदज़ोंगा के साथ-साथ बर्फीली चोटियों का मनमोहक दृश्य वास्तव में मनमोहक है। पर्यटक पैगोडा की वास्तुकला की जटिल शिल्प कौशल देख सकते हैं और शांति के प्रतीक के रूप में इसके महत्व के बारे में जान सकते हैं। इस खूबसूरत स्तूप को दुनिया की सभी जातियों और पंथों के लोगों को शांति का केंद्र प्रदान करने के उद्देश्य से निर्मित किया गया है। पीस पैगोडा का निर्माण जापान के बौद्ध भिक्षु और निप्पोनज़ान-मायोहोजी बौद्ध संप्रदाय के संस्थापक निचिदात्सु फ़ूजी द्वारा शुरू किया गया था। वह महात्मा गांधी से बेहद प्रेरित थे और उन्होंने दुनिया भर में अहिंसा और शांति को बढ़ावा देने का फैसला किया और विश्व शांति के लिए पीस पैगोडा या शांति स्तूप का निर्माण शुरू किया।
टाइगर हिल
दार्जिलिंग से 13 किलोमीटर की दूर और 2590 मीटर की ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल सूर्योदय के शानदार दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है, जहां से आप कम ऊंचाई पर सूरज दिखाई देने से पहले कंचनजंगा की चोटियों को रोशन होते देख सकते हैं। बादलों के बीच बर्फ से ढके पहाड़ों का शानदार दृश्य देश भर से पर्यटकों को टाइगर हिल की ओर आकर्षित करता है। प्रकृति का नजारा देखने के लिए सुबह होने से पहले पहुंचें क्योंकि सूर्य आकाश को नारंगी और गुलाबी रंग में रंग देता है। सचमुच टाइगर हिल पर सूर्योदय की अलौकिक सुंदरता एक अविस्मरणीय दृश्य है, जिसकी स्मृति दार्जिलिंग से प्रस्थान के बाद भी आगंतुकों के दिलों में बनी रहती है।
जूलॉजिकल पार्क
साहसी, उत्साही और वन्यजीव प्रेमी हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान और पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क की यात्रा कर सकते हैं। प्रसिद्ध पर्वतारोही तेनजिंग नोर्गे के सम्मान में स्थापित संस्थान अपने संग्रहालय और प्रशिक्षण सुविधाओं के माध्यम से पर्वतारोहण की कला में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। निकटवर्ती प्राणी उद्यान लाल पांडा, हिम तेंदुआ और तिब्बती भेड़िया जैसी दुर्लभ हिमालयी प्रजातियों का घर है, जो प्रकृति प्रेमियों के लिए विशिष्ट अनुभव प्रदान करता है।
टॉय ट्रेन की धरोहर
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को टॉय ट्रेन कहा जाता है। दार्जिलिंग की यह टॉय ट्रेन की सवारी यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल भी है। 2 फीट गेज वाली छोटी ट्रेनों में से एक यह टॉय ट्रेन न्यू जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच चलती है और दुनिया के सबसे ऊंचे स्टेशनों में से एक घूम से भी गुजरती है। यह स्टेशन 2258 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और प्राकृतिक आनंद से भरी एक शानदार आभा प्रदान करता है। गौरतलब है कि दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे ट्रेन का परिचालन साल 1881 में शुरू हुआ था और यह कुल करीब 88 किलोमीटर की दूरी तय करती है। दार्जिलिंग टॉय ट्रेन इंजीनियरिंग का एक चमत्कार है जो दुर्गम पहाड़ियों को कवर करती है एवं निचले मैदानों और पहाड़ियों के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करती है।

Advertisement

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×