मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

हिमाचल प्रदेश में सेब पर मंडराया खतरा

06:55 AM Jul 19, 2024 IST
Advertisement

शिमला, 18 जुलाई (हप्र)
हिमाचल प्रदेश की 5 हजार करोड़ की सेब आधारित आर्थिकी पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। सेब के बगीचे अल्टरनेरिया नामक बीमारी की चपेट में आ गए हैं, जिसका सीधा असर सेब के आकार और रंग पर पड़ रहा है। सेब के पत्ते समय से पहले ही झड़ रहे हैं जिस वजह से प्रदेश के बागवान खासे चिंतित हैं। शिमला में एक पत्रकार वार्ता कर कांग्रेस विधायक व राष्ट्रीय प्रवक्ता कुलदीप सिंह राठौर ने सेब पर फैली इस अल्टरनेरिया बीमारी को महामारी घोषित करने की मांग की है और केंद्र सरकार से भी बीमारी की रोकथाम के लिए सहयोग की अपील की है।
कुलदीप सिंह राठौर ने कहा कि अल्टरनेरिया बीमारी प्रदेश के कई इलाकों में महामारी का रूप धारण कर चुकी है। कुछ इलाकों में 95 फ़ीसदी बागीचे बीमारी की चपेट में आ गए हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार केंद्र सरकार से बातचीत कर इसकी रोकथाम के लिए कदम उठाए।
राठौर ने कहा कि 1982-83 में भी सेब पर स्कैब बीमारी लग गई थी जिस पर समय रहते कदम उठाए गए और केन्द्र से मदद ली गई। उन्होंने कहा कि सरकार गम्भीरता को समझते हुए अल्टरनेरिया बीमारी की रोकथाम के लिए कदम उठाए और केंद्र से भी मुद्दे को उठाये। हालांकि बागवानी विभाग ने टीमें भेजी हैं लेकिन इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए अनुसंधान की भी जरूरत है। मार्केट में उपलब्ध दवाइयों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं कि इसकी भी मॉनिटरिंग होनी चाहिए।
राठौर ने कहा कि विदेशों से आयात हो रहे सेब के पौधों पर भी शक की नजरें हैं। इसलिए इन पौधों का क्वारेंटाइन होना चाहिए। उसके बाद ही बागवानों को पौधे उपलब्ध करवाने चाहिए। सेब के साथ विदेशों से बीमारियों का आयात नहीं होना चाहिए। यह सरकार और बागवानी विभाग को सुनिश्चित करना है। सेब पहले ही घाटे का सौदा बनता जा रहा है। ऐसे में बीमारियां पनपने से सेब उत्पादन हिमाचल में बेहद मुश्किल  हो जाएगा।

भाड़े को लेकर सेब उत्पादक संघ ने उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन

सेब ढुलाई के भाड़े को तर्कसंगत बनाने को लेकर सेब उत्पादक संघ ने बृहस्पतिवार को पूर्व विधायक राकेश सिंघा की अध्यक्षता में उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से राकेश सिंघा ने कहा कि इस संबंध में संघ ने दो महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं ताकि माल ढुलाई की दूरी और वजन के आधार पर तय किए जाने वाले निर्णय की अवहेलना न हो। उन्होंने कहा कि किसानों से परिवहन के लिए अधिक शुल्क न लिया जाए, इसके लिए मज़बूत नियामक तंत्र की आवश्यकता है। माल ढुलाई के भाड़े की दरें सभी के लिए एक समान होनी चाहिए। इसे केंद्रीय रूप से तय कर अधिसूचित किया जाना चाहिए, अन्यथा एक ही दूरी के लिए अलग-अलग उपमंडलाधिकारी अलग-अलग दरें तय कर सकते हैं। वहीं सभी फॉर्वडिंग एजेंसियां सरकारी अधिसूचना का पालन करने के लिए बाध्य हैं और उल्लंघन को हतोत्साहित करने के लिए लाइसेंस की शर्तों में यह प्रावधान किया जाना चाहिए कि शर्तों और नियमों का उल्लंघन करने पर इसे रद्द किया जा सकता है और अधिक शुल्क लेना एक अपराध है। वहीं पुलिस के सहयोग से विशेष समय अवधि के लिए जांच दल गठित किए जाएं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी ट्रांसपोर्टर तय भाड़े का उल्लंघन न कर रहा हो।

Advertisement

Advertisement
Advertisement