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पहाड़ों पर वर्षा से हथिनीकुंड बैराज की डाउनस्ट्रीम को नुकसान, शुरू की मरम्मत

05:45 AM Jul 08, 2025 IST
पहाड़ों पर वर्षा से हथिनीकुंड बैराज की डाउनस्ट्रीम को नुकसान  शुरू की मरम्मत
यमुनानगर के हथिनी कुंड बैराज के डाउनस्ट्रीम में आए पानी से क्षतिग्रस्त हुए कंक्रीट के ब्लॉक। -हप्र
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यमुनानगर, 7 जुलाई (हप्र)
पहाड़ी इलाकों में हुई वर्षा के चलते हथिनी कुंड बैराज के उत्तर प्रदेश के क्षेत्र के डाउनस्ट्रीम में नुकसान हुआ है। इसके बाद उसकी मरम्मत का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है। विभागीय अधिकारी मौके पर तैनात किए गए हैं। लगभग 80 लोग इस कार्य में जुटे हुए हैं, ताकि वर्षा से पहले इस काम को कंप्लीट कर लिया जाए। हरियाणा सिंचाई विभाग के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर आरएस मित्तल ने बताया कि 1996 में बैराज का निर्माण कार्य शुरू हुआ था और 1999 में यह बनकर तैयार हुआ था। उसके बाद से डाउनस्ट्रीम में कभी कोई कार्य नहीं हुआ। वर्षा के चलते डाउनस्ट्रीम में ब्लॉक के नीचे पानी आने से कंक्रीट के ब्लॉक खिसक गए थे। अब उन पर काम लगाया गया है, जो तेजी से किया जा रहा है और कल तक पूरा होने की उम्मीद है।

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उन्होंने बताया कि हथिनी कुंड बैराज की सुरक्षा के लिए 146 करोड़ रुपए की लागत से काम किया जा रहा है, लेकिन मानसून के कारण वह काम फिलहाल बंद है, मानसून समाप्त होते ही फिर से तेजी से वह कार्य किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में भी डाउनस्ट्रीम में वह कार्य कराया जाएगा, जिससे बैराज की लाइफ काफी बढ़ जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक इस सीजन में हथिनी कुंड बैराज पर अधिकतम 56000 क्यूसेक पानी ही दर्ज किया गया है, जबकि एक लाख क्यूसेक पानी आने के बाद बैराज के गेट खोले जाते हैं।

सिंचाई विभाग के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर ने बताया कि जैसे ही पानी एक लाख क्यूसेक तक आएगा बैराज पर तीन बार सायरन बजाने के बाद पानी छोड़ा जाएगा ताकि निचले इलाके में यमुना के आसपास कोई है तो वह वहां से सुरक्षित स्थान पर चला जाए। उन्होंने बताया कि एक लाख क्यूसेक पानी होने के बाद जहां जिला प्रशासन को भी सूचना दी जाती है, वहीं आसपास के इलाकों में मुनादी करवाई जाती है।

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हथिनीकुंड बैराज का उद्घाटन 1999 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसी लाल ने किया था। यह मात्र 3 वर्ष में बनकर तैयार हुआ था। इससे पहले ताजेवाला हेड वर्क्स जो 1882 में बनाया गया था, वह क्षतिग्रस्त होने के बाद हथिनी कुंड बैराज बनाने का निर्णय लिया गया था, जो देश के पांच राज्यों को पानी का बंटवारा करता है।

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