जींद में बीएसएनएल और डाक विभाग के कर्मचारियों, परिवारों पर मंडरा रहा खतरा
कई दशक पहले जींद में दूरसंचार विभाग की एकमात्र टेलीफोन एक्सचेंज और उस समय के भारतीय डाक एवं तार विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के रिहायशी क्वार्टर इसी परिसर में बने थे। बाद में डाक विभाग और दूरसंचार विभाग अलग- अलग हो गए थे। दूरसंचार विभाग में बीएसएनएल बन गया था।
जींद में बीएसएनएल अधिकारियों, कर्मचारियों के सिर पर मंडरा रहा बड़ा खतरा
जींद में तैनात बीएसएनएल के अधिकारियों और कर्मचारियों तथा उनके परिजनों के सिर पर बारिश के इस मौसम में बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है। यह खतरा पहली और दूसरी मंजिल पर बने डाक विभाग के उन क्वार्टरों के कारण है, जो बेहद जर्जर हालत में हैं। बीएसएनएल और डाक विभाग के बीच जब जींद में पुराने टेलीफोन एक्सचेंज परिसर के रिहायशी क्वार्टरों का बंटवारा हुआ था, तब डाक विभाग को दूसरी ओर तीसरी मंजिल के रिहायशी क्वार्टर मिले थे।
कई साल से डाक विभाग ने अपने इन रिहायशी क्वार्टरों की रिपेयर नहीं करवाई है। बहुत पुराने रिहायशी क्वार्टर होने के कारण इनकी हालत जर्जर है। कई बार डाक विभाग के इन रिहायशी क्वार्टरों के छज्जों से सीमेंट के तोंदे नीचे गिर चुके हैं।
जींद में बीएसएनएल डाक विभाग को खतरे से करवा चुका अवगत, नहीं हुई रिपेयर
ऐसा नहीं है कि जींद में बीएसएनएल के अधिकारी अपने कर्मचारियों और अधिकारियों तथा उनके परिवारों पर मंडरा रहे इस खतरे से अनजान हों। बीएसएनएल के अधिकारियों ने डाक विभाग के करनाल स्थित डाक अधीक्षक कार्यालय को कई बार पत्र लिखकर जींद में डाक विभाग के जर्जर हो चले रिहायशी क्वार्टरों की जरूरी रिपेयर करवाने को कहा है। लगभग आधा दर्जन पत्र इस सिलसिले में डाक विभाग के अधीक्षक को लिखे गए हैं।
कई जर्जर क्वाटरों की भी रिपेयर नहीं
हैरानी की बात है कि अभी तक डाक विभाग ने जर्जर हो चले अपने इन रिहायशी क्वार्टरों की रिपेयर नहीं करवाई है। इससे इन क्वार्टरों में रहने वाले डाक विभाग के कर्मचारियों के साथ-साथ भूतल पर रहने वाले बीएसएनएल के अधिकारियों और कर्मचारियों तथा उनके परिजनों पर बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है। इसे लेकर जींद में बीएसएनएल के एसडीओ प्रदीप कुमार का कहना है कि डाक विभाग को लगातार इस खतरे से अवगत करवाते हुए समाधान के लिए कहा जा रहा है लेकिन डाक विभाग यह जिम्मेदारी नहीं निभा रहा।