Dadi-Nani Ki Salah : बेटा, पेट साफ रखा करो, मन भी अच्छा रहेगा... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
चंडीगढ़, 23 जून (ट्रिन्यू)
Dadi-Nani Ki Salah : "पेट साफ तो मन साफ" - यह कहावत आपने कई बार अपनी दादी-नानी से सुनी होगी। यह सिर्फ एक घरेलू नुस्खा या हंसी-मजाक की बात नहीं है बल्कि इसमें गहरी सीख छिपी हुई है। बड़े-बुजुर्गों का अनुभव, जीवन के हर पहलू से जुड़ा होता है - चाहे वह शरीर हो, मन हो या भावनाएँं। वे जानते थे कि शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक शांति का गहरा संबंध है।
शरीर और मन का सीधा संबंध
मनुष्य शरीर और मन एक-दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। जब शरीर अस्वस्थ होता है, खासकर पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं करता तो इसका सीधा असर मूड और सोच पर पड़ता है। अगर पेट साफ नहीं होता तो गैस या कब्ज , चिड़चिड़ापन, थकावट, ध्यान न लगना और मानसिक बेचैनी जैसी समस्याएं होना स्वाभाविक है। ऐसे में दादी-नानी ने अनुभव से जाना कि पेट का साफ रहना मन की शांति के लिए ज़रूरी है।
पाचन तंत्र और गट ब्रेन कनेक्शन
आधुनिक विज्ञान भी अब इस बात को मानता है कि आंतों और मस्तिष्क के बीच सीधा संबंध है, जिसे "गट-ब्रेन ऐक्सिस" कहते हैं। आंतें न केवल खाना पचाती हैं बल्कि ये सेरोटोनिन जैसे मूड नियंत्रित करने वाले हार्मोन भी बनाती हैं। दरअसल, शरीर का लगभग 90% सेरोटोनिन आंतों में ही बनता है। इसका मतलब है कि अगर आपका पेट साफ और स्वस्थ है, तो आप ज्यादा खुश, संतुलित और शांतचित्त रहेंगे।
आयुर्वेद और दादी-नानी का ज्ञान
आयुर्वेद में भी पाचन को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसे "अग्नि" (digestive fire) कहा जाता है। अगर आपकी अग्नि तेज और संतुलित है तो आप न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे बल्कि मानसिक रूप से भी स्थिर रहेंगे। दादी-नानी इस अग्नि को संतुलित रखने के लिए घरेलू नुस्खे देती थीं - जैसे गर्म पानी पीना, त्रिफला का सेवन, हल्दी-दूध, घी वाला खाना और रात्रि भोजन हल्का रखना।
कब्ज से उत्पन्न मानसिक समस्याए
अगर पेट साफ न हो तो कब्ज जैसी समस्याएं होती हैं, जिससे शरीर में टॉक्सिन्स (विषैले तत्व) जमा होने लगते हैं। इससे सिरदर्द, थकान, अनिद्रा और कभी-कभी डिप्रेशन भी हो सकता है। ऐसे में दादी-नानी की यह बात कि "पेट साफ तो मन साफ" बहुत सटीक लगती है। वे यह जानती थीं कि मानसिक हलकापन तभी आएगा, जब शरीर भी हल्का महसूस करेगा।
मन की शांति और सकारात्मकता
जब शरीर स्वस्थ रहता है और पेट साफ रहता है, तो मन शांत, स्थिर और सकारात्मक रहता है। लोग अक्सर छोटी-छोटी बातों पर चिड़ते नहीं, धैर्य बना रहता है और निर्णय लेने की शक्ति भी बढ़ती है। यही कारण है कि दादी-नानी बार-बार इस पर जोर देती थीं — क्योंकि उनका अनुभव कहता था कि स्वस्थ शरीर से ही स्वस्थ मन उपजता है।