For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

Dadi-Nani Ki Baatein : शनिवार को छाया दान करने के लिए क्यों कहती है दादी-नानी?

11:43 AM Apr 18, 2025 IST
dadi nani ki baatein   शनिवार को छाया दान करने के लिए क्यों कहती है दादी नानी
Shani Dev Puja
Advertisement

चंडीगढ़, 18 अप्रैल (ट्रिन्यू)

Advertisement

Dadi-Nani Ki Baatein : भारतीय परंपरा , खासकर हिंदू धर्म में छाया दान बहुत महत्व रखता है, जोकि शनिवार के दिन किया जाता है। हिंदू धर्म में शनिवार का दिन भगवान कर्मफल दाता शनिदेव को समर्पित हैं। अक्सर आपकी दादी-नानी भी आपको शनिवार के दिन छाया दान करने के लिए कहती होगी।

दादी-नानी का शनिवार को छाया दान की सलाह देना केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं बल्कि एक समृद्ध परंपरा का हिस्सा है। यह मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से व्यक्ति को संतुलित करता है। यह बताता है कि हमारे बुज़ुर्गों की बातें, चाहे कितनी भी साधारण क्यों न लगें, उनके पीछे गहरी सोच और अनुभव छिपा होता है। चलिए जानते हैं कि शनिवार के दिन क्यों किया जाता है छाया दान...

Advertisement

सबसे पहले जानिए छाया दान क्या है?

छाया दान का अर्थ है "परछाई का दान"। व्यावहारिक रूप से इसका अर्थ है किसी पात्र में तेल भरकर उसमें अपना प्रतिबिंब देखकर किसी जरूरतमंद, ब्राह्मण या किसी गरीब व्यक्ति को वह तेल दान करना है। यह दान विशेष रूप से शनिदेव को समर्पित होता है और शनिवार को किया जाता है।

शनिदेव और छाया दान का संबंध

शनिदेव को कर्मों का दंडदाता माना जाता है। वे न्यायप्रिय और कठोर हैं, परंतु पूर्णतया निष्पक्ष भी हैं। शनिदेव सूर्य पुत्र हैं और उनकी माता का नाम "छाया" ही है। ऐसे में "छाया दान" शनिदेव को प्रसन्न करने का एक प्रतीकात्मक उपाय माना जाता है।

पुराणों में उल्लेख मिलता है कि जो व्यक्ति शनिवार को छाया दान करता है, उसे शनिदेव की कृपा मिलती है। उसके जीवन में आने वाले कष्ट, विशेषकर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के समय जो बाधाएं आती हैं, वे कम हो जाती हैं।

दादी-नानी क्यों कहती हैं?

दादी-नानी हमारे परिवार की परंपराओं और धार्मिक विश्वासों की संरक्षक होती हैं। वे जानती हैं कि कौन-से कर्म कब करने से जीवन में संतुलन बना रहता है। छाया दान भी उनमें से एक है। मान्यता है कि छाया दान करने से असाध्य रोगों से राहत मिलती है, विशेषकर वे रोग जो शनि की दशा से संबंधित होते हैं - जैसे गठिया, कमजोरी, या हड्डियों की समस्याएं।

कर्म शुद्धि और मानसिक शांति

शनिदेव का संबंध सीधे तौर पर व्यक्ति के कर्मों से होता है। जब व्यक्ति छाया दान करता है, तो यह उसकी पश्चाताप की भावना और आत्म-निरीक्षण का प्रतीक होता है, जिससे मानसिक रूप से वह हल्का और शांत महसूस करता है।

गरीबों की सहायता

वहीं, छाया दान के माध्यम से दादी-नानी बच्चों में करुणा, सहानुभूति और दान की भावना जगाना चाहती हैं। इससे सामाजिक उत्तरदायित्व का भी बोध होता है। ऐसा माना जाता है कि इससे अग्नि, जल, और वाहन से होने वाली दुर्घटनाएं टलती हैं। साथ ही इससे कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत होती है और शनि की पीड़ा भी शांत होती है।

छाया दान कैसे करें?

एक स्टील या कांसे के पात्र में सरसों का तेल लें। उसमें अपना चेहरा देखें, जोकि आत्म-निरीक्षण का प्रतीक है। फिर उसे किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान करें या पीपल के पेड़ की जड़ में चढ़ा दें। शनि देव की पूजा शाम के वक्त करने के बाद अगर आप छाया दान करते हैं तो आपकी सभी दुख-विपदाएं दूर हो सकती हैं

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

Advertisement
Tags :
Advertisement