Dadi-Nani Ki Salah : शरीर और मन की सेहत का राज; ब्रह्म मुहूर्त से हो शुरुआत, जानिए ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी
चंडीगढ़, 27 जून (ट्रिन्यू)
Dadi-Nani Ki Salah : "ब्रह्म मुहूर्त में उठो, शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहेंगे"—यह एक पुरानी परंपरा है जो हमारे पूर्वजों ने अपनाई और जो आज भी बहुत से लोग अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक या पारंपरिक विचार नहीं है, बल्कि इसका गहरा वैज्ञानिक और शारीरिक आधार भी है।
ब्रह्म मुहूर्त का समय
ब्रह्म मुहूर्त वह समय होता है जो सूर्योदय से लगभग 1.5 से 2 घंटे पहले का होता है। यह समय दिन के शुरुआत का होता है और वातावरण में शांति और ताजगी का अनुभव होता है। इसका समय सुबह 3:30 से 5:30 के बीच आता है, जो व्यक्ति के प्राकृतिक शरीर चक्र से मेल खाता है।
मन की शांति और मानसिक स्वास्थ्य
ब्रह्म मुहूर्त में वातावरण शांत और निष्कलंक होता है। इस समय पर मनुष्य का मन विशेष रूप से शांत रहता है और बाहरी दुनिया से कम उत्तेजित होता है। इस समय ध्यान, साधना, प्रार्थना या योग करना अत्यंत लाभकारी होता है। यह मानसिक तनाव को कम करता है और मानसिक स्थिति को स्थिर बनाए रखता है। ब्रह्म मुहूर्त में मन में सकारात्मक विचारों का प्रवाह बढ़ता है, जिससे मन की शांति और एकाग्रता में वृद्धि होती है।
शारीरिक स्वास्थ्य और ताजगी
इस समय पर उठकर ताजे वातावरण में सांस लेना शारीरिक सेहत के लिए लाभकारी है। वातावरण में ऑक्सीजन की अधिकता होती है, जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। इससे शरीर के अंगों को उचित पोषण मिलता है और शरीर में ताजगी का अहसास होता है। सुबह जल्दी उठने से शरीर का जैविक घड़ी (बायोलॉजिकल क्लॉक) सही दिशा में चलता है और नींद का चक्र ठीक रहता है, जिससे शरीर की शक्ति बनी रहती है।
आयुर्वेद और ब्रह्म मुहूर्त
आयुर्वेद में भी ब्रह्म मुहूर्त का महत्व बहुत अधिक बताया गया है। आयुर्वेद के अनुसार, इस समय में शरीर का अग्नि तत्व (जैसे पाचन शक्ति) अत्यधिक सक्रिय होता है। इस समय शरीर में विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन्स) को बाहर निकालने की प्रक्रिया भी तेज हो जाती है। इस समय योगाभ्यास और प्राणायाम करने से शरीर में खिंचाव, तनाव और थकावट दूर होती है।
प्राचीन संस्कृति और ध्यान
भारत की प्राचीन संस्कृति में ब्रह्म मुहूर्त का विशेष स्थान है। यह समय आत्मा की उन्नति और परमात्मा से जुड़ने का आदर्श समय माना जाता है। इस समय को ध्यान, मंत्र जाप, और साधना के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है। जब हम इस समय ब्रह्म में तल्लीन होते हैं, तो हमारी आत्मा को शांति मिलती है और हम अपने जीवन के उद्देश्य को समझने में सक्षम होते हैं।
शरीर का कचरा निकलता है बाहर
इस समय में उठकर शारीरिक शुद्धता पर भी ध्यान दिया जाता है। जब हम सुबह जल्दी उठते हैं, तो हमारी आंतों में जमा हुआ कचरा और विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। यह प्रक्रिया शरीर को साफ और स्वस्थ रखती है। यदि इस समय को सही ढंग से अपनाया जाए तो दिनभर की ऊर्जा और ताजगी बनी रहती है।