मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

प्रस्तर मूर्तियों के नेपथ्य में नृत्य महोत्सव

07:37 AM Feb 16, 2024 IST

धीरज बसाक
हर साल 20 से 26 फरवरी यानी पूरे एक सप्ताह तक चलने वाले देश-विदेश में मशहूर ‘खजुराहो नृत्य समारोह’ का आयोजन ‘मध्य प्रदेश कला परिषद’ द्वारा किया जाता है। इस महोत्सव का आयोजन प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो मंदिरों के विस्तारित प्रांगण में होता है। इस साल इसका ख़ास महत्व है; क्योंकि यह साल इस आयोजन का स्वर्ण जयंती वर्ष है। इस मौके पर 1500 से ज्यादा नर्तक रचेंगे कत्थक कुंभ का विश्व रिकॉर्ड। खजुराहो नृत्य महोत्सव वास्तव में भारतीय कला और शिल्प, संस्कृति और परंपरा का अद्भुत मेल है। इस महोत्सव में न सिर्फ भारत के बल्कि पूरी दुनिया के जाने-माने कलाकार और नृत्य रसिक शिरकत करते हैं। यह नृत्य महोत्सव दुनियाभर के पर्यटकों के बीच भी एक प्रमुख आकर्षण के रूप में जाना जाता है।
सप्ताह भर चलने वाले इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों जैसे कत्थक, भरतनाट्यम, ओडिसी, कुचिपुड़ी, मणिपुरी, मोहनीअट्टम और कथकली आदि को बढ़ावा देना है। प्रस्तर मूर्तियों के नेपथ्य में वसंत ऋतु में सम्पन्न होने वाला यह महोत्सव अद्भुत समां बांधता है। गुलाबी सर्दियों में, खुले आसमान के नीचे देश-विदेश के पारखी और रसिक दर्शकों के बीच साधनारत कलाकार यहां प्रस्तुति देते हुए अपनी कला का सर्वस्व अर्पित कर देते हैं। नृत्य की गरिमा और शास्त्रीयता को समर्पित यह उत्सव अब अपने 50वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इसकी शुरुआत वर्ष 1975 हुई थी, तब से आज तक मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के अंतर्गत आने वाली ‘उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी’ द्वारा निरंतर इसका सफल आयोजन किया जा रहा है।
भारतीय संस्कृति में नृत्य मात्र एक नयनाभिराम प्रस्तुति भर नहीं है बल्कि यह गहन चिंतन को साकार करने वाला योग है। खजुराहो नृत्य समारोह को शुरू करने का उद्देश्य मात्र शास्त्रीय नृत्य का संरक्षण नहीं बल्कि नृत्य के माध्यम से कला के रसिकों को चरमोत्कर्ष की अनुभूति प्रदान कराना भी रहा है। यही वजह है कि शुरू से लेकर आज तक यह नृत्य समारोह खजुराहो के सुप्रसिद्ध मंदिरों के प्रांगण में ही आयोजित होता है। खजुराहो नृत्य समारोह में अब तक भारत की सभी प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियों जैसे भरतनाट्यम, ओडिसी, कत्थक, मोहिनीअट्टम, कुचिपुड़ी, कथकली, यक्षगान, मणिपुरी आदि के युवा और वरिष्ठ कलाकार अपनी कला की आभा बिखेर चुके हैं। इस समारोह के माध्यम से नृत्य में शास्त्रीयता की गरिमा बनाए रखने के साथ-साथ नवाचार करने का प्रयास भी किया जाता रहा है। यह महोत्सव नृत्य के साथ दूसरी कलाओं के विभिन्न आयामों पर भी खुलकर चर्चा एवं विचार करने का अवसर प्रदान करता है।
खजुराहो नृत्य समारोह के अंतर्गत आयोजित की जाने वाली अन्य गतिविधियां हैं- आर्ट मार्ट, हुनर, नेपथ्य, कलावार्ता आदि। किसी भी कला रसिक के लिए खजुराहो नृत्य समारोह तृप्त करने वाला आयोजन है। इस दौरान प्रतिष्ठित शास्त्रीय नर्तकों के घुंघरुओं की अलौकिक झंकार गूंजेगी। इस स्वर्ण जयंती महोत्सव के पहले दिन यानी 20 फरवरी को कत्थक नृत्य के 1500 से 2000 कलाकारों द्वारा सामूहिक नृत्य ‘कत्थक कुंभ’ प्रस्तुत किया जाएगा, जो कि एक विश्व रिकॉर्ड’ होगा। खजुराहो नृत्य समारोह का आयोजन मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग व पुरातत्व विभाग की साझेदारी से सम्पन्न होता है। चंदेलकालीन कंदारिया महादेव मंदिर व देवी जगदंबा मंदिर के बीच स्थित जगह पर इस उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इ.रि.सें.

Advertisement

Advertisement