Darbar Move Tradition: उमर ने फिर से शुरू की ‘दरबार मूव' की प्रथा, कर्ण सिंह ने दी बधाई
जम्मू, 12 दिसंबर (भाषा)
Darbar Move Tradition: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने जम्मू कश्मीर में ‘दरबार मूव' की वर्षों पुरानी प्रथा फिर से शुरू करने के फैसले के लिए बृहस्पतिवार को बधाई दी और कहा कि यह दोनों क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक और भाषाई मतभेदों को दूर करने में मददगार होगा। ‘दरबार मूव' के तहत सिविल सचिवालय और अन्य सरकारी कार्यालय गर्मियों और सर्दियों के दौरान क्रमश: श्रीनगर और जम्मू में छह-छह महीने काम करते हैं।
‘दरबार मूव' की प्रथा पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जून 2021 में यह कहकर रोक लगा दी थी कि प्रशासन पूरी तरह से ‘ई-ऑफिस' में परिवर्तित हो जाएगा, जिससे प्रति वर्ष 200 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। अब्दुल्ला ने बुधवार को यहां नागरिक संगठन के प्रतिनिधियों से मुलाकात में घोषणा की थी कि उनकी सरकार दरबार मूव को बहाल करेगी। यहां अपने आधिकारिक आवास पर तीन घंटे से अधिक चली बैठक की अध्यक्षता करने के बाद उन्होंने कहा, ‘‘हम आपको आश्वासन देते हैं कि ‘दरबार मूव' को बहाल किया जाएगा। जम्मू का अपना महत्व है और हम इसकी विशिष्टता को कम नहीं होने देंगे।''
अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह के पुत्र कर्ण सिंह ने एक बयान में कहा, ‘‘मैं नए मुख्यमंत्री को दरबार मूव की सदियों पुरानी परंपरा को फिर से शुरू करने का फैसला करने के लिए बधाई देता हूं, जिसकी शुरुआत मेरे महान पूर्वज महाराजा रणबीर सिंह ने दशकों पहले की थी।''
सिंह ने कहा, ‘‘उन्होंने (रणबीर सिंह ने) महसूस किया कि जम्मू कश्मीर के बीच भाषाई, सांस्कृतिक और भौगोलिक अंतर इतने बड़े हैं कि जब तक उन्हें पाटा नहीं जाता, उनके लिए शांतिपूर्ण ढंग से साथ रहना मुश्किल होगा।'' सिंह ने कहा कि ‘दरबार मूव' एक शानदार परियोजना थी जिससे वरिष्ठ अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में कर्मचारी हर साल एक राजधानी से दूसरी राजधानी जाते थे।
उन्होंने कहा, ‘‘यह जम्मू के लिए विशेष रूप से उपयोगी था क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था हर सर्दियों में कश्मीर से आने वाले लोगों पर काफी हद तक निर्भर थी। अब जबकि मूल जम्मू कश्मीर राज्य से केवल दो इकाइयां ही बची हैं, ऐसे में यह और भी जरूरी है कि श्रीनगर और जम्मू के बीच सांस्कृतिक और भाषाई मतभेदों को यथासंभव दूर किया जाए, जिसके लिए ‘दरबार मूव' बहुत मददगार साबित होगा।''
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ चीजों को सिर्फ वित्तीय दृष्टि से नहीं तौला जा सकता। उन्होंने कहा, ‘‘‘दरबार मूव' जम्मू कश्मीर की एकता और समावेशिता का प्रतीक है। यह एक परंपरा है जो सुनिश्चित करती है कि शासन दोनों क्षेत्रों के लिए सुलभ रहे।'' उन्होंने अब बंद कर दी गई इस 150 वर्ष पुरानी प्रथा के खिलाफ वित्तीय तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार की भूमिका केवल लाभ पर ध्यान केंद्रित करना नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी जिम्मेदारी सभी क्षेत्रों में संतुलित विकास सुनिश्चित करना और उनकी सेवा करना है। ‘दरबार मूव' को समाप्त करने से दोनों क्षेत्रों के लोग एक-दूसरे से अलग हो जाएंगे और सामूहिक एकता को नुकसान पहुंचेगा, जिसे बनाए रखने के लिए हम प्रयास करते हैं।''